Broccoli Cultivation in Hindi: ब्रोकली एक प्रमुख सब्जी है, जो की गोभीय वर्गीय सब्जियों के अंतर्गत आती हैं। ब्रोकली दिखने में फूलगोभी की तरह ही दिखाई देती है, लेकिन इसमें पोष्टिकता फूलगोभी से ज्यादा होती है। यह एक पौष्टिक इटालियन गोभी है। जिसे मूलत: सलाद, सूप और सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। ब्रोकली में फूलगोभी के जैसे ही शीर्ष बनते हैं, परन्तु इसके पौधे उससे लम्बे होते है और शीर्ष छोटे तथा हरे रंग के बनते हैं, इस वजह से इसे हरी गोभी कहा जाता हैं।
फूलगोभी के पौधे पर एक ही फूल प्राप्त होता है, जबकि ब्रोकली के एक ही पौधे से 4 से 5 फूल प्राप्त होते है। भारत में ब्रोकली की खेती (Broccoli Cultivation) ज्यादातर उत्तर भारत में की जाती है। ब्रोकली के मुख्य तथा सहायक शीर्ष दोनों को सब्जी के लिए प्रयोग किया जाता है। ब्रोकली में हरी सब्जी के रूप में लोहा, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, क्रोमियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है, जो सब्जी को पौष्टिक बनाता है।
इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होता है। ब्रोकोली (Broccoli) विटामिन – सी से भरी हुई है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है। यह कई बीमारियों से बचाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के भी खतरे को कम करती है। इस लेख में ब्रोकली की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for broccoli cultivation)
ब्रोकली एक शीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए औसतन 15-20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। सामान्यतः ब्रोकली (Broccoli) के पौधों के समुचित वृद्धि और विकास के लिए ठंडी और आर्द जलवायु उपयुक्त होती है।
इसकी अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए अगेती प्रजातियों हेतु 20-30 डिग्री सेन्टीग्रेड, मध्यावधि की किस्मों के लिए 12-18 डिग्री सेन्टीग्रेड तथा पछेती किस्मों हेतु 5-7 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान उचित होता है। इसकी अच्छी बढ़वार के लिए छोटे दिन और लम्बी रातें उपयुक्त होती हैं। तापमान अधिक होने की स्थिति में पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ब्रोकली की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for broccoli cultivation)
ब्रोकली की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, बशर्ते मृदा कंकयुक्त अधिक अम्लीय और क्षारीय न हो। इसकी सफल खेती के लिये उत्तम जलनिकास वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है। हल्की रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है। ब्रोकली की खेती (Broccoli Cultivation) के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0-7.0 होना चाहिए।
ब्रोकली की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for broccoli cultivation)
ब्रोकली (Broccoli) पौधरोपण से पहले खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से करनी चाहिए। इसके बाद 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए। अंतिम जुताई करने से पहले खेत में 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद डाल कर मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला देनी चाहिए। इसके बाद पाटा लगाकर खेत को ढेले रहित व समतल बना लेना चाहिए।
ब्रोकली की खेती के लिए उन्नत किस्में (Advanced varieties for broccoli cultivation)
परिपक्वता के आधार पर ब्रोकली (Broccoli) की किस्मों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। जो इस प्रकार है, जैसे-
अगेती किस्में: ये ब्रोकली की (Broccoli) किस्में रोपण के पश्चात 60-65 दिनों में तैयार हो जाती हैं। प्रमुख किस्में डी सिक्को, केलेब्रस, ग्रीन बड़ एवं संकर किस्मों में ग्रीन मैजिक, जिप्सी, अर्काडिया आदि हैं।
मध्यम अवधि किस्में: ये किस्में रोपण के बाद लगभग 75-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं। प्रमुख किस्में- बालथम 29, ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया तथा संकर किस्मों में डेस्टिनी, मैराथन, ऐमेराल्ड आदि हैं।
पछेती किस्में: ये किस्में रोपण के पश्चात् 100-120 दिनों में तैयार हो जाती हैं। प्रमुख किस्में – पूसा ब्रोकली – 1, केटीएस – 1, पालम विचित्र, पालक समृद्धि तथा संकर किस्मों में लेट क्रोना, ग्रीन सर्फ आदि हैं।
ब्रोकली की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for broccoli cultivation)
ब्रोकली की खेती (Broccoli Cultivation) के लिए मैदानी क्षेत्रों में पौधशाला में अगेती किस्मों की बुआई जुलाई माह में की जाती है। मध्यवर्ती किस्मों को अगस्त तथा पछेती किस्मों को अक्टूबर में लगाना उपयुक्त होता है पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रोकली की खेती मई से नवंबर माह के मध्य करना लाभदायक होता है। घाटी क्षेत्रों में मध्यावधि किस्मों की अगस्त तथा पछेती किस्मों की सितंबर तक पौधशाला में बुआई कर देनी चाहिए।
ब्रोकली के बीज की मात्रा और बीज उपचार (Broccoli seed quantity and seed treatment)
ब्रोकली की नर्सरी में बुवाई के लिए 400-500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। ब्रोकोली (Broccoli) की पौध तैयार करने के दौरान बीज को उपचारित कर नर्सरी में लगाना चाहिए। बीज को उपचारित करने के लिए थीरम या कैप्टन दवा की उचित मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए।
ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना (Preparation of nursery for broccoli cultivation)
ब्रोकली की खेती के लिए उत्तम गुणवत्ता वाले ही बीज प्रयोग में लाने चाहिए। ब्रोकली की खेती के लिए बीज दर 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर है। बीजों को कम से कम 15 सेमी ऊँची उठी हुई क्यारियों में बोना चाहिए, क्यारियों की चौड़ाई 1.0-1.25 मीटर और लम्बाई सुविधानुसार रखते है। रोगों से बचाने के लिए बीज और पौधशाला की मिट्टी को कवकनाशी थीरम या कैप्टान 4-5 ग्राम दवा प्रति वर्ग मीटर की दर से उपचारित करना चाहिए।
थीरम या कैप्टान 2-3 ग्राम प्रति किग्रा बीज के लिए पर्याप्त होती है। बुआई के पहले मिट्टी को ट्राइकोडर्मा विरडी कवक से उपचारित करने से आर्द्रगलन रोग का प्रकोप पौधशाला में कम होता है। ब्रोकली (Broccoli) के बीज को 7-10 सेमी की दूरी पर तथा 1-2 सेमी गहरी कतारों में बोना चाहिए।
बीज की बुआई के बाद आघा सेमी तक सड़ी व छानी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से बीज पूर्णतया ढक देते हैं। उसके पश्चात सूखी घास या पुआल से क्यारियों को ढक देते हैं। इसके बाद फव्वारों से हल्की सिंचाई कर देना चाहिए जब तक पौध तैयार न हो जाए तब तक पौधशाला की उचित देखभाल करना चाहिए। बुआई के 25 से 30 दिनों के पश्चात पौधे मुख्यतः खेत में रोपण करने हेतु तैयार हो जाते हैं।
ब्रोकली की खेती के लिए पौध रोपण का तरीका (Method of planting for broccoli cultivation)
ब्रोकली (Broccoli) की चार से छ: सप्ताह की पौध रोपण के लिए उपयुक्त होती है। पौध रोपण के लिये पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर एवं पौधों से पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर उपयुक्त होती है। रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है। अच्छे उत्पादन के लिए पौध रोपण मेड़ो पर 3 से 4 सेमी गहराई पर करना चाहिए।
ब्रोकली की फसल में खाद और उर्वरक की मात्रा (Amount of Manure and Fertilizer in Broccoli Crop)
ब्रोकली (Broccoli) की गुणवत्तायत फसल उत्पादन के लिए 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय दूसरी और तीसरी जुताई के मध्य मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। उसके बाद नाइट्रोजन 100-120 किग्रा, फास्फोरस 60-80 किग्रा और पोटाश 40-60 किग्रा की जरूरत प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में पड़ती है।
फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपण के समय तथा शेष आधी मात्रा बराबर भागों में बांटकर रोपण के क्रमश: 25 तथा 45 दिनों बाद प्रयोग कर सकते हैं। नाइट्रोजन की खाद दूसरी बार लगाने के बाद पौधों पर मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है। पोषक तत्व देने से पहले मृदा की गुणवत्ता की जाँच अवश्य करानी चाहिए।
ब्रोकली की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Broccoli Crop)
मिट्टी, मौसम तथा पौधों की बढ़वार को ध्यान में रखकर इस फसल में लगभग 10-15 दिनों के अन्तर पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। ब्रोकली (Broccoli) में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। इस विधि से सिंचाई करने हेतु 2 लीटर प्रति घंटा स्राव दर वाली ड्रिपलाइन लेटरल का प्रयोग करना चाहिए।
इस विधि द्वारा प्रतिदिन अथवा एक दिन के अंतराल में फसल के अनुसार पानी दिया जाना चाहिए। टपक सिंचाई के माध्यम से 60 से 70 प्रतिशत जल की बचत एवं 20 से 25 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है और उर्वरकों का भी समुचित उपयोग होता है।
ब्रोकली की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in broccoli crop)
ब्रोकली की फसल (Broccoli Crop) में रोपाई के बाद डेढ़ से दो माह तक खरपतवार निकालते रहना चाहिए। खरपतवारों की रोकथाम के लिए खरपतवारनाशी ” फ्लुक्लोरेलिन का उपयोग 1 से 2 लीटर प्रति हैक्टर की दर से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर रोपाई से 10-15 दिन पहले दिया जाना चाहिए।
सूक्ष्म सिंचाई विधि के साथ प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग कर खरपतवार नियंत्रण एवं जल की बचत की जा सकती है, क्योंकि मल्चिंग अधिक वाष्पोत्सर्जन होने से बचाती है। मल्च के रूप में काले रंग की प्लास्टिक मल्च (20 से 25 माइक्रॉन मोटाई) का प्रयोग अधिक प्रभावी होता है। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के साथ प्लास्टिक मल्च का प्रयोग कर उत्पादन में भी वृद्धि की जा सकती है।
ब्रोकली की फसल में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in broccoli crop)
आर्द्रपतन रोग: यह एक मृदा जनित रोग है, जो ब्रोकली (Broccoli) के पौधों पर आर्द्रपतन के रूप में लगता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे की पत्तिया पीली पड़ने लगती है, जिसके बाद पौधा भूमि सतह के पास से गलकर खराब हो जाता है। यह रोग अक्सर खेत में जलभराव की स्थिति में देखने को मिलता है।
खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था कर इस रोग से पौधों को बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें ट्राइकोडर्मा विरिडी की उचित मात्रा से उपचारित कर रोपाई करनी चाहिए। इसके अलावा कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर किया जाता है।
तना छेदक: इस कीट का प्रकोप पौधों के विकास के समय देखने को मिलता है। इस कीट की सुंडी पौधों की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देती है। कीट का अधिक प्रभाव बढ़ने पर पौधों के तनो पर गोल आकार का छेद दिखाई देने लगता है, जिससे पौधा ठीक से वृद्धि नहीं कर पाता है।
इस कीट की रोकथाम के लिए ब्रोकली (Broccoli) के पौधों पर नीम के तेल या काढ़े का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा एण्डोसल्फान या क्विनालफॉस की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करना चाहिए।
चेपा कीट रोग: यह कीट रोग पौधों पर समूह के रूप में आक्रमण करता है। चेपा कीट पौधों के नाजुक अंगो को हानि पहुँचता है। यह कीट आकार में अधिक छोटे और देखने में पीले, हरे और काले रंग के होते है। यह कीट अक्सर अधिक गर्मी के मौसम में देखने को मिलता है। मेलाथियान या एण्डोसल्फान की उचित मात्रा का छिड़काव कर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है।
ब्रोकली फसल के फलो की कटाई (Harvesting of Green Cabbage Crop Fruits)
ब्रोकली (Broccoli) के पौधे रोपाई के 60 से 80 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। जब इसके पौधों पर लगे फलो का मुख्य सिरा बनकर तैयार हो जाता है, उस दौरान इसकी कटाई कर ली जाती है। ब्रोकली के मुख्य शीर्ष को 10 से 15 सेंटीमीटर तने के साथ काट लिया जाता है।
इससे फल अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है। फलो की पहली कटाई के बाद पौधों पर दूसरी शाखाएँ निकलने लगती है, जिसके बाद उन पर फिर से 10 से 15 दिन में फल निकल आते है, किन्तु यह फल आकार में कुछ छोटे होते है। इन्हें भी समय-समय पर काट लेना चाहिए।
ब्रोकली की फसल से पैदावार (Yield from green cabbage crop)
ब्रोकली (Broccoli) की साधारण किस्मों से 75 से 100 क्विंटल प्रति हैक्टर और संकर किस्मों से 150 से 200 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है।
ब्रोकली के फलों का भंडारण (Storage of green cabbage fruits)
ब्रोकली की तुड़ाई के बाद बाजार में बिकने तक उचित रखरखाव की आवश्यकता होती है। अन्यथा ब्रोकली खराब होने लगती है। इसके लिये या तो ब्रोकली को बर्फ के साथ पैकिंग करें या ठंडे कमरे में रखें अथवा ठंडे पानी का छिड़काव करें। उचित रखरखाव करें, इसमें ब्रोकली (Broccoli) खराब नहीं होगी तथा बाजार पहुंचने तक ताजी और गुणकारी रहेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
ब्रोकली (Broccoli) की पत्ता गोभी की तरह पहले नर्सरी तैयार करते है और बाद में रोपण किया जाता है। कम संख्या में पौधे उगाने के लिए 3 फिट लम्बी और 1 फिट चौड़ी तथा जमीन की सतह से 1.5 सेमी ऊँची क्यारी में बीज की बुवाई की जाती है। क्यारी की अच्छी प्रकार से तैयारी करके और सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर बीज को पंक्तियों में 4-5 सेमी की गहराई पर बुवाई करते है। बुवाई के 25 से 35 दिनों के पश्चात पौधे मुख्यत: खेत में रोपण करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
ब्रोकली तब सबसे अच्छी होती है, जब तापमान 40 डिग्री और 70 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच रहता है। इसे ठंडी अवधि के दौरान परिपक्व होने की आवश्यकता होती है, इसलिए अगर इसे देर से गर्मियों में लगाया जाए तो यह ज़्यादातर क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगती है और पतझड़ में पकती है। वसंत में, ब्रोकली (Broccoli) को ठंडे मौसम में पकने के लिए जल्दी लगाया जाता है।
ब्रोकली (Broccoli) की इष्टतम बढ़ती परिस्थितियों में अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी वाली जगह शामिल है, जिसका पीएच मान 6.0 से 6.5 हो और कम से कम छह घंटे धूप मिले। अपने रोपण की तिथि से कई सप्ताह पहले अपने स्थान की मिट्टी का परीक्षण करें और उसके अनुसार समायोजन करें और संशोधन लागू करें। ऐसी मिट्टी से बचें जो रेतीली हो या बहुत अधिक नमी रखती हो।
ब्रोकली (Broccoli) को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात् सितम्बर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है। इस फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सफल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है।
ब्रोकली (Broccoli) की पैकमैन (50 दिन), ग्रीन कॉमेट (55 दिन) और प्रीमियम क्रॉप (65 दिन) में आमतौर पर तैयार हो जाती हैं और इनकी उत्पादन क्षमता और खाने की गुणवत्ता उत्कृष्ट है।
ब्रोकली को इष्टतम विकास प्राप्त करने के लिए उचित सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल को स्थापित करने के लिए पहले सप्ताह के दौरान पौधों को प्रतिदिन पानी दें। पौधों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यकतानुसार हर चार से पांच दिन में ब्रोकली की सिंचाई करते रहें। ब्रोकली (Broccoli) काफी भारी मात्रा में पोषक तत्वों वाली होती है और इसे अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होगी।
किस्म और पर्यावरण की स्थितियों के आधार पर, ब्रोकली (Broccoli) के पौधे रोपण के लगभग 10 से 12 सप्ताह बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
ब्रोकोली (Broccoli) की जड़ और पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए क्यारी में से खरपतवार को बराबर निकालते रहना चाहिए। गुड़ाई करने से पौधों की बढ़वार तेज होती है, गुड़ाई के उपरांत पौधे के पास मिटटी चढ़ा देने से पौधे पानी देने पर गिरते नहीं है। साथ में अच्छे उत्पादन के लिए संतुलित खाद और उर्वरकों का उपयोग करें।
यदि ब्रोकली की फसल अच्छी होती है, तो एक हैक्टेयर में करीब 15 से 20 टन तक की पैदावार होती है। ये सफेद, हरी और बैंगनी तीन रंग की होती है, लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड हरे रंग की ब्रोकली की होती है। एक हेक्टेयर में ब्रोकली (Broccoli) की बुवाई के लिए 400 से लेकर 500 ग्राम बीजों की जरूरत पड़ती है।
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