Direct Sowing of Paddy in Hindi: पारंपरिक धान की खेती के तरीकों में धान की सीधी बुआई (DSR) महत्वपूर्ण है। यह जल उत्पादकता बढ़ाने, श्रम कम करने और जलवायु अनुकूल कृषि में योगदान देने की क्षमता प्रदान करती है। यह लेख इस नवीन दृष्टिकोण की व्यापक समझ को विकसित करने के साथ डीएसआर की क्षमता, निष्पादन और समस्याओं का पता लगाता है।
डीएसआर में सिंचाई जल की आवश्यकताओं (30 प्रतिशत तक) तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता निहित है। इस प्रकार यह टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि में योगदान देती है। डीएसआर में पारंपरिक धान रोपाई से जुड़ी मशक्कत को कम करने और फसल की पैदावार बढ़ाने की क्षमता होती है।
जिससे यह किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना हुआ है। धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) का प्रदर्शन आशाजनक है। खरपतवार प्रतिस्पर्धा, असंगत अंकुरण और पोषक तत्व प्रबंधन के मुख्य मुद्दे इसको आसानी से अपनाने में बाधाएं पैदा करते हैं। आइये जाने धान की सीधी बुआई वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें।
धान की सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for direct sowing of paddy)
शुक और आद्र मौसम की आवश्यकता धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) के लिए होती है एवं पकने के समय हल्की ठण्ड वाला मौसम अनुकूल माना जाता है। भारत में धान की खेती विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में अलग – अलग तरीकों से की जाती है। धान की खेती के लिए 21 – 40 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान आदर्श माना जाता है। वर्षा आधारित, सिंचित, असिंचित सभी क्षेत्रों में धान की में खेती की जाती है।
धान की सीधी बुवाई के लिए मिट्टी का चयन (Selection of soil for direct sowing of paddy)
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। धान की सीधी बुवाई बलुई दोमट से लेकर भारी चिकनी मिट्टी में जहां पर धान की रोपाई की जाती है। उन सभी प्रकार की भूमियों में धान की सीधी बुवाई भी की जा सकती है।
धान की सीधी बुवाई के लिए भूमि की तैयारी (Land preparation for direct sowing of paddy)
धान की सीधी बुवाई करने के लिए खेत का समतल होना आवश्यक है। खेत के ठीक से समतलीकरण न होने के कारण परंपरागत विधि द्वारा समतल करने के बाद भी अधिकतर खेतों में 8–15 सेंटीमीटर का तलीय अन्तर बना रहता है। जिससे किसानों को अधिक क्षति उठानी पड़ती है। इसके निदान हेतु खेतों को लेजर लैंड लेबलर से समतल करने की आवश्यकता है।
इसके लिए खेत की जुताई उपरांत लेजर लैंड लेबलर द्वारा खेत को समतल किया जाता है। धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) से अच्छी पैदावार लेने के लिए गेहूँ की कटाई के बाद एक जुताई करके पाटा लगा कर खेत को समतल करे। इसके बाद पलेवा कर खेत को हल्की जुताई कर तैयार करें और धान की सीधी बुवाई करे।
धान की सीधी बुवाई के लिए किस्मों का चयन (Selection of varieties for direct sowing of paddy)
गेहूं कटाई के बाद धान की समय से बुआई और सिंचाई की बचत के लिए कम समय में पकने वाली या संकर धान का प्रयोग करना चाहिए। यद्यपि लम्बी अवधि वाली प्रजातियों का फायदा है जहॉ जल निकास की उचित व्यस्था हो जिससे कि कटाई जल्दी हो जाय। कृषकों को अपने क्षेत्र की अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए। धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) के लिए कुछ किस्में इस प्रकार है, जैसे-
लम्बी अवधि वाली धान की किस्में: बीपीटी 5204 ( सांभा महसूरी), एमटीयू 7029 (नाटा महसूरी), राजेन्द्र महसूरी – 1, मोती, स्वर्णा सब – 1 ( बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए) और राजश्री प्रमुख है।
मध्यम अवधि वाली धान की किस्में: एराइज 6444, पीएचबी – 71, एराइज प्राइमा, एराइज धानी, डीआरएच – 748, आरएच – 1531, यूएस – 312 27 पी 31, एनके 5251ए, राजेन्द्र स्वेता, राजेन्द्र सुभाषिनी, एमटीयू 1001 और एनडीआर – 359 मुख्य है।
छोटी अवधि वाली धान की किस्में: सरयू – 52, राजेन्द्र भगवती, पीआरएच – 10, एराइज – 6129, एराइज तेज, आरएच – 257, डीआरएच – 2366, डीआरएच – 834, पीएसी – 807, सहभागी धान और अभिषेक (सूखा प्रभावित के लिए) आदि मुख्य है।
धान की सीधी बुवाई के लिए बीज दर और उपचार (Seed rate and treatment for direct sowing of paddy)
बीज की मात्रा: जीरो टिलेज मशीन से धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) हेतु हो रहे विभिन्न प्रक्षेत्रों पर प्रयोगों के आधार पर सामान्य प्रजातियों के मध्यम दाने के बीज हेतु 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर अच्छी पायी गयी है तथा संकर धान के लिए लगभग 15-17 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर प्रयोग करें।
बीज का उपचार: बीजों को कीटनाशी रसायन क्लोरपाइरीफॉस 2.5 मिली प्रति किग्रा बीज और फफूँदीनाशक कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से बीजोपचार करना चाहिए, इसके अतिरिक्त जैव उर्वरकों जैसे एजोस्पाइरिलम एवं पी एस बी (200 ग्राम प्रति 10 किग्रा बीज) से भी बीज को उपचारित करना फायदेमंद रहता है।
बीज की गहराई: मिट्टी की गहराई का बीजों के अंकुरण पर काफी प्रभाव पड़ता है। अच्छे फसल अंकुरण के लिए बीज की कम गहराई सामान्यत: 2-3 सेंटीमीटर उपयुक्त होती है।
धान की सीधी बुवाई के लिए बुवाई का समय (Sowing time for direct sowing of paddy)
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक होता है। यदि 30 जून के बाद बुआई करनी है तो कम अवधि वाली प्रजातियों का चयन करना चाहिए। देर से बुवाई करने पर थोड़े समय बाद ही भारी वर्षा होने की आशंका बनी रहती है। भारी वर्षा विशेष रूप से मटियार मिट्टी पर बुवाई प्रभावित कर सकती है। बुवाई के समय मृदा मे पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
धान की सीधी बुआई की विधि (Method of direct sowing of paddy)
नम विधि: इस विधि में धान की सीधी बुआई से पहले एक गहरी सिंचाई करते हैं और जब खेत जुताई करने योग्य होता है, तो खेत को तैयार करते हैं (दो से तीन जुताई + एक पाटा) और उसके तुरन्त बाद सीड ड्रिल द्वारा बुआई करते हैं। बुआई करते समय हल्का पाटा लगाते हैं, जिससे बीज अच्छी तरह से मिट्टी से ढक जाये। इस विधि से बुआई शाम के समय करनी चाहिए जिससे नमी का कम से कम ह्रास हो। इस विधि का प्रयोग करने से नमी संरक्षित रहती है।
सूखी विधि: इस विधि से धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करते हैं (दो से तीन जुताई + एक पाटा)। इसके बाद मशीन से बुआई कर देते हैं और जमाव के लिए सिंचाई लगाते हैं (या वर्षा का इन्तजार करते हैं)। यदि एक सिंचाई पर सही जमाव नहीं आता तो तुरन्त 4-5 दिन के अन्दर दूसरी सिंचाई कर देनी चाहिए |
कौन सी विधि अपनानी है, यह मौसम एवं संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अगर किसान के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हैं और वर्षा प्रारम्भ होने से पहले बुआई करना चाहता है तो नम विधि द्वारा बुआई करना अच्छा रहता है। इस विधि का प्रयोग करने से फसल में दो-तीन सप्ताह तक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, साथ ही खरपतवारों की समस्या में भी कमी आती है।
धान की सीधी बुवाई के लिए मशीन (Machine for direct sowing of paddy)
जीरो टिलेज कम फर्टीलाइजर ड्रिल (जीरो टिलेज मशीन) या सीड ड्रिल का प्रयोग कर सकते हैं। धान की बुआई के लिए इन्क्लाइंट प्लेट वाली मशीन अधिक उपयुक्त होती है। यदि पावर टिलर चालित सीडर या दो पहिया चालित ट्रैक्टर वाली सीड ड्रिल उपलब्ध है, तो उसका प्रयोग कर सकते हैं।
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) के लिए अलग से भी सीड ड्रिल मशीन आ गया है। जिसके द्वारा 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर से सफलतापूर्वक सीधी बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय मृदा मे पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
धान की सीधी बुवाई में उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Direct Sowing of Paddy)
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) में सदैव उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के उपरांत निर्धारित मात्रा के अनुसार ही करे। सामान्यत: 100 : 60 : 50 : 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर क्रमशः नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट की मात्रा दी जाती है। नत्रजन की आधी मात्रा और फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करे। शेष नत्रजन का दो भागों में एक कल्ले निकलते समय और दूसरा बाली निकलने से पूर्व प्रयोग करें।
धान की सीधी बुवाई में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in directs sowing of paddy)
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है। जिसके प्रबंधन के लिए बुवाई के 48 घण्टों के अन्दर पेंडिमेथालीन का 1000 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जाता है। इसके अतिरिक्त खरपतवार होने पर बुवाई के 20-25 दिन बाद बिसपाइरीबैक सोडियम 10% का 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
धान की सीधी बुवाई में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Direct Sowing of Paddy)
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) में सिंचाई की जरूरत काफी हद तक मौसम और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। वर्षा आधारित खेती में जब वाष्पीकरण ज्यादा हो वैसी स्थितियों में सही अंकुरण के लिए बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई भी की जा सकती है। मुख्यतया कल्ले निकलते समय, बाली आते समय और दाना भरते समय किसी भी परिस्थिति में मिट्टी की नमी कम नहीं होनी चाहिए।
धान की सीधी बुवाई कटाई और मड़ाई (Directs sowing, harvesting and threshing of paddy)
धान की बालियाँ पक जाये और दाना सख्त हो जाये और पौधे का कुछ भाग पीला पड़ने लगे उस अवस्था मे कटाई करते है। कटाई कम्बाईन मशीनों द्वारा की जा सकती है। अब धान की मड़ाई के लिए पैडी थ्रैशर भी उपलब्ध है।
भंडारण: जब धान के दानों में लगभग 14% नमी रहे तब धान का भंडारण किया जाना चाहिए।
धान की सीधी बुवाई करने से लाभ (Benefits of directs sowing of paddy)
- समय, श्रम, ऊर्जा एवं ईंधन की बचत।
- कम सिंचाई जल की आवश्यकता।
- भूमि की भौतिक दशा में सुधार एवं भूमि में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता।
- आगामी फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी।
- धान की सीधी बुवाई विधि से ग्रीन हाउस गैस मुख्यतः मिथेन गैस का उत्सर्जन कम किया जा सकता है। जो की ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान की रोपाई न करके धान को सीधा मशीन से खेत में बोया जाता है।
इसके लिए खेत की जुताई उपरांत लेजर लैंड लेबलर द्वारा खेत को समतल किया जाता है। सीधी बुवाई की अच्छी पैदावार लेने के लिए गेहूँ की कटाई के बाद एक जुताई करके पाटा लगा कर खेत को समतल करे। इसके बाद पलेवा कर खेत को हल्की जुताई कर तैयार करें और धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) करे। सीधी बुवाई के लिए खेत का खरपतवार मुक्त रहना आवश्यक है।
धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) के लिए गर्म और नम जलवायु अच्छी होती है। इसके लिए 21-40 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना जाता है। धान की फसल के लिए ज़्यादा नमी, लंबे समय तक धूप, और पानी की नियमित आपूर्ति ज़रूरी है।
धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) के लिए, बलुई दोमट से लेकर भारी चिकनी मिट्टी अच्छी होती है। हालांकि, हल्की मिट्टी जैसे रेतीली या बलुई दोमट मिट्टी में धान की सीधी बुआई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इनमें जलधारण क्षमता कम होती है।
वैज्ञानिक तकनीक से की जाने वाली धान की सीधी (Direct Seeded Rice) बुवाई से 30% से 35% पानी की बचत होती है। साथ ही परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती के मुकाबले ग्रीन गैस उत्सर्जन में भी 30% से 35% गिरावट आती है। जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। धान की सीधी बुवाई 25 मई से 10 जून तक मानसून से पहले की जाती है।
धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) के लिए बीज की मात्रा, धान की प्रजाति और खेत की स्थिति पर निर्भर करती है। सामान्य प्रजातियों के मध्यम दाने के बीज के लिए, प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की दर अच्छी मानी जाती है। संकर धान के लिए, प्रति हेक्टेयर 15-17 किलोग्राम बीज की दर का इस्तेमाल करें। खेत की स्थिति अच्छी होने पर, कम से कम मात्रा में बीज का इस्तेमाल करें।
धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice) के लिए कृषकों को कुछ ख़ास किस्मों का चुनाव करना चाहिए। इन किस्मों में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित पीआर 126, पूसा संस्थान द्वारा विकसित पूसा बासमती 1401, पूसा बासमती 1728, पूसा बासमती 1886, तरावड़ी बासमती और सीएसआर 30 शामिल हैं।
खेत की तैयारी गर्मी में उपयुक्त समय पर यथा संभव खेत का एक या दो बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करें। बुआई के पहले 200 से 250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुयी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। यदि प्रतिवर्ष संभव न हो तो हर दूसरे या तीसरे वर्ष में अवश्य डालें। अन्य उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice) से प्राप्त होने वाली उपज, कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि धान की किस्म, खेत की स्थिति, और मौसम। सामान्यतौर पर 50 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।
Leave a Reply