Varieties of Castor: भारत में अरंडी की खेती कृषि परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिसका इतिहास सदियों पुराना है। देश में अरंडी की कई किस्में हैं, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में उगाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं। संकर अरंडी की किस्मों में देशी किस्मों की तुलना में अधिक उपज क्षमता होती है, जिससे वे वाणिज्यिक खेती के लिए पसंदीदा विकल्प बन जाती हैं।
भारत में उगाई जाने वाली लोकप्रिय अरंडी की किस्मों (Castor Varieties) को समझना और साथ ही कृषि में उनका महत्व समझना किसानों और उद्योग से जुड़े हितधारकों के लिए जरूरी है। यह लेख भारत में विभिन्न अरंडी की किस्मों की गहन जानकारी प्रदान करता है, जिसमें उनकी विशेषताओं, क्षेत्रीय विविधताओं, चुनौतियों और खेती और किस्म के विकास में भविष्य के रुझानों पर प्रकाश डाला गया है।
अरंडी की उन्नत किस्में (Improved varieties of castor)
अरंडी की किस्मों (Castor Varieties) के चयन में बाजार की मांग में भिन्नता और मूल्य में उतार-चढ़ाव को समझना एक और चुनौती है। किसानों को बाजार के रुझान और उपभोक्ता वरीयताओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए ताकि वे इस बारे में निर्णय ले सकें कि इष्टतम आर्थिक लाभ के लिए कौन सी किस्मों की खेती करनी है। अरंडी की क्षेत्रवार कुछ किस्में इस प्रकार है, जैसे-
क्षेत्र | संकुल किस्में | हाइब्रिड किस्में |
उत्तरी भारत | ज्योति, अरूणा, क्रान्ति, काल्पी- 6, टी- 3, पंजाब अरंडी नं- 1 | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी एयू सी एच- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177, डी सी एच- 519 |
राजस्थान | ज्योति | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी सी एच- 6, आर एच सी- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 |
गुजरात | वी आई- 9, एस के आई- 73, जी सी- 2 | जी ए यू सी एच- 1, जी सी एच- 2, जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी सी एच- 6 |
कर्नाटक | अरुणा, आर सी- 8, ज्योति, ज्वाला | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 |
महाराष्ट्र | ज्योति, ए के सी- 1 | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 |
आन्ध्र प्रदेश | अरूणा, सौभाग्य, भाग्य, ज्योति, क्रान्ति, किरण | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, डी सी एच- 519, डी सी एच- 177, पी सी एच- 1, जी सी एच- 6 |
तमिलनाडु | एस ए- 2, टी एम वी- 5, ज्योति, टी एम वी- 6 | जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, टी एम वी सी एच- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 |
अरंडी की किस्मों की विशेषताएं (Characteristics of Castor Varieties)
संकर अरंडी की किस्मों (Castor Varieties) में देशी किस्मों की तुलना में अधिक उपज क्षमता होती है, जिससे वे वाणिज्यिक खेती के लिए पसंदीदा विकल्प बन जाती हैं। संकर किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के गुण फसल के नुकसान को कम करने और स्थिर उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। अरंडी की कुछ प्रचलित किस्मों की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-
आर एच सी 1: अरंडी की यह एक संकर किस्म है, जो कि सिंचित और असिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिये उपयुक्त है। इस किस्म के तने का रंग मटमैला लाल फल, कांटेदार, पत्तियों की दोनों तरफ और तने पर मोमनुमा परत पाई जाती है। तने पर मुख्य असीमाक्ष या सिट्टे तक 13 से 17 गांठे होती हैं। बीज का रंग हल्का चॉकलेटी आकार मध्यम 100 बीज का वजन 26 से 28 ग्राम तक होता है।
सिंचित क्षेत्र में पैदावार 32 से 36 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है। बीज में तेल मात्रा 49.3 प्रतिशत होती है। लवणीय और क्षारीय क्षेत्र के लिए भी यह अरंडी की किस्म (Castor Varieties) उपयुक्त पाई गई है। यह किस्म उखटा रोग रोधी है और इसमें हरे तेले का प्रकोप भी कम पाया जाता है।
डी सी एस 9 (ज्योति): अरंडी की इस संकुल किस्म के तने का रंग गहरा लाल, फल कांटेदार, तने और पत्ती की निचली सतह पर मोमनुमा वेक्स परत पाई जाती हैं। तने पर मुख्य असिमाक्ष या सिट्टे तक 14 से 15 गांठे होती हैं। तने की मुख्य शाखा की लम्बाई लगभग 45 से 55 सेंटीमीटर और सिट्टे की औसत लम्बाई 35 सेंटीमीटर होती है।
इस अरंडी (Castor Varieties) किस्म के 100 दानों का भार 26 से 29 ग्राम और औसत पैदावार सिंचित अवस्था में 25 से 27 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर और असिंचित अवस्था में औसत पैदावार 10 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है। बीज में तेल औसत मात्रा 45 प्रतिशत होती है, यह किस्म उखटा रोग के प्रति सहनशील है।
जी सी एच 4: अरंडी की इस संकर किस्म की मुख्य शाखा की ऊंचाई 120 से 170 सेन्टीमीटर होती है। इसमें 50 से 60 दिन में फूल आ जाते हैं, दाना भूरा और तने का रंग लाल होता है और फल पर कम कांटे होते हैं| तेल मात्रा 48 प्रतिशत और पैदावार बारानी क्षेत्रों में 9 से 10 क्विण्टल तथा सिंचित क्षेत्रों में 20 से 23 क्विण्टल होती है।
लेकिन औसत पैदावार 12 से 18 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है। मुख्य शाखा 90 से 110 दिन में पकना प्रारम्भ हो जाती है, परन्तु इसकी पकाव अवधि 210 से 240 दिन हैं। यह अरंडी की किस्म (Castor Varieties) उखटा और जड़ विगलन रोग रोधी है।
जी सी एच 5: यह एक संकर किस्म है, जो कि सिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिये उपयुक्त है। इस किस्म के तने का रंग मटमैला लाल और फल कांटेदार होता है। तने एवं पत्तियों की नीचे की सतह पर मोमनुमा परत पाई जाती है। पौधों की ऊंचाई लगभग 200 से 230 सेंटीमीटर और मुख्य सिट्टे तक तने पर 15 से 18 गांठे पायी जाती हैं।
इस अरंडी किस्म (Castor Varieties) के 100 बीज का भार 30 से 32 ग्राम तक होता है। सिंचित क्षेत्र में पैदावार 30 से 35 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है। बीज में तेल की मात्रा 49.6 प्रतिशत होती है। यह किस्म उखटा रोगरोधी है और इसमें हरे तेले का प्रकोप भी कम पाया जाता है।
जी सी एच 7: अरंडी की इस संकर किस्म के तने का रंग मटमैला लाल और फल कम कांटेदार होते है। तने शाखाओं पत्तों और फल पर मोमनुमा परत पाई जाती है। तने पर मुख्य अर्सिमाक्ष तक औसतन 18 गांठे होती है। मुख्य अर्सिमाक्ष में 57 से 60 दिन की अवधि में फूल आ जाते है।
100 बीजों का वजन 32 से 34 ग्राम और सिंचित अवस्था में औसत पैदावार 32 से 36 क्विटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है। इस अरंडी किस्म (Castor Varieties) में उखटा रोग व सूत्रक्रमी के प्रति उच्च रोधक क्षमता के अलावा हरा तेला का प्रकोप कम होता है।
जी एयू सी एच 150: अरंडी की यह संकर किस्म 150 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 15 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 47 प्रतिशत होती है और काँटेदार संकर किस्म है।
डी सी एच 32: यह संकर किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 49 प्रतिशत होती है और उकठा सहनशील है।
डी सी एच 177: अरंडी की यह संकर किस्म 150 से 180 दिन में तैयार होती है, पैदावार 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 49 प्रतिशत होती है और उकठा रोग निरोधी है।
क्रांति: अरंडी की यह किस्म 130 से 150 दिन में तैयार होती है, पैदावार 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत होती है और उकठा रोग सहनशील है।
ज्वाला 48-1: अरंडी की यह संकुल किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 48.5 प्रतिशत होती है और बिना काँटे वाली किस्म है।
ज्योति: अरंडी की यह संकुल किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 49 प्रतिशत होती है और उकठा रोग के लिये प्रतिरोधक है।
अरुणा: फसल अवधी 145 से 175 दिन, पैदावार क्षमता 15 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, आन्ध्र प्रदेश के लिए उपयुक्त, हरियाणा, राजस्थान तथा बिहार में भी उगाई जाती है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 52 प्रतिशत होती है।
भाग्य: फसल अवधी 120 से150 दिन जैसिड व सफ़ेद मक्खी कित के प्रति सहन शील, पैदावार क्षमता 20 से 25 कुंतल, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 52 से 54 प्रतिशत होती है।
सौभाग्य: फसल अवधि 180 से 185 दिन जैसिड व सफ़ेद मक्खी किट के सहनशील, पैदावार क्षमता 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल की मात्रा 51 प्रतिशत होती है।
ड्वार्फ मुतांट: फसल अवधी 180 से 210 दिन, पैदावार क्षमता 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल कि मात्रा 49 प्रतिशत होती है।
शोर्ट मुतांट: फसल अवधी 240 से 250 दिन, पैदावार 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इस अरंडी की किस्म (Castor Varieties) में तेल कि मात्रा 50 से 51 प्रतिशत होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
वर्तमान में, जीसीएच-8, जीसीएच-9, जीएनसीएच-1, वाईआरसीएच-2 और आईसीएच-66 भारत में खेती के लिए जारी नवीनतम उच्च उपज देने वाली संकर किस्में हैं।
जीसीएच- 8, जीसीएच- 9, जीएनसीएच- 1, वाईआरसीएच- 2, आईसीएच- 66, 48-1, डीसीएस- 107, जीसी- 3, प्रगति और वाईटीपी- 1 इत्यादि अरंडी की प्रचलित संकर किस्में है।
ज्योती, क्रांति, किरण, हरिता, जीसी- 2, टीएमवी- 6, डीसीएच- 519, डीसीएच- 177, डीसीएच- 32 और 47-1 (ज्वाला) इत्यादि अरंडी की प्रचलित संकुल किस्में है।
जीसीएच- 8, जीसीएच- 9, जीएनसीएच- 1, वाईआरसीएच- 2, आईसीएच- 66, 48-1, डीसीएस- 107, जीसी- 3, प्रगति, वाईटीपी- 1 आदि अच्छी किस्में मानी जाती है।
अरंडी अरुणा: अरंडी की उत्परिवर्ती किस्म है, जिसे बीजों को थर्मल न्यूट्रॉन से उपचारित करके विकसित किया गया है, ताकि बहुत शीघ्र परिपक्वता प्राप्त हो सके।
अरंडी की बुवाई का समय जुलाई-अगस्त में होता है और नवंबर से इस पर बीज आने शुरू हो जाते हैं, अधिकांश अरंडी किस्मों (Castor Varieties) की मार्च तक कटाई हो जाती है।
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