Desi Cotton Varieties: भारत में सदियों से उगाई जाने वाली कपास की एक पारंपरिक किस्म देसी कपास, देश के कृषि परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अपनी अनूठी विशेषताओं और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाने वाली देसी कपास की किस्मों ने भारत के कपड़ा उद्योग और ग्रामीण आजीविका को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
देसी कपास भारत में उगाई जाने वाली पारंपरिक कपास की किस्मों को संदर्भित करता है, जिनकी खेती सदियों से की जाती रही है, जो अपनी अनूठी विशेषताओं और लचीलेपन के लिए जानी जाती हैं। इस लेख में, हम देसी कपास की किस्मों (Desi Cotton Varieties) और विशेषताओं और पैदावार पर प्रकाश डालते हैं।
देसी कपास की उन्नत किस्में (Improved varieties of Desi cotton)
देसी कपास के रेशे अपनी कोमलता और बेहतर नमी अवशोषण के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें ऐसे कपड़ों के लिए आदर्श बनाता है जो अलग-अलग मौसम की स्थितियों में पहनने के लिए आरामदायक होते हैं। इसलिए इसकी उन्नत किस्मों का सही चयन बहुत जरूरी हो जाता है। देसी कपास (Desi Cotton) की कुछ उन्नत किस्मे इस प्रकार है, जैसे-
उन्नत किस्में: एचडी 123, एचडी 324, एचडी 432, एचडी 107, आरजी 18, आर जी- 8 और आरजी 542 आदि प्रचलित किस्में है।
संकर किस्में: एएएच 1 और राज डीएच 9, एचएचएच 223, एचएचएच 287, केआर 64 और सीआईसीआर 2 आदि मुख्य है।
देसी कपास किस्मों की विशेषताएं और पैदावार (Characteristics and yield of Desi cotton varieties)
आर जी- 8: इस देसी कपास (Desi Cotton) किस्म के पौधों की पत्तियाँ संकरी गहरी कटी हुई होती है। फूल हल्के पीले रंग के जिनकी पंखुड़ियों के अन्दर लाल धब्बे पाये जाते हैं। टिण्डों का आकार अंडाकार होता है। यह किस्म अन्य प्रमाणित किस्मों की अपेक्षा जल्दी पकती है । इसकी ओटाई प्रतिशत भी अधिक होती है।
आर जी- 18: यह मध्यम समय (160-170 दिन) में पकने वाली एकांक्षी शाखाओं वाली देसी कपास (Desi Cotton) की किस्म है। इसके पौधों की ऊँचाई 130-140 सेमी होती है। इसकी पत्तियाँ सैंकड़ी व बैंगनी रंग की होती है व फूलों का रंग गुलाबी होता है, जिस पर गहरे लाल रंग के धब्बे पाये जाते हैं। टिण्डे का आकार मध्यम (औसत वजन 2.2 ग्राम ) व औसत ओटाई 38 प्रतिशत है। इसकी औसत उपज 24-26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है। यह किस्म जड़गलन रोग के प्रति सहनशील है।
राज डी एच- 9: इस जीएमएस आधारित संकर देसी कपास (Desi Cotton) किस्म के पौधों की ऊँचाई 140-145 सेमी पत्तियाँ अर्द्ध चौड़े आकार की व हरे रंग की होती है। फूल पीले रंग का, जिनकी पंखुड़ियों के अन्दर लाल धब्बे पाये जाते हैं। टिण्डों का आकार अर्द्ध अण्डाकार होता है तथा औसत ओटाई 39 प्रतिशत है। इस किस्म की औसत उपज 26-27 क्विंटल प्रति हैक्टर आंकी गई है। यह किस्म 160-170 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
एच डी- 123: इस देसी कपास (Desi Cotton) किस्म की पत्तियाँ सकड़ी कटी होती है। इसमें फल छोटे एवं सफेद रंग के होते है जिनकी पंखुड़ियों के अन्दर लाल-धब्बे पाये जाते है। इसकी औसत उपज लगभग 20-25 क्विंटल प्रति हैक्टर होती है। इसकी ओटाई 36-37 प्रतिशत होती है।
आर जी- 542: यह किस्म आरजी 255 पीए 255 के संयोग से विकसित की गई है। इसके पौधे 140–145 सेमी लम्बे होते है । फूल क्रीम रंग के पंखुड़ियों की अन्दरूनी निचली सतह पर लाल धब्बे होते है। टिण्डों का औसत वजन 3.00 ग्राम होता है। ओटाई प्रतिशत लगभग 35.9 होती है, जबकि रेशे की औसत लम्बाई 23.2 मिमी पाई गई है। अनुकूल परिस्थितियों व उचित प्रबंधन से यह किस्म 160-170 दिनों में तैयार होकर लगभग 30 क्विटंल प्रति हैक्टर तक उत्पादन दे सकती है। इस किस्म में रूई झड़ने की समस्या तुलनात्मक रूप से कम है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
‘देसी कपास (Desi Cotton Varieties)’ स्वदेशी कपास है। आज भारत का 97% देसी कपास घटकर 3% रह गया है। आनुवंशिक रूप से संशोधित कपास पर अत्यधिक निर्भरता के कारण, देश अपने स्वयं के स्वदेशी बीजों को भूल गया है।
देसी कपास (गोसिपियम हर्बेशियम) महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, क्योंकि यह कपड़ा उद्योगों के लिए लिंट और स्पिननेबल फाइबर का मूल्यवान स्रोत है।
सीआईसीआर 2: इस वैरायटी को सीआईसीआर की ओर से विकसित किया गया है और सेंट्रल वैरायटल रिलीज कमेटी की ओर से उत्तरी भारत की कपास बेल्ट में उत्पादन के लिए अनुमोदित किया गया है।
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