American Cotton Cultivation in India: नरमा कपास की खेती का इतिहास देश में कृषि के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। अमेरिकन कपास की किस्मों की शुरूआत ने ग्रामीण भारत के कृषि परिदृश्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। नरमे की कपास ने न केवल गुणवत्ता में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय कृषि की आर्थिक सफलता में भी भूमिका निभाई, जो कई किसानों के लिए नकदी गाय साबित हुई।
यह लेख भारत में नरमे की कपास की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास पर प्रकाश डालता है, पारंपरिक कपास की खेती के तरीकों पर इसके प्रभावों पर चर्चा करता है और अमेरिकी कपास की खेती के साथ आने वाली चुनौतियों और अवसरों की खोज करता है। इसके अतिरिक्त, लेख भारत में अमेरिकन कपास (American Cotton) की खेती के परिदृश्य को आकार देने में सरकारी नीतियों, स्थिरता प्रथाओं और बाजार की गतिशीलता की भूमिका की जांच करता है।
अमेरिकन कपास के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for American cotton)
अमेरिकन कपास (American Cotton) के उत्तम जमाव के लिए न्यूनतम 16 डिग्री सेल्सियस तापमान, फसल बढ़वार के समय 21-27 डिग्री सेल्सियस तापमान व उपयुक्त फलन के लिए दिन में 27 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा रात्रि में ठंडक का होना आवश्यक है।
नरमे की खेती के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर बारिश की ज़रूरत होती है। उच्च पैदावार के लिए, समान रूप से फेली 500 मिलीमीटर बारिश ज़रूरी है। इसके पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त धूप की जरूरत होती है अर्थात करीब 150 से 180 पाला रहित दिनों की जरूरत होती है।
अमेरिकन कपास के लिए खेत का चुनाव (Selection of field for American cotton)
नरमे या अमरीकन कपास की खेती (American Cotton Farming) के लिए मध्यम किस्म की भूमि अधिक उपयुक्त रहती है। बिलकुल रेतीली भूमि इसके लिए अच्छी नहीं रहती है। जिन खेतों में पानी भरे रहने और क्षारीयता की समस्या है, उनमें नरमा नहीं बोना चाहिए। यह हल्की अम्लीय और क्षारीय भूमि में उगाई जा सकती है। इसके लिए उपयुक्त पीएच मान 5.5 से 6.0 है। हालांकि इसकी खेती 8.5 पीएच मान तक वाली मिट्टी में भी भूमि सुधार के तहत की जा सकती है।
अमेरिकन कपास के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for American cotton)
जो खेत नरमे (American Cotton) के लिए पड़त रखे गये हैं, उनकी तैयारी पिछली फसल काटते ही शुरू कर देनी चाहिए। गेहूँ के बाद नरमा लेने के लिए गेहूँ काटते ही खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। ऐसे खतों में समय पर दो-तीन जुताई करके खेत को तैयार कर लें। गेहूँ की फसल की कटाई के बाद एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले (मोल्ड बोर्ड) हल से कर 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करना लाभप्रद रहता है। मिट्टी पलटने वाले हल से पहली गहरी जुताई करना लाभप्रद है ।
अमेरिकन कपास के लिए पलेवा और भूमि उपचार (Plowing and land treatment for American cotton)
नरमे के लिए पलेवा की गहरी सिंचाई करना आवश्यक है । पलेवा के बाद जुताई करने से पहले दीमक प्रभावित खेतों में क्यूनालफॉस (4 प्रतिशत) चूर्ण या मिथाईल पैराथियान (2 प्रतिशत) चूर्ण 6 किलो प्रति बीघा की दर से डालना चाहिए । बुवाई दिन के ठण्डे समय में करनी चाहिए, जिससे खेत की नमी कम उड़े और बीज का जमाव अच्छा हो सके।
जिन खेतों में मिट्टी उड़ने से पौधों के मरने की समस्या है, उनमें रबी की फसल को कटाई के बाद खेत को बिना जुताई किए डण्ठल छांट कर पलेवा करने से अमरीकन कपास फसल (American Cotton Crop) का बचाव किया जा सकता है।
अमेरिकन कपास के लिए उन्नत किस्में (Advanced varieties for American cotton)
यदि अमेरिकन कपास (American Cotton) की किस्मों की बात करें, तो कृषक भाइयों को अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म की बुआई करनी चाहिए। अमेरिकन कपास की कुछ किस्में ये हैं, जैसे-
उन्नत किस्में: पूसा 8-6, एल एस 886, एफ 286, एफ 414, एफ 846, एफ 1378, एफ 1861, एल एच 1556, एस 45, एच 1098 एच एस 6, एच 1117, एच 1226, एच 1236, एच 1300, आर एस 2013, आर एस 810, आर एस टी 9, बीकानेरी नरमा और आर एस 875 प्रमुख है।
संकर किस्में: एच एच एच 223, एच एच एच 287, फतेह, एल डी एच 11, एल एच 144, धनलक्ष्मी, एच एच एच 223, सी एस ए ए 2, उमाशंकर, राज एच एच 116 और जे के एच वाई 1 प्रमुख है।
अमेरिकन कपास के लिए बुवाई का समय (Sowing time for American cotton)
अमेरिकन कपास (American Cotton) की बुआई का समय, सिंचाई की सुविधा और क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग होता है। सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में, कपास की बुआई 15 से 25 मई के बीच करनी चाहिए। बारानी क्षेत्रों में, मानसून के साथ ही कपास की बुआई करनी चाहिए। अमेरिकन कपास की बुवाई का उपयुक्त समय 1 मई से 20 मई है, अर्थात साधारणतया मई माह में बुवाई कर सकते है।
अमेरिकन कपास के लिए बीज उपचार (Seed treatment for American cotton)
अमेरिकन कपास (American Cotton) बीज के अन्दर पाई जाने वाली गुलाबी लट की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार 4 से 40 किलो बीज को 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाईड से कम से कम 24 घण्टे घूमित करें। यदि धूमित करना सम्भव नहीं हो तो बीज को तेज धूप में फैला कर कम से कम 6 घण्टे तक तपायें।
रेशे रहित एक किलोग्राम नरमें के बीज को 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड (70 डब्ल्यू एस) या 4 ग्राम थायोमिथोग्जाम (70 डब्ल्यू एस) से उपचारित कर पत्ती रस चूसक हानिकारक कीट और पत्ती मरोड़ वायरस को कम किया जा सकता है।
जीवाणु अंगमारी रोग की रोकथाम हेतु बोये जाने वाले प्रति बीघा बीज को एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन या 10 ग्राम प्लांटोमाईसीन दवा के (100 पीपीएम सक्रिय तत्व) 1 लीटर पानी के घोल में 8-10 घण्टे भिगोयें। रेशे सहित बीज को दो घण्टे से अधिक नहीं भिगोयें ।
जड़गलन की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पूर्व 6 किलोग्राम व्यापारिक जिंक सल्फेट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में डालकर मिला दें। जिन खेतों में जड़ गलन का रोग का प्रकोप अधिक है, उन खेतों के लिए बुवाई के पूर्व 2.5 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा हरजेनियम को 50 किलो आर्द्रता युक्त गोबर की खाद (एफवाईएम) में अच्छी तरह मिलाकर 10-15 दिनों के लिए छाया में रख दें। इस मिश्रण को बुवाई के समय एक बीघा में पलेवा करते समय मिट्टी में मिला दें।
सादे पानी में भिगोए गए बीज को कुछ समय तक छाया में सुखाने के बाद ट्राइकोडर्मा हारजेनियम या सूडोमोनास फ्लूरोसेंन्स जीव नियन्त्रक से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें अथवा रासायनिक फफूँदनाशी जैसे कार्बोक्सिन ( 70 डब्ल्यू पी) 3 ग्राम प्रति किलो बीज या कार्बेन्डेजिम (50 डब्ल्यू पी) से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
कीट और बीमारी दोनों की रोकथाम के लिए बीजोपचार आवश्यक होने पर पहले फफूँदनाशी / एन्टीबायोटिक (स्ट्रेप्टोसाइक्लिन) से उपचारित करें। फिर उसके बाद कीटनाशी रासायन से बीजोपचार करें। पौधे मुरझाते ही उन्हें जड़ सहित खींच कर निकाल कर जला दें। ऐसा करने से रोग आगे नहीं बढ़ेगा।
नरमे के लिए बीज की मात्रा और बुवाई (Seed quantity and sowing for cotton)
नरमें (American Cotton) के लिए चार किलो प्रमाणित बीज प्रति बीघा डालना चाहिए, बीज लगभग 4-5 सेमी की गहराई पर डालें। बुवाई कपास ड्रिल से 67 सेमी (सवा दो फुट) की दूरी पर कतारों में करें। यदि 67.5 सेमी पंक्ति से पंक्ति पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी या पंक्ति की दूरी 90 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी रखी जाये तो उनके उत्पादन पर कोई अन्तर नहीं आता है। अत: इन दोनों ही ज्यामितियों को सुविधानुसार अपनाया जा सकता है तथा कीट व व्याधियों का प्रकोप भी कम होता है।
अमेरिकन कपास के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for American cotton)
मुख्य खाद: अमेरिकन कपास (American Cotton) में उर्वरक (नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश ) सड़ी हुई गोबर की खाद का फसल चक्र में अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से तीन चार सप्ताह पहले 15 से 20 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर की दर से जुताई कर भूमि में अच्छी तरह मिला दें।
नरमे की किस्मों में प्रति हैक्टेयर 75 किलोग्राम नत्रजन तथा 40 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता पड़ती है। पोटाश उर्वरक मिट्टी परीक्षण के आधार पर देनी चाहिए, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले दें। नत्रजन की शेष आधी मात्रा फूलों की कलियां बनते समय देनी चाहिए।
सल्फर: अमेरिकन कपास (American Cotton) मे यदि फास्फोरस डीएपी द्वारा देते हैं, तो उसके साथ 150 किलो जिप्सम प्रति हैक्टर देनी चाहिए। यदि फास्फोरस सिंगल सुपर फास्फेट द्वारा दे रहे हो तो जिप्सम देने की आवश्यकता नहीं है।
जिंक: गेहूं और अमेरिकन कपास फसल क्रम में जिन मृदाओं में मृदा परीक्षण के आधार पर जिंक तत्व की कमी निर्धारित ही गेहूँ के बाद कपास में अधिक उपज प्राप्ति के लिए जिंक सल्फेट 3.0 किलोग्राम प्रति बीघा की दर से अन्तिम जुताई के समय भुरकाव देना चाहिए।
अमेरिकन कपास में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in American cotton)
अमेरिकन कपास (American Cotton) में विरलीकरण द्वारा पहली सिंचाई के समय पौधों की दूरी 30 सेमी रखें और खेत में खरपतवार नहीं पनपने दें। इसके लिए निराई-गुड़ाई सामान्यत: पहली सिंचाई के बाद बतर आने पर कसिये से करनी चाहिए। इसके बाद आवश्यकतानुसार एक या दो बार त्रिफाली चलायें।
रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डामेथालिन (30 ईसी) के 833 मिली या ट्राइफ्लूरालीन (48 ईसी) 780 मिली को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीधा की दर से फ्लेट फेन नोजल से उपचार करने से नरमें की फसल प्रारम्भिक अवस्था में खरपतवार विहीन रहती है। इनका प्रयोग बिजाई से पूर्व मिट्टी पर छिड़काव भली-भांति मिलाकर करें। प्रथम सिंचाई के बाद कसिये से एक बार गुड़ाई करना लाभदायक रहता है ।
अमेरिकन कपास में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in American Cotton)
नरमे (American Cotton) के लिए पलेवा के अलावा 6-7 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। प्रथम सिंचाई बुवाई के 30-35 दिन के बाद करें। बाद की सिंचाई 20-25 दिन के अन्तर पर करें। अन्तिम सिंचाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में करें। अगर पानी की कमी हो तो पांच सिंचाईयों से भी काम चल सकता है। इसके लिए पहली और दूसरी सिंचाई ऊपर बताये समय पर ही करें।
इसके बाद तीसरी, चौथी एवं पांचवी सिंचाई एक माह के अन्तर पर करें। बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति, सतही सिंचाई की तुलना में ज्यादा उपयुक्त पायी गयी। इस पद्धति से पैदावार बढ़ने के साथ-साथ सिंचाई जल की बचत, रूई की गुणवत्ता में बढ़ौतरी तथा कीड़ों के प्रकोप में भी कमी होती है।
नरमे की फसल में रोग नियंत्रण (Disease Control in Cotton Crop)
अमेरिकन कपास की खेती (American Cotton Farming) में बीमारियों को नियंत्रित करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं, जैसे-
बीज उपचार: कपास के बीजों को रोपण से पहले कैप्टान या कार्बेन्डाजिम जैसे कवकनाशी से उपचारित करें। यह अंकुर रोगों के खिलाफ़ बचाव की पहली प्रक्रिया है।
फसल चक्रण: मिट्टी जनित रोगों और कीटों को दबाने के लिए फसलों को चक्रित करें।
सिंचाई: अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे नमी बढ़ सकती है और फफूंद की वृद्धि हो सकती है।
छिड़काव: यदि वातावरण दो दिनों से अधिक समय के लिए अनुकूल है, तो खेत पर सुरक्षात्मक स्प्रे का छिड़काव करें। छिड़काव करते समय, हवा की दिशा पर विचार करें और पौधे पर ऊपर से नीचे की ओर स्प्रे करें।
संक्रमित पौधों को हटाएँ: यदि आपको संक्रमित पौधे मिलते हैं, तो उन्हें खेत से हटा दें।
पौधे और पंक्ति के बीच की दूरी बनाए रखें: पौधों और पंक्तियों के बीच उचित दूरी बनाए रखें।
एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र बनाएँ: एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर रासायनिक अनुप्रयोगों को कम करने का प्रयास करें।
नरमे की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in cotton crop)
अमेरिकन कपास (American Cotton) की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं, जैसे-
जैविक विधियाँ: प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या बढ़ाने और कीटों की घटना को कम करने के लिए कपास को अन्य फसलों के साथ मिलाएँ। आप कपास के खेतों के बीच देसी कपास जैसी गैर-मेजबान फसलें भी उगा सकते हैं।
कीटनाशक: ज़रूरत पड़ने पर कीटनाशकों का इस्तेमाल करें, लेकिन निम्नलिखित बातों पर विचार करें, जैसे-
- लक्ष्य कीट के लिए अनुशंसित सबसे किफ़ायती कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
- विकास के सबसे संवेदनशील चरण के दौरान कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
- कीटनाशक-प्रतिरोध प्रबंधन के लिए अनुशंसित दिशा-निर्देशों का पालन करें।
- सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड्स या ऑर्गनोफोसेट कीटनाशकों का इस्तेमाल करने से बचें, जो व्हाइटफ़्लाई के फिर से उभरने को बढ़ा सकते हैं।
यांत्रिक विधियाँ: व्हाइटफ़्लाई आबादी को नियंत्रित करने के लिए वैक्यूम सक्शन पंप का इस्तेमाल करें। आप टहनियों में लार्वा को यांत्रिक रूप से भी कुचल सकते हैं।
जाल: व्हाइटफ़्लाई आबादी की निगरानी और प्रबंधन के लिए पीले चिपचिपे जाल का इस्तेमाल करें। आप वयस्क पतंगों को लुभाने के लिए फ़ेरोमोन जाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
खेत की सफ़ाई: अमेरिकन कपास (American Cotton) की बुवाई से पहले और बाद में खेत, मेड़ और आस-पास के क्षेत्र को खरपतवारों से मुक्त रखें।
खेतों की निगरानी: नियमित रूप से खेतों की निगरानी करें और कीटों की आबादी की सावधानीपूर्वक गणना करें।
पौधों का प्रजनन: आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों का उपयोग करें।
अमेरिकन कपास की चुनाई कैसे करें (How to pick American cotton)
अमेरिकन कपास (American Cotton) की प्रथम चुनाई 50 से 60 प्रतिशत टिण्डे खिलने पर शुरू करें और दूसरी चुनाई शेष टिण्डों के खिलने पर करें। नरमा चुनने के बाद फसल की कटाई यथा शीघ्र करें और खेत से दूर हटा दें। इस प्रक्रिया से अगले वर्ष कीटों का प्रकोप कम किया जा सकता है।
अमेरिकन कपास की फसल से उपज (Yield from American cotton crop)
अमेरिकन कपास की उपज, कपास की किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। उपरोक्त उन्नत कृषि विधियों द्वारा अमेरिकन कपास (American Cotton) की उपज 5 से 6 क्विंटल प्रति बीघा तक प्रप्प्त की जा सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
अमेरिकन कपास (American Cotton) की बुवाई अप्रैल और मई के बीच करनी चाहिए। बीजों की रोपाई 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए। कपास ड्रिल से बुवाई करते समय, कतारों के बीच की दूरी 67 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। नरमा की खेती के लिए मिट्टी की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.8 से 8.0 के बीच होना चाहिए।
अमेरिकन कपास (American Cotton) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है और 21 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच समान रूप से उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।
अमेरिकन कपास (American Cotton) की खेती के लिए मध्यम किस्म की भूमि अधिक उपयुक्त रहती है। बिलकुल रेतीली भूमि इसके लिए अच्छी नहीं रहती है। जिन खेतों में पानी भरे रहने और क्षारीयता की समस्या है, उनमें नरमा नहीं बोना चाहिए । नरमे के लिए पलेवा की गहरी सिंचाई करना आवश्यक है।
नरमा (American Cotton) की बुवाई का समय 15 अप्रैल से 15 मई तक माना जाता है लेकिन किसान मई के अंत तक इसकी बुवाई कर सकते हैं।
अमेरिकन कपास (American Cotton) की आएस- 2827 किस्म से औसत 30.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसके रेशे की लंबाई 27.22 मिलीमीटर व मजबूती 28.86 ग्राम व टेक्स आंकी गई है। इसके टिंडे का औसत वजन 3.3 ग्राम होता है।
अमेरिकन कपास (American Cotton) में पलेवा के अलावा 6 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। प्रथम सिंचाई बुवाई के 30-35 दिन के बाद करें। बाद की सिंचाई 20-25 दिन के अन्तर पर करें। अन्तिम सिंचाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में करें।
अमेरिकन कपास (American Cotton) में स्वतः गिरने वाली पुष्प कलियों व टिण्डों को बचाने के लिए एसीमोन या प्लानोफिक्स का 2.5 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर पहला छिड़काव कलियाँ बनते समय तथा दूसरा टिण्डों के बनना शुरू होते ही करना चाहिए।
अमेरिकन कपास (American Cotton) की फसल में पूर्ण विकसित टिण्डे खिलाने हेतु 50-60 प्रतिशत टिण्डे खिलने पर 50 ग्राम ड्राप अल्ट्रा को 150 लीटर पानी में घोल कर प्रति बीघा की दर से छिड़काव करने के 15 दिन के अन्दर करीब-करीब पूर्ण विकसित सभी टिण्डे खिल जाते हैं।
जिन क्षेत्रों में अमेरिकन कपास (American Cotton) की फसल अधिक वानस्पतिक बढ़वार करती है, वहाँ पर फसल की अधिक बढ़वार रोकने के लिए बिजाई 90 दिन उपरान्त वृद्धि निपवण रसायन लियोसीन का 100 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर की दर से मिलाकर एक छिड़काव करें।
नरमा की पैदावार, किस्म के हिसाब से अलग-अलग होती है। अमेरिकन कपास (American Cotton) की पैदावार 23-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।
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