Chinese Mustard Farming in Hindi: चायनीज सरसों एक हरी पत्तेदार सब्जी फसल है। यह दो प्रकार की होती है, ठोस शीर्षे व खुले पत्तों वाली किस्म को चायनीज सरसों के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि इसके पत्तों को सरसों के पत्तों की तरह ही पकाया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में अन्य हरी सब्जियों (पालक व मेथी) की अपेक्षाकृत यह कम समय में अधिक पैदावार देती है।
पिछले कुछ वर्षों से चीनी व्यंजनों के प्रति बढ़ते रूझान के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में भी यह उत्तम पाई गई है। इस लेख में चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
चायनीज सरसों की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cultivation of Chinese mustard)
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) को मूलत शीतल तथा आर्द्र जलवायु की फसल माना जाता है। अच्छे अंकुरण के लिए इसको 15 से 20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। चायनीज सरसों के फूल का विकास किस्मों के अनुसार तापमान पर निर्भर करता है। अनुकूलित तापमान नहीं मिलनें पर पौधों की वृद्धि रूक जाती है तथा देहिकी विषमताएं उत्पन्न हो जाती है।
चायनीज सरसों की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cultivation of Chinese mustard)
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती के लिए बलुई दोमट और दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है और जिस भूमि का पीएच मान 5.5 से 6.5 हो वह मिट्टी उपयुक्त रहती है। अधिक अम्ब्लीए और क्षारीय भूमि इनके खेती के लिए बाधक है।
चायनीज सरसों की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for cultivation of Chinese mustard)
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की फसल के लिए अच्छी तरह से खेत को तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत को 3 से 4 जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर देना चाहिए। अतिरिक्त पानी निकासी का उचित प्रबंधन करें। खेत की तैयारी के समय 250 से 300 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर भूमि में मिला दें।
चायनीज सरसों की खेती के लिए किस्मों का चयन (Selection of varieties for cultivation of Chinese mustard)
सोलन सलैक्शन: पत्ते कोमल, हल्के हरे और फूले हुए डंठल, मध्य पर्वतीय क्षेत्र के लिए उपयुक्त। इस चायनीज सरसों (Chinese Mustard) किस्म की औसत उपज 150-190 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।
पालमपुर ग्रीन: पत्ते गहरे हरे रंग तथा लगभग बंदगोभी के पत्तों की तरह गोलाई लिए हुए, पत्तों के डण्ठल काफी बड़े, फूले हुए, कोमल तथा दूधिया रंग के, फूल डण्ठल प्रक्रिया काफी विलम्ब से, सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त। इसकी औसत उपज 300-400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है।
सोलन बन्द सरसों: यह किस्म, लम्बे व ठोस शीर्ष वजन 700-1100 ग्राम प्रति शीर्ष 6-9 बाहरी पत्ते, 120 दिन में तैयार, पत्ते हल्के झुर्रीदार, कोर हल्के सुनहरी रंग का अच्छे परिवहनीय गुण, सलाद तथा पकाने के लिए उपयुक्त, औसतन पैदावार 400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है।
चायनीज सरसों लगाने का समय और बीज दर (Time of planting Chinese mustard and seed rate)
बीज दर: चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की फसल के लिये 600 से 750 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवशयकता होती है।
बुवाई का समय: चायनीज सरसों की पौध तैयार की जाती है। नर्सरी बीजाई का उचित समय इस प्रकार है:-
निचले क्षेत्रों के लिए: अगस्त – अक्तूबर
मध्य क्षेत्रों के लिए: जुलाई – अक्तूबर (अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केवल सितम्बर)
ऊंचे क्षेत्रों के लिए: अप्रैल – जून उपयुक्त समय माना जाता है।
चायनीज सरसों की नर्सरी तैयार करना (Raising nursery of Chinese mustard)
चायनीज सरसों की अच्छी पौध तैयार करने के लिए 1 मीटर चौड़ी और 3 मीटर लम्बी या आवश्यकतानुसार लम्बाई की क्यारियां बना ले, जिसके मेड की ऊंचाई 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। क्यारियों की मिट्टी में क्षेत्रफल के हिसाब से गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश डालनी चाहिए। फिर चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के उपचारित बीज की क्यारियों में बुवाई कर देनी चाहिए।
चायनीज सरसों की पौध की रोपाई (Transplanting Chinese mustard seedlings)
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की रोपाई समय और किस्म के अनुसार करनी चाहिए। सामान्य किस्म 45 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और 30 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दुरी होनी चाहिए। मध्यम फसल के लिए 50 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दुरी होनी चाहिए। पछेती किस्म के लिए 55 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दुरी और पौधे से पौधे की दुरी भी 45 सेंटीमीटर रखनी उपयुक्त रहती है।
चायनीज सरसों के लिए उर्वरक और खाद (Fertilizers and Manures for Chinese Mustard)
चायनीज सरसों कि अधिक उपज के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में खाद और उर्वरक अत्यतं आवश्यक होते है। पौध रोपण से लगभग 2-3 सप्ताह पूर्व खेत में 25-30 टन प्रति हैक्टेर पूर्णतया सड़ी हुई गोबर की खाद को मिला दें। खेत की तैयारी के समय खेत में यूरिया 220 किग्रा, सुपरफॉस्फेट 300 किग्रा और पोटाश 60 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से आवश्यकता होती है।
सुपर फास्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा और यूरिया की एक तिहाई मात्रा रोपाई के समय खेतों में मिला लें। शेष यूरिया खाद रोपाई के एक – एक महीने के अन्तराल पर चायनीज सरसों (Chinese Mustard) फसल में डालें।
चायनीज सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in ChineseMustard crop)
खरपतवार फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते है, इसलिए इनसे होने वाली हानि को रोकने के लिये निराई गुड़ाई करना आवश्यक है। चायनीज सरसों (Chinese Mustard) में 2 से 3 बार निराई गुड़ाई कने की आवश्यकता पड़ती है। निराई गुड़ाई करते समय पौधों पर मिट्टी भी चढ़ावें और फसल को खरपतवार मुक्त रखें।
चायनीज सरसों की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in ChineseMustard Crop)
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की पौध लगाने के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये, बाद में आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहें। हल्की मिट्टी में 5 से 6 दिन के बाद तथा भारी मिट्टी में 8 से 10 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिये।
चायनीज सरसों की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Chinese mustard crop)
काला सड़न रोग: पत्ते के संक्रमित स्थानों की पत्तियां पीली हो जाती हैं तथा ‘वी’ आकार के भूरे रंग के धब्बे नीचे से ऊपर की ओर बढ़ते हैं। पौधे के पत्ते की मुख्य तथा अन्य शिरायें गहरे काले रंग की हो जाती हैं। प्रभावित फूल भूरे से काले पड़ने लगते हैं और सड़ जाते हैं।
नियंत्रण: बीज को हमेशा गर्म पानी व स्ट्रेप्टोसाईक्लिन से उपचारित कर पौधशाला में लगायें। बीज को 30 मिनट तक पानी में (50° सेल्सियस तापमान) एक कपड़े की थैली में डालकर डुबो कर रखें, बाद में इतने ही समय तक स्ट्रैप्टोसाईक्लीन (1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के घोल में रखें। फूल बनने पर 15 दिन के अन्तराल पर स्ट्रेप्टोसाईक्लीन (1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
कर्डरॉट (फूल सड़न): इस रोग से चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के फूल का सड़ना कहीं से भी शुरू हो सकता है। सामान्यतः फूल घाव से ही सड़ने लगते है।
नियंत्रण: पाला पड़ने से पूर्व फलों पर सुरक्षात्मक छिड़काव मैनकोजैब (इण्डोफिल एम – 45) 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी और स्टेप्टोसाईक्लिन 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के घोल का फूलो पर छिड़काव करें। इस छिड़काव को दो बार 8-10 दिनों के अन्तराल पर भी करें। फूल के ग्रसित भागों को चाकू से अलग कर दें।
तना सड़न रोग: पत्तों की चमक समाप्त हो जाती है तथा गिर जाते हैं। तने अन्दर से सड़ कर खोखले तथा काले हो जाते हैं। फूल वाले कल्लों पर पनीले धब्बे प्रकट होते हैं, जो चांदी जैसे हो जाते हैं और मुरझा जाते हैं, अत: फलियां नहीं बनती।
नियंत्रण: रोगी पत्तों को नष्ट कर दें। फसल पर फूल बनने से बीज बनने तक 10-15 दिन के अन्तराल पर बैविस्टिन (5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) और मैनकोजैब (इंडोफिल एम – 45 ) (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के मिश्रण का छिड़काव करें।
डाऊनी मिल्डयू: इससे फूल सड़ जाते है। गला सड़ा भाग भूरा तथा किनारे काले हो जाते है। पत्तों पर भी विशेष प्रकार के धब्बे पड़ जाते हैं तथा पत्तों के निचली तरफ इन धब्बों में सुबह धूप निकलने से पहले सफेद रंग की फफूंद दिखाई देती है।
नियंत्रण: फसल पर रिडोमिल एम जैड 25 ग्राम प्रति 10 लीटर प्रति पानी या मैनकोजैब (इंडोफिल एम-45 ) 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव रोग प्रकट होते ही तथा बाद में 10-15 दिन के अन्तराल पर भी करते रहें।
मृदुरोमिल रोग: इस रोग से चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के पत्तों पर धुंधले हरे से पीले भूरे काले धब्बे पड़ जाते हैं।
नियंत्रण: पौधशाला की क्यारियों में रिडोमिल एम जैड, 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें।
चायनीज सरसों की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Chinese mustard crop)
गोभी का तेला: दिसम्बर से मार्च में पत्तों की निचली सतह पर हरे रंग के छोटे कीट जिस पर राख जैसा चूर्ण होता है, प्रकट होते हैं। चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के पौधे अस्वस्थ लगते हैं तथा इनके पत्ते मुड़ जाते हैं।
नियंत्रण: खाने वाली फसल पर 100 मिली मैलाथियान 50 ईसी प्रति 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इस छिड़काव को हर 15 दिन बाद करते रहें। तुड़ाई के सात दिन पहले फसल पर छिड़काव बन्द कर दें।
सुंडियां: सफेद तितली, सेमी लूपर, डायमंड बैक मॉथ व फलछेदक की सुंडियां मध्य फरवरी से पत्तियां खाकर हानि पहुँचाती हैं, फलछेदक कीट फूल निकलने और फली बनने पर आक्रमण करता है।
नियंत्रण: सफेद तितली की सुंडियों व पीले अण्डो को चुन कर नष्ट कर दें। 100 मिली मैलाथियान 50 ईसी या 50 मिली न्यूवान 100 को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। बीज वाली फसल पर सुंडियाँ प्रकट होने पर 40 मिली साइपरमैथरिन 25 ईसी या 100 मिली को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें।
पेंटिड बग: शिशु और प्रौढ चायनीज सरसों (Chinese Mustard) पौधों के पत्तों और फलियों में रस चूसते है, जिससे बीज सिकुड़ जाता है और उपज में कमी आती है।
नियंत्रण: 100 मिली मिथाईल डेमिटान 25 ईसी को 100 लीटर पानी में घोल कर छिड़कें। बीज वाली फसल में अवांछनीय पौधों को छिड़काव से पहले ही उखाड़ दें। फूल आने पर छिड़काव शाम के समय करें तथा समीप में स्थित मौनगृह के द्वार दूसरे दिन बन्द रखें।
लाल चींटी: कई स्थानों पर लाल चींटियों का आक्रमण पाया गया है। चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के नव- रोपित पौधों की रोयेदार जड़ों और छाल पर कीड़े पलते है और प्रभावित पौधे सूख कर मर जाते हैं।
नियंत्रण: रोपाई के समय 80 मिली क्लोरपाईरिफास 20 ईसी को 1 किग्रा रेत में मिलाकर प्रति कनाल की दर से खेतों में डालें।
चायनीज सरसों की फसल की कटाई और उपज (Harvesting and yield of Chinesemustard crop)
चायनीज सरसों की कटाई: रोपाई के लगभग 4-5 सप्ताह बाद पत्तों को पहली बार निकाला जा सकता है, इसके पश्चात् हर 10-15 दिन के अन्तराल पर पत्तों को निकालते रहें। बाहरी पत्तों को हाथ से तोड़ कर बंडल बनाकर बांधें। यदि दराती से पालक की तरह काटा जाये तो अगली कटिंग देर में आयेगी।
चायनीज सरसों की उपज: चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की प्रजातियों की पैदावार अलग-अलग होती हैं। लेकिन यदि उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीक से चायनीज सरसों की खेती की जाये, तो इसकी फसल से 200 से 400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
चायनीज सरसों की बिजाई के लिए दो तरीके प्रयोग किए जाते हैं। नर्सरी में सबसे पहले बिजाई करें और खादों का प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करें। बिजाई के 25-30 दिनों के बाद नए पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खेत में पौध की रोपाई के लिए 3-4 सप्ताह पुराने चायनीज सरसों (Chinese Mustard) के पौधों का प्रयोग करें।
चायनीज सरसों को मूलत शीतल तथा आर्द्र जलवायु की फसल माना जाता है। अच्छे अंकुरण के लिए इसको 15 से 20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। चायनीज सरसों के फूल का विकास किस्मों के अनुसार तापमान पर निर्भर करता है। चायनीज सरसों (Chinese Mustard) को अधिक ठंड और पाले का प्रकोप होने से फूलों को अधिक नुकसान होता है।
चायनीज सरसों को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन यह अच्छी जल निकासी वाली, दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है, जिसमें कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में हों। चायनीज सरसों (Chinese Mustard) की अधिकतम पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच 6.5 – 7.0 पर समायोजित करें।
निचले क्षेत्रों के लिए: अगस्त – अक्तूबर, मध्य क्षेत्रों के लिए: जुलाई – अक्तूबर और ऊंचे क्षेत्रों के लिए: अप्रैल – जून चायनीज सरसों (Chinese Mustard) बुआई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।
आमतौर पर चायनीज सरसों फसल की अवधि 45-120 दिन होती है। औसत उत्पादन 200-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। किसान इसे अगस्त से अक्टूबर तक क्यारियों में बिजाई कर सकते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण समय, जब चायनीज सरसों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है, वह रोपाई के तुरंत बाद और विकास के शुरुआती चरणों में होता है। क्योंकि जड़ें अभी भी अविकसित होती हैं, इसलिए पानी की कमी नुकसानदायक हो सकती है। सामान्य तौर पर 10 से 15 दिन के अंतर से सुबह-शाम सिंचाई करें। क्योंकि चायनीज सरसों (Chinese Mustard) को अधिक ठंड की जरूरत होती है।
चायनीज सरसों (Chinese Mustard) को पकाकर खाया जाता है और अचार आदि भी बनाया जाता है। पौध रोपण के 3 से 4 माह में शाक योग्य फल हो जाते है। उपज की अवधि 45 से 120 दिन की होती है। प्रति हेक्टेयर 200 से 450 क्विंटल फल प्राप्त हो जाते है।
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