Aerobic Rice Farming in Hindi: एरोबिक धान विधि जीनोटाइप्स का मेल है और पद्धतियों का संकुल है। एरोबिक धान को सीधे खेत में बोया जाता है। इसके चलते नर्सरी, रोपाई और श्रमिकों के स्वास्थ्य पर संबंधित प्रभावों से जुड़े खर्च नहीं करने पड़ते। सीधे बुवाई होने के कारण ‘बीज दर ‘ मैं काफी कमी हो जाती है। कीचड़ नहीं होता और न ही भरा पानी होता है, इसलिए पानी के उपयोग से जुड़ा खर्च और पंपिंग लागत न्यूनतम हो जाती है।
यह 60% से अधिक पानी और 55% श्रम की बचत सुनिश्चित करता है। उर्वरक का उपयोग कम हो जाता है क्योंकि यह पानी की अधिकता में बह नहीं जाता है। एरोबिक (Aerobic) परिस्थितियों में काफी कीट और रोग नहीं फलते-फूलते हैं, इसलिए पौधे के संरक्षण के लिए रसायनों का उपयोग भी घट गया है। प्रभावी परिणाम यह है कि किसानों के मुनाफे में काफी बढ़ोतरी होती है।
वर्तमान में धान के खेत ग्रीन हाउस गैसों (विशेषकर नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन) के सबसे बड़े कृषिगत मानवजनित स्रोत के रूप में जाने जाते हैं। एरोबिक धान खेत में भरे पानी को हटाकर इन गैसों को काफी हद तक कम करता है। इस लेख में एरोबिक धान (Aerobic Rice) तकनीक द्वारा धान की उन्नत खेती की पूरी जानकारी का उल्लेख किया गया है।
एरोबिक धान के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Aerobic Paddy)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) उष्ण और उपोष्ण जलवायु की फसल मानी जाती है, इस फसल को उन सभी क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है, जहां 4 से 6 महीनों तक औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक रहता है। फसल के अच्छे विकास के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और पकने के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
एरोबिक धान के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Aerobic Paddy)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की खेती के लिए अधिक जलधारण क्षमता वाली मिटटी जैसे; चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिटटी प्राय: उपयुक्त होती हैं। भूमि का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 उचित होता है। यद्यपि धान की खेती 4 से 8 या इससे भी अधिक पीएच मान वाली मिट्टी में भी की जा सकती है, परंतु सबसे अधिक उपयुक्त मिटटी पी एच 6.5 वाली मानी गई है। क्षारीय और लवणीय भूमि में मिटटी सुधारकों का समुचित उपयोग करके धान को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
एरोबिक धान के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Aerobic Rice)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) के लिए थोड़ा ढलवां खेत अच्छा माना जाता है। इसके लिए 2 से 3 जुताई करनी चाहिए और खेत को समतल कर लेना चाहिए, पूरी तरह से समतल भूमि अनिवार्य नहीं हैं। बैल जोड़ी / ट्रैक्टर / टिलर के पीछे लगे हल द्वारा निर्मित कतारों में सीधे बीज बोए जा सकते हैं।
बुवाई या फसल विकास के दौरान किसी भी समय खेत की उत्पादन क्षमता’ को बनाए रखने की जरूरत होती है। अच्छी तरह से विघटित एफवायएम 25 टन प्रति हेक्टेयर खेत में डाला और अच्छी तरह मिलाया जाना चाहिए। हरित खाद के प्रयोग की भी सिफारिश की जाती है।
ऐरोबिक धान की उपयुक्त किस्में (Suitable varieties of aerobic rice)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) किस्मों की प्रमुख विशेषताएँ है; कम पानी में सीधी बुआई के लिए उपयुक्त, शीघ्र परिपक्वता वाली तथा अर्ध ऊंचाई वाली, लम्बे पतले और पुष्ट दाने, पौष्टिक तथा उच्च गुणवत्ता वाले चावल, कम पानी में भी अच्छी उपज क्षमता (4-6 टन प्रति हेक्टेयर)। कुछ प्रचलित किस्में इस प्रकार है, जैसे-
किस्में | अवधि (दिनों में) | उपज (कुंतल प्रति हेक्टेयर) |
सीएसआर – 60 | 120-130 | 4.5-5.0 टन |
सीएसआर – 46 | 125-135 | 4.7-5.2 टन |
मालवीय धान – 1304 | 108-110 | 4.8-5.1 टन |
पूसा संबा धान – 1850 | 135-140 | 4.6-5.2 टन |
सी.आर. धान – 309 | 111-120 | 4.4-5.9 टन |
एरोबिक धान के लिए बीज दर और उपचार (Seed rate and treatment for Aerobic Paddy)
बीज की मात्रा: एरोबिक धान (Aerobic Rice) की बुवाई के लिए 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार: बीज को फफूंदनाशक दवा कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज या कार्बेन्डाजिम मैन्कोजेब 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज या कार्बोक्सिन थायरम 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज से उपचारित करना चाहिए तथा 1 ग्राम स्ट्रेटप्टोसायक्लिन से 10 लीटर पानी मे बुवाई से पहले (5 किलोग्राम बीज) 24 घंटे भिगोकर उपयोग करना चाहिए।
एरोबिक धान की बुवाई और बुवाई का समय (Aerobic Paddy Sowing and Sowing Time)
बुवाई का समय: एरोबिक धान (Aerobic Rice) को मानसून आने के 10 से 12 दिन पूर्व यानि 10 जून से 25 जून तक बुवाई कर लेनी चाहिए। बुवाई के समय भूमि की ऊपरी परत में नमी की कमी होने के कारण अंकुरण कम हो सकता है अतः बीज को 8 से 10 घंटा पानी में भिगोकर फिर छाया में 10 से 12 घंटा सुखा लेना चाहिए।
बुवाई की विधि: एरोबिक धान के लिए कतार से कतार 20 सेंमी तथा पौधा से पौधा 15 सेंमी की दूरी रखते हुए सीड ड्रिल मशीन या फिर हल की सहायता से सीधी कतारों में करें। बुआई के बाद बीजों को पाटा देकर या मानव द्वारा ढककर एक हलकी सिंचाई तुरंत दें तथा एक जगह या ‘हिल’ पर 2-3 पौधा ही रहने दें अतिरिक्त पौधों को निकाल दें।
एरोबिक धान में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers in aerobic paddy crop)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की फसल में 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करना चाहिए। एरोबिक धान के लिए 150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की संस्तुति की गई है। एक-तिहाई नत्रजन और फॉस्फोरस और पोटाश की संपूर्ण मात्रा बुवाई के समय कूड़ों में डालना चाहिए।
नत्रजन की शेष दो-तिहाई मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर कल्ले बनते समय तथा पुष्पावस्था पर देना चाहिए। भूमि में जिंक की कमी पाए जाने पर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर जिंक सल्फेट का उपयोग बुवाई के समय करना चाहिए। एरोबिक धान में प्राय: लौह तत्व की उपलब्धता की समस्या आ सकती है।
पत्तियों की शिराओं के बीच पीलापन और बाद में धीरे-धीरे संपूर्ण पत्तियों का पीला हो जाना पौधों में लौह तत्व की कमी के लक्षण को दर्शाता है। जिस भूमि में लौह तत्व की कमी प्रतीत हो तब 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट या फेरस चिलेट्स का घोल कल्ले फूटने के उपरांत 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़क देना चाहिए।
एरोबिक धान में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Aerobic Paddy Crop)
एरोबिक धान की खेती बिना जल-जमाव वाली खेत में सीधी बुवाई करके की जाती है। खेत की मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए अत: इन खेतों में महीन दरार आने पर सिंचाई कर देनी चाहिए। बुवाई के समय कल्ला आते समय, बूटिंग के समय, फूल लगते समय और दाना बनते समय खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए।
रोपाई वाली धान की तुलना में एरोबिक धान (Aerobic Rice) की खेती में 40 से 50 प्रतिशत कम पानी लगता है। इन खेतों में | जलभराव की जरूरत नहीं होती है। लेकिन मिट्टी में नमी बने रहना अत्यंत आवश्यक है।
एरोबिक धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in aerobik rice crop)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की फसल में खरपतवारों की रोकथाम के लिए प्रेटीलाक्लोर 30% ईसी 1250 मिली या पाइरोजोसल्फ्यूरॉन 200 ग्राम या पेंडीमेथालीन 30% ईसी 3.3 लीटर मात्रा 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के एक या दो दिन के अन्दर छिड़काव करना चाहिए, जिससे की खरपतवारों का जमाव न हो सके।
बुवाई के 25-30 दिन के उपरांत बिसपायरिबेक सोडियम 10 एससी 200 मिली या 2,4-डी 1000 मिली या फिनॉक्साप्रॉकप पी ईथाइल 500 मिली की मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर का उपयोग कर खरपतवार का नियंत्रण कर सकते हैं।
एरोबिक धान की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Aerobic Paddy Crop)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की प्रमुख बीमारियां और इनके रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं, जैसे-
झुलसा रोग: पौधे से लेकर दाने बनने की अवस्था तक इस रोग का प्रकोप होता है। इस रोग से मुख्यत: पत्तियाँ, तने की गाठें एवं बालियाँ प्रभावित होती है। इसमें आँख के आकार के धब्बे बनते है जो बीच में राख के रंग के तथा किनारों पर गहरे भूरे या लालीमा लिये होते है।
नियंत्रण: बीजोपचार के लिए ट्राइसायक्लाजोल याकोर्बेन्डाजीम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की मात्रा से घोल बना कर 6 से 12 घंटे तक बीज को डुबोये, तत्पश्चात छाया में बीज को सुखाकर बुवाई करें। खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने परट्रायसायक्लाजोल 1 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम या मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
भूरा धब्बा या पर्णचित्ती रोग: इस रोग का प्रभाव एरोबिक धान (Aerobic Rice) में पौध अवस्था से दाने बनने की अवस्था तक लगातार बना रहता है। मुख्य रूप से यह रोग पत्तियों, पर्ण छन्द तथा दानों पर आक्रमण करता है।
नियंत्रण: खेत में पड़े पुराने पौध अवशेष को नष्ट कर दें। कोर्बेन्डाजीम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से बीजोपचार करें। खड़ी फसल पर लक्षण दिखते ही कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
खैरा रोग: जस्ते की कमी वाले खेत में पौध बुवाई के 2 हफ्ते के बाद ही पुरानी पत्तियों के निचले भाग में हल्के पीले रंग के धब्बे बनते है जो बाद में कत्थई रंग के हो जाते हैं, जिससे एरोबिक धान (Aerobic Rice) का पौधा बौना रह जाता है।
नियंत्रण: खैरा रोग के नियंत्रण के लिये 20-25 किग्र. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर बुवाई पूर्व उपयोग करें। खड़ी फसल में 800 लीटर पानी में 5 किग्र. जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा बिना बुझा हुआ चुने के घोल का मिश्रण बनाकर तथा उसमें 2 किग्रा यूरिया मिलाकर छिड़काव करने से रोग का निदान तथा फसल की विकास में वृद्धि होती है।
जीवाणु पत्ती झुलसा रोग: इस रोग में पौधे की नई अवस्था में नसों के बीच पारदर्शिता लिये हुये लंबी-लंबी धारियाँ पड़ जाती है।, जो बाद में कत्थई रंग ले लेती है।
नियंत्रण: एरोबिक धान (Aerobic Rice) का बीजोपचार स्ट्रेप्टोसायक्लीन 0.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से करें।
दाने का कंडवा: बाली के 3-4 दानें में कोयले जैसा काला पाउडर भरा होता है, जो या तो दाने के फट जाने से बाहर दिखाई देता है या बंद रहने पर सामान्यत: दाने जैसा ही रहता है, परन्तु ऐसे दाने देर से पकते है तथा हरे रहते है।
नियंत्रण: बीज उपचार हेतु क्लोरोथानोमिल 2 ग्राम प्रति किलो की दर उपयोग करें। लक्षण दिखते ही प्रभावित बाली को निकाल दें व क्लोरोथानोमिल 2 ग्राम प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करें।
एरोबिक धान की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Aerobik Rice Crop)
एरोबिक धान एरोबिक धान (Aerobic Rice) के प्रमुख कीट और इनके रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं, जैसे-
पत्ती लपेटक (लीफ रोलर): इस कीट की इल्ली हरे रंग की होती है, जो अपनी थूक से पत्ती के दोनो किनारों को आपस में जोड़ देती है। बाद में एरोबिक धान (Aerobic Rice) की पत्तियां सूख जाती हैं।
नियंत्रण: इजोफॉस 40 ईसी 1 लीटर, यप्रोफेनोफॉस 44 ईसी, साइपरमेथ्रिन 4 ईसी 750 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
तना छेदक: तना छेदक कीट एरोबिक धान (Aerobic Rice) में कल्ले निकलने की अवस्था में पौध पर आक्रमण करता है और केन्द्रीय भाग को हानि पहुंचाता है, परिणाम स्वरूप पौधा सूख जाता है।
नियंत्रण: कार्बोफ्यूरान 3 जी या कार्टेपहाइड्रोक्लोराइड 4 जी- 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।
भूरा भुदका और गंधी बग: ब्राउन प्लांट हापर कीट पौधों के कल्लों के बीच में जमीन की उपरी सतह पर पाये जाते हैं। इनका आक्रमण फसल की दूधिया अवस्था एवं दाने के भराव के समय होता है। इनके रस चूसने के कारण तना सूख जाता है। गंधी वग कीट पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसकर हानि पहुंचाता है।
नियंत्रण: एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 125 किग्रा प्रति हेक्टेयर या बुफ्रोजिन 25 प्रतिशत एसपी 750 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
एरोबिक धान की फसल से पैदावार (Yield from Aerobik Rice Crop)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की फसल से प्रति हेक्टेयर 7.5 टन प्रायोगिक उपज प्राप्त की गई है। अपने खेतों में अच्छी फसल प्रबंधन, उन्नत तकनीकी के प्रयोग के साथ किसान 5-6 टन के आसपास उपज प्राप्त कर सकते है। गंभीर विपरीत परिस्थितियों में भी 1.9-4 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार दर्ज की गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
एरोबिक धान (Aerobic Rice) एक उत्पादन प्रणाली है, जिसमें धान को गैर-बाढ़, गैर-गड्ढे और गैर-संतृप्त मिट्टी की स्थितियों में उगाया जाता है। क्योंकि एरोबिक धान को पारंपरिक तराई धान की तुलना में खेत के स्तर पर कम पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए यह प्रणाली अपेक्षाकृत पानी की कमी वाले सिंचित या वर्षा-आधारित तराई के वातावरण पर लक्षित है।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) के लिए सर्वप्रथम 2 या 3 जुताई कर खेत को समतल कर मिट्टी को भुरभुरा करते हैं, इसके बाद खेत में हल्की नमी हो तब हम सीडड्रिल-फर्टिड्रिल के माध्यम से 2-3 सेमी की गहराई में सीधी धान बीज की बुवाई करते हैं। यदि काली मिट्टी है तो बुवाई 1-2 सेमी की गहराई पर करते है कतार से कतार की दूरी 22 से 25 सेमी रखी जाती है।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) कई तरह की मिट्टी जैसे; गाद, दोमट और बजरी पर उगता है। यह क्षारीय और अम्लीय मिट्टी को भी सहन कर सकता है। हालाँकि, चिकनी दोमट मिट्टी इस फसल को उगाने के लिए अच्छी है।
एरोबिक धान की खेती के लिए, गर्म और नम जलवायु उपयुक्त होती है। इसकी फसल के लिए, औसत तापमान 21 से 42 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। एरोबिक धान (Aerobic Rice) की फसल के लिए, लंबे समय तक धूप और पानी की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की बुवाई गर्मी (फरवरी) या खरीफ (जून-जुलाई) में की जा सकती है। एरोबिक खेती के लिए धान की राजेंद्र नीलम किस्म सबसे उपयुक्त है। इसकी बुवाई का सही समय 20 जून से 10 जुलाई है। इस किस्म की सीधी बुवाई की जाती है।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की क्षेत्रवार किस्में सीआर धान 200/पियारी ओडिशा राज्य के लिए उपयुक्त हैं, सीआर धान 201 छत्तीसगढ़ और बिहार के लिए उपयुक्त हैं, सीआर धान 202 झारखंड और ओडिशा के लिए उपयुक्त हैं, और सीआर धान 204 झारखंड और राज्य के लिए उपयुक्त हैं।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की सिंचाई, मिट्टी को जलमग्न करने के लिए नहीं, बल्कि जड़ क्षेत्र में मिट्टी की नमी को बढ़ाने के लिए की जाती है। एरोबिक धान की सिंचाई के लिए फ़्लैश-फ़्लडिंग, फ़रो सिंचाई (या उभरी हुई क्यारियाँ), स्प्रिंकलर के तरीके अपनाए जा सकते हैं।
एरोबिक धान की वृद्धि और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी सिंचाई महत्वपूर्ण है। परंपरागत रूप से, चावल के खेतों में मिट्टी की ऊपरी परत पर कई इंच पानी भरा रहता है, लेकिन एरोबिक धान (Aerobic Rice) तकनीक किसानों को चावल की फसल को ठीक से पानी देने के लिए ट्यूबिंग और अन्य तरीकों का उपयोग करके गैर-बाढ़ वाले खेतों में भी धान की फसल उगाने की अनुमति देती हैं।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की खेती में अच्छे प्रबंधन के साथ, प्रति हेक्टेयर कम से कम 4-6 टन पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
एरोबिक धान (Aerobic Rice) की खेती की तकनीक में संसाधन दक्षता का उच्चतम स्तर है। पानी के समान नाइट्रोजन के उपयोग की दक्षता भी अधिक होती है। इसके अलावा, यह तकनीक बिना पोखर, रोपाई, या बार-बार पानी देने की आवश्यकता के स्वचालित बुवाई का उपयोग करती है, जो सिंचित चावल की तुलना में 50% से अधिक श्रम के उपयोग को कम करती है।
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