Cluster Bean Farming: ग्वार फली एक सूखा सहन करने और गहरी जड़ों वाली फसल है। यह शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र की एक विशेष फसल है, क्योंकि यह कम उर्वरा वाली रेतीली मिट्टी में आसानी से उगाई जा सकती है। कम वर्षा और विपरीत परिस्थितियों वाली जलवायु होने पर भी फली ग्वार (Cluster Bean) भरपूर पैदावार देती है। व्यवसायिक जागरूकता और बाजार में माँग बढ़ने के कारण सब्जी वाली ग्वार फली के उत्पादन पर किसान ध्यान देने लगे हैं।
सब्जी वाली ग्वार फली (Cluster Bean) की फसल में बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद कच्ची फलियाँ तुड़ाई पर आ जाती हैं, जिससे किसान को एक लम्बे समय तक नगदी फसल के रूप में लाभ प्राप्त होता रहता है। परम्परागत ढंग से बारानी या सिंचित खेती करने पर किसान इस फसल से पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
जिसका प्रमुख कारण उन्नत किस्म के बीजों का अभाव और खेती में आधुनिक तरीकों को नहीं अपनाना प्रमुख है। क्षेत्रीय जलवायु को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक ढंग से फसल उत्पादन प्रक्षेत्र का प्रबन्धन किया जाता है तो पैदावार के साथ ही आर्थिक लाभ भी अधिक होगा। इस लेख में ग्वार फली (Cluster Bean) की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें, का उल्लेख किया गया है।
ग्वार फली के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cluster bean)
यह गर्म जलवायु का पौधा है। सूखे और गर्म मौसम के लिए यह एक उपयुक्त फसल है। अत्यधिक बरसात व ठण्ड को यह सहन नहीं कर पाती है। शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों मे जहाँ बरसात कम परन्तु एक नियमित अन्तराल पर हो तो ग्वार फली (Cluster Bean) की फसल से अत्यधिक उत्पादन लिया जा सकता है। उन प्रदेशों में जहाँ अत्यधिक गर्मी पड़ती है तथा सिंचाई की सुविधा हो तो भी ग्वार फली की फसल से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
ग्वार फली के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cluster bean)
सभी तरह की मिट्टियों में ग्वार फली की खेती सुगमता से की जा सकती है, परन्तु उचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी गई है। भारत के उत्तरी पश्चिमी भू-भाग की रेतीले टिब्बों वाली मिट्टी भी ग्वार फली की फसल के लिए उपयुक्त है। ग्वार फली (Cluster Bean) की खेती हल्की क्षारीय और लवणीय भूमि में जिसका पीएच मान 7.5 से 8.0 तक हो वहाँ भी की जा सकती है।
ग्वार फली के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Guar Bean)
ग्वार फली (Cluster Bean) की भरपूर पैदावार के लिए खेत का चयन और उसकी तैयारी पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। ग्वार फली की जायद की फसल बुवाई हेतु खेत को नवम्बर दिसम्बर में जुताई कर खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए। इस समय खेत की जुताई करने से सर्दी की ऋतु में होने वाली बारिश का पानी खेत में ही संचित हो सकेगा जो कि जायद की फसल के लिए लाभदायक रहता है।
वर्षाकालीन ग्वार फली (Cluster Bean) की फसल हेतु खेत की जुताई जून के अंतिम पखवाड़े में करें। इस समय खेत को एक बार आड़ा और तिरछा जोतकर उसमें लगभग 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी खाद मिलाकर खेत में पाटा लगाकर तैयार कर देना चाहिए।
वर्षा ऋतु वाली फसल के लिए इस तरह तैयार खेत में खरपतवार कम उगते हैं तथा अधिक वर्षा जल का संचय होता है। खेत को समय पर तैयार रखने से जुलाई के महीने में वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही फसल बुवाई समय पर सम्भव हो सकती है। वर्षा आधारित ग्वार फली उत्पादन के लिए खेत का चयन और समय पर उसकी तैयारी पर विशेष ध्यान कर कम खर्च में फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
ग्वार फली के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for cluster beans)
अधिक उत्पादन के लिए कृषक बंधुओं को अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म का चयन करना चाहिए। कुछ प्रमुख ग्वार फली (Cluster Bean) की उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे: पूसा मौसमी, पूसा सदाबहार, पूसा नवबहार, दुर्गा बहार, शरद बहार, एम – 83, गोमा मंजरी और एएचजी 13 आदि है।
ग्वार फली के लिए बुवाई का समय (Sowing time for cluster beans)
ग्वार फली के अच्छे उत्पादन के लिए जायद की फसल के लिए बुवाई फरवरी – मार्च तथा वर्षा ऋतु की फसल के लिए बुवाई जून – जुलाई माह में करना उपयुक्त रहता है। जून के आखिरी सप्ताह में या मानसून के शुरू होने के बाद भी इसे उगाया जा सकता है। सिंचित स्थिति में इसे जुलाई के आखिरी सप्ताह तक बोया जा सकता है।
गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली ग्वार फली (Cluster Bean) फसल के लिए रोपण का समय भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फरवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन फसल के लिए ग्वार बीन की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय है।
ग्वार फली के लिए बीज की मात्रा (Quantity of seeds for cluster bean)
ग्वार फली के बीज की प्रति हेक्टेयर मात्रा इस बात पर निर्भर करती है, कि उसे किस मौसम में उगाया जा रहा है और किस तरह से बुवाई करनी है। यदि बीज को छिड़काव विधि से उगाया जा रहा है, तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलो बीज की आवश्यकता होती है। यदि इसे पंक्तियों में उगाना हो तो 14 से 16 किलो ग्राम बीज ही पर्याप्त होता है। हालाँकि ग्वार फली (Cluster Bean) की बुवाई पंक्तियों में करना अच्छा रहता है, इससे अच्छा और गुणवत्ता वाला उत्पादन मिलता है।
ग्वार फली के लिए बीज का उपचार (Seed treatment for cluster bean)
ग्वार फली (Cluster Bean) पौधों की अच्छी प्रारम्भिक बढ़वार के लिए बीज को उपचारित करना बहुत ही जरूरी है। ग्वार फली पौधों की जड़ों में अधिकतम गाँठो के बनने और अधिकतम वातावरणीय नत्रजन भूमि में स्थापित करने के लिए उचित प्रकार के राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना आवश्यक है।
इसके लिए बीजों को सर्वप्रथम 2 ग्राम कैप्टान या बेवास्टिन नामक दवा से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। इसके बाद बुवाई से पहले बीजों को 2 से 3 ग्राम राइबोजियम कल्चर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
ग्वार फली के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for cluster bean)
आमतौर पर किसान ग्वार की बुवाई छिटकवा विधि से करते हैं। इस विधि में समय कम लगता है और सुगमता भी रहती है, परन्तु इस विधि से उपज कम मिलती है। इसलिए बेहत्तर उत्पादन के लिए हमेशा पंक्तियों में बुवाई करनी चाहिए। बीजों को हल के पीछे कुण्डों में बोया जाता है, तो फसल की देखभाल करने में आसानी रहती है।
इस विधि में कुण्डो में पौधों की जड़ो के पास वर्षा जल अधिक संग्रहित होता है। पौधों की बढ़वार अच्छी होती है और पैदावार ज्यादा मिलती है। बुवाई के लिए सीड ड्रील का इस्तेमाल भी बहुत अच्छा रहता है। ग्वार फली (Cluster Bean) की बुवाई पंक्तियों में 30 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए और पौधों का पंक्तियों में आपसी फासला 15 सेमी रखना चाहिए।
ग्वार फली के लिए खाद और उवर्रक (Manure and Fertilizer for cluster bean)
अधिकतर किसान ग्वार फली की फसल में संतुलित और सही तरीके से खाद एवं उर्वरकों का इस्तमाल नहीं करते हैं, जिससे मिट्टी में उर्वरा शक्ति कम होने के कारण पैदावार कम मिलती है। सामान्य रूप से जहाँ पर मिट्टी की जाँच नहीं हो पाती है, वहाँ सब्जी वाली ग्वार फली (Cluster Bean) की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कम से कम 200 से 250 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद डालनी चाहिए।
इसके साथ 25 से 30 किलो नाइट्रोजन, 40 से 50 किलो फास्फोरस, 20 किलो सल्फर और 5-7 किलोग्राम जिंक देने से उत्पादन अच्छा लिया जा सकता है। गोबर की खाद को खेत की अंतिम जुताई से पहले बराबर से बिखेर कर जुताई करनी चाहिए। जबकि उर्वरकों को खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि में डालना चाहिए।
ग्वार फली फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Cluster Bean Crop)
वर्षा ऋतु में उगाई जाने वाली ग्वार फली (Cluster Bean) की फसल में सही समय और अंतराल पर उचित वर्षा होती रहे, तो अतिरिक्त सिंचाई जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। आमतौर पर इसे वर्षाकालीन फसल के रूप में उगाया जाता है। समय पर वर्षा न हो तो आवश्यकता के अनुरूप 2-3 सिंचाई करनी चाहिए। फूल आने के समय तथा फलियाँ बनने के समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए नहीं तो पैदावार और फलियों की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
शुष्क क्षेत्रों में जहाँ वर्षा की मात्रा तथा अंतराल अनिश्चत है, ऐसी स्थिति में ग्वार फली की फसल में यदि 15-20 दिन तक बरसात नहीं होती है, तो 1 – 2 जीवनदायी सिंचाई कर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। ग्रीष्मकालीन फसल में अच्छी गुणवत्तायुक्त फसल उत्पादन के लिए सिंचाई जल प्रबंधन बहुत ही जरूरी है। इस फसल में सिंचाई 7 से 10 दिन के नियमित अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए, सिंचाई हल्की और कम गहरी होनी चाहिए। फव्वारा विधि से सिंचाई करना अधिक उपयुक्त पाया गया है।
ग्वार फली फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Guar beans crop)
ग्वार फली (Cluster Bean) फसल के साथ खरपतवार भी बुवाई के 5 से 6 दिन बाद ही निकल आते हैं। बुवाई के बाद विशेष ध्यान देना चाहिए कि क्यारियों में पानी न रुके अन्यथा बीज के सड़ने की सम्भावना रहती है। खरपतवार फसल के साथ पौषक तत्वों, नमी, स्थान, धूप आदि के लिए होड़ करते हैं, जिसकी वजह से पौधे के विकास व बढ़वार पर प्रभाव पड़ता है।
सही समय पर निराई गुड़ाई करके खरपतवारों को खत्म कर देना चाहिए। ग्वार फली (Cluster Bean) फसल को बोने के 20 से 25 दिन तक खरपतवारों से पूर्णरूप से नियंत्रित रखें। एक से दो बार निराई गुड़ाई कर खरपतवार निकालना लाभदायक रहता है। इससे जड़ों में वायु संचार की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए स्टाम्प 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 2 दिन के अंदर छिड़काव करना चाहिए या लासों की 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के तुरंत बाद में छिड़काव करें। फसल बोने से पूर्व खेत में 1.0 या 1.5 किग्रा बेसालीन या ट्रिफलान करीब 8 से 10 सेमी भूमि की गहरी सतह में मिलाकर बीज बोना लाभदायक रहता है।
ग्वार फली की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in cluster bean crop)
एन्थ्रक्नोज: यह बीमारी तने, पत्तियों तथा फलियों को प्रभावित करती है। प्रभावित भाग भूरे रंग के हो जाते हैं। जिनके किनारे लाल या पीले रंग के हो जाते हैं । प्रभावित तने फटकर सड़ जाते हैं। फलियों पर छोटे-छोटे काले रंग के बिन्दु जैसे आकार के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यह बीमारी रोग ग्रसित बीज से फैलती है।
नियंत्रण: ग्वार फली (Cluster Bean) की बुवाई से पूर्व बीजों को सेरेसान या कैप्टान या थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। रोग ग्रसित पत्तियों और फलियों पर डाईथेन एम- 45 या बाविस्टिन 0.1 प्रतिशत का घोल बनाकर 7 से 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
चूर्णी फफूंद: इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ तथा हरे भागों पर सफेद चूर्णी युक्त धब्बे पड़ जाते हैं। इस रोग का असर पौधे के सभी भागों पर पड़ता है। सबसे पहले पत्तियों पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं जो बाद में तने और हरी फलियों पर भी फैल जाते है। रोग का ज्यादा असर होने पर पत्तियाँ सड़ कर गिर जाती हैं। इस बीमारी से फसल उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
नियंत्रण: जैसे ही ग्वार फली (Cluster Bean) के पौधों पर रोग के आसार दिखाई दें, घुलनशील गंधक की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें अथवा कैराथेन दवा की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोलकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
जीवाणु अंगमारी: यह रोग जीवाणु द्वारा फैलता है। यह ग्वार फली (Cluster Bean) का एक भयंकर रोग है, जिसके कारण ग्वार की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जीवाणु अंगमारी बीमारी के कारण पत्तियों की निचली सतह पर गोल नसों के बीच में पानी और तेल जैसी सोखी हुई आकृतिनुमा धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे बढ़कर पूरी पत्ती को ढक लेते हैं और तनों में दरार भी पड़ जाती है।
नियंत्रण: रोगरहित क्षेत्रों मे उत्पादित बीज ही बोऐं। सही फसल चक्र अपनाएं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजों को 50 डिग्री सेन्टीग्रेड गर्म पानी में 10 मिनट तक रखकर बुवाई करें। बुवाई से पूर्व बीजों को 100 पीपीएम स्ट्रप्टोमाइसिन रसायन से भी उपचारित किया जा सकता है।
जड़ गलन: इस रोग से ग्वार फली (Cluster Bean) के पौधों की प्राथमिक जड़ों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पौधों की जलापूर्ति में बाधा पड़ती है और आखिर पौधे मुरझा जाते हैं।
नियंत्रण: बीजों को बुवाई से पहले वीटावैक्स 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें। जड़ गलन की रोकथाम के लिए मई – जून में सिंचाई व जुताई कर खेत खुला छोड़ दें, और फसल को खरपतवारों से मुक्त रखें।
मोजेक: यह विषाणु जनित बीमारी है। इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तियों पर गहरे हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। पत्तियाँ अंदर की तरफ सिकुड़ जाती हैं और अंत में पूरा ग्वार फली (Cluster Bean) का पौधा पीला पड़ जाता है।
नियंत्रण: रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर जला दें। रोग अवरोधी किस्मों का चयन करें। बीमारी फैलाने वाली सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए न्यूवाक्रान या मैटासिस्टाक्स एक मिली प्रति लीटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें।
ग्वार की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in cluster bean)
माहू: यह एक छोटा, भूरे या काले रंग का कीट है, जो ग्वार फली (Cluster Bean) पौधे के कोमल भागों, खासकर पत्तियों का रस चूसता है। जब ये कीट ज्यादा संख्या में होते हैं तो ये विकसित कलियों पर आक्रमण करते हैं, जिससे पौधे की बढ़वार और उपज में कमी हो जाती है। ये कीट मोजेक रोग फैलाने में भी सहायता करते हैं।
नियंत्रण: प्रारंभ में जब पौधों पर फलियाँ न बनी हो तो मिथाइल डेमेटान या रोगोर 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। फसल पर फलियाँ आ गई हो तो उस स्थिति में जो फलियाँ पूरी तरह से विकसित हो गई हो, उन्हें तोड़कर मेलाथियान 50 ईसी 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
चेपा/ जैसिड: यह कीट 2 मिमी लम्बा और हरे रंग का होता है। इस कीट के निम्फ बिना पंख वाले और पत्तियों की निचली सतह पर काफी संख्या में पाए जाते हैं। इसके निम्फ और प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों के ऊतकों में छेद करते हैं और कोशिकाओं का रस चूसते हैं, जिसकी वजह से ग्वार फली (Cluster Bean) की पत्तियाँ मुड़ जाती हैं।
नियंत्रण: प्रारंभ में जब पौधों पर फलियाँ न बनी हो तो मिथाइल डेमेटान या रोगोर 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फसल पर फलियाँ आ गई हो तो उस स्थिति में जो फलियाँ पूरी तरह से विकसित हो गई हो, उन्हें तोड़कर मेलाथियान 50 ईसी 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
फली बेधक: यह कीट पहले ग्वार फली (Cluster Bean) फलियों की उपरी सतह को खाता है फिर छेद करके फलियों में प्रवेश कर बीजों को खाता है इस तरह पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।
नियंत्रण: इस कीट के नियंत्रण के लिए मेलाथियान 50 ईसी 1.5 मिली या एन्डोसल्फान 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
ग्वार फलियों की तुड़ाई और उपज (Harvesting and yield of Guar beans)
फसल को सब्जी के लिए उगाया गया है, तो ग्वार फलियों को पूरी तरह से तैयार होने पर मुलायम अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए। नर्म, कच्ची, हरी फलियों की तुड़ाई नियमित रूप से 4-5 दिन के अंतराल पर करें। आमतौर पर बुवाई के 55 से 80 दिन के बाद ग्वार फलियाँ (Cluster Bean) तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। अच्छी फसल उत्पादन व्यवस्था अपनाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र से 80 से 130 क्विंटल तक फलियों की उपज ली जा सकती है।
फसल यदि बीज या दाने के लिए उगाई गयी है, तो फसल तैयार होने में लगभग 120 दिन लग सकते हैं। जब फलियाँ पूरी तरह से पक जाती हैं तब ही कटाई करनी चाहिए। ग्वार फसल को धूप में सुखाकर और गहाई कर के बीज निकाल लेने चाहिए। एक हेक्टेयर फसल क्षेत्र से 10 से 17 क्विंटल दाना तथा इतना ही चारा प्राप्त हो जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
सिंचित परिस्थितियों में, इसे जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बोया जा सकता है। गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली फसल के लिए रोपण का समय भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन फसल के लिए ग्वार फली (Cluster Bean) की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय होता है।
ग्वार फली (Cluster Bean) की बीज दर 14 से 24 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है।
सब्जियों के लिए, बुवाई के 40 दिन बाद कटाई शुरू होती है और ग्वार फलियों (Cluster Beans) को कोमल अवस्था में तोड़ा जाता है। औसतन, 120 दिनों की फसल अवधि के भीतर 6-8 टन सब्जी की उपज और 0.6 से 1.2 टन प्रति हेक्टेयर बीज की उपज की उम्मीद की जाती है।
एक एकड़ भूमि में लगभग 20-25 क्विंटल हरी फलियाँ प्राप्त हो सकती हैं। पहली कटाई बुवाई के 45 दिन बाद की जा सकती है।
ग्वार फली (Cluster Beans) की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उसमे उचित खाद और उर्वरक देनी चाहिए। साथ ही खरपतवार नियंत्रण बहुत जरुरी है। रोग और कीटों का नियंत्रण न करने से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। अधिक फल एवं फूल की वृद्धि के लिए जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
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