
Fodder Cowpea Farming in Hindi: पशुधन उद्योग में चारा लोबिया की खेती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो मवेशियों, बकरियों और अन्य जानवरों के लिए पौष्टिक चारा स्रोत प्रदान करती है। इस व्यापक गाइड में, हम भारतीय कृषि परिदृश्य में चारा लोबिया की खेती के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं को समझने से लेकर उपयुक्त लोबिया किस्मों का चयन करने, भूमि तैयार करने की तकनीकों को अनुकूलित करने, कुशल निषेचन और सिंचाई पद्धतियों को लागू करने, कीटों और बीमारियों का प्रबंधन करने, कटाई और भंडारण विधियों तक, इस लेख का उद्देश्य किसानों और कृषि उत्साही लोगों को उनके चारा लोबिया की खेती के प्रयासों को बढ़ाने के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस करना है।
चारा लोबिया के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for fodder cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी रहती है। इसके लिए तापमान 24-27 डिग्री सेल्सियस के बीच आदर्श होता है। यह एक गर्मी की फसल है और अच्छी पैदावार के लिए 29-35°C तापमान की आवश्यकता होती है। यह ठंड के प्रति संवेदनशील है और 15°C से कम तापमान उपज को कम कर देता है।
चारा लोबिया के लिए भूमि का चयन (Land selection for fodder cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की खेती के लिए, अच्छी जल निकासी वाली दोमट या हल्की भारी मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके लिए भूमि का पीएच मान 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए। रेतीली मिट्टी में भी लोबिया की खेती की जा सकती है, खासकर ठंडी जलवायु में, क्योंकि इसमें फसल जल्दी तैयार हो जाती है। भूमि सुधार कार्यक्रम के तहत अम्लीय मृदा में लोबिया की खेती की जा सकती है, लेकिन लवणीय व क्षारीय मृदा में नहीं की जा सकती है।
चारा लोबिया के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for fodder cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) के लिए कठोर मृदा में एक गहरी जुताई करें, इसके बाद दो-तीन हैरो से जुताई करके पाटा लगाकर खेत तैयार करें। सामान्य मृदा में दो बार हैरो से जुताई व पाटा लगाकर खेत तैयार करना पर्याप्त होता है। चारा लोबिया की बुवाई अच्छी तरह तैयार भूमि में करते हैं। क्योंकि भूमि की गहरी जुताई से लोबिया की जड़ों का अनुकूल विकास होता है। हालाँकि जब फसल गर्मी या बसंत में उगाई जाती हो, तो कम से कम जुताई की जानी चाहिए।
चारा लोबिया के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for fodder cowpea)
सभी लोबिया की किस्में एक जैसे नहीं होती, खासकर जब चारा उत्पादन की बात आती है। चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की खेती के लिए कुछ उन्नत किस्मों में जीएफसी- 1, जीएफसी- 2, जीएफसी- 3, और यूपीसी- 628 शामिल है। इन किस्मों का उपयोग हरे चारे के लिए किया जा सकता है, जो खरीफ और ग्रीष्म दोनों मौसमों में अच्छी उपज देती हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य किस्में भी हैं जैसे कि सी- 8, यूपीसी- 5287, और यूपीसी- 4200 जो उत्तर-पूर्व भारत में लोकप्रिय हैं।
चारा लोबिया की बुवाई का समय (Sowing time of fodder cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की बुवाई का समय क्षेत्र और मौसम के अनुसार अलग-अलग होता है। सामान्यत: इसे मार्च से जुलाई के बीच बोया जाता है। क्षेत्र और मौसम के अनुसार चारा लोबिया की बुवाई का समय इस प्रकार है, जैसे-
उत्तर भारत: चारा लोबिया की बुवाई बसंत (फरवरी-मार्च) और वर्षा (जून-जुलाई) दोनों ऋतुओं में की जाती है।
पहाड़ी क्षेत्र: अप्रैल-मई में बुवाई की जाती है।
गर्मियों में: मार्च-अप्रैल में हरे चारे के लिए बुवाई की जाती है।
वर्षा ऋतु में: जून-जुलाई में बुवाई की जाती है।
चारा लोबिया की बुवाई और बीज दर (Sowing and Seed Rate of Fodder Cowpea)
बीज की मात्रा: चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 30-35 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, जो चारे के लिए उपयोग किया जाता है।
बीज उपचार: चारा लोबिया (Fodder Cowpea) के बीज को बुआई से पहले थायरम (2 ग्राम) + कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए। इसके बाद राइजोबियम कल्चर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए। इससे लोबिया की फसल में अच्छी पैदावार होती है और पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन जमा करने वाली ग्रंथियां अधिक बनती हैं।
बुवाई की विधि: चारा लोबिया की बुवाई आप बिछौने में या लाइनों में कर सकते हैं, लेकिन लाइन में बुवाई बेहतर होती है। झाड़ीदार और बौनी प्रजातियों के लिए, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40-50 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखें और बीजों की 3-5 सेमी की गहराई पर बुवाई करें। इसी प्रकार फैलने या चढ़ने वाले प्रजातियों के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 70-75 सेंमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंमी रखी जाती है।
चारा लोबिया के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Fodder Cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल से अच्छी पैदावार के लिए 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद या 5-10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से कंपोस्ट खाद का उपयोग करें। इसके साथ 30-40 किग्रा नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा फास्फोरस और 50 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए। लाल रेतीली और दोमट मिट्टी में 2.5 किग्रा, काली मिट्टी में 1.5-2.0 किग्रा, लैटेराइट, मध्यम और जलोढ़ मिट्टी में 2.5 किग्रा जिंक प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए।
चारा लोबिया में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in fodder cowpea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए, बुवाई के बाद 4-5 सप्ताह में एक बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए, बुवाई के 48 घंटों के भीतर स्टाम्प नामक शाकनाशी का छिड़काव किया जा सकता है।
अन्य शाकनाशी में पेंडिमेथालिन, इमेजेथापायर जैसे शाकनाशियों का भी उपयोग किया जा सकता है। खरपतवारों को दबाने के लिए, बासी बीज बिस्तर विधि भी प्रभावी है, जिसमें बुवाई से पहले सिंचाई करके खरपतवारों को अंकुरित होने दिया जाता है, फिर उन्हें नष्ट कर दिया जाता है।
चारा लोबिया में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Fodder Cowpea)
चारा लोबिया की फसल में सिंचाई प्रबंधन महत्वपूर्ण है। मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर सिंचाई की आवृत्ति बदल सकती है। लोबिया जल जमाव के प्रति संवेदनशील है, इसलिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए, खासकर बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। फूल आने से पहले सिंचाई फलियों के विकास में सहायक है, और फलियाँ लगने के बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में, 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई आवश्यक हो सकती है।
चारा लोबिया में कीट नियंत्रण (Pest control in fodder cow pea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल में कीटों के नियंत्रण के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं, जैसे-
एफिड्स (माहू): मिथाइल ओ डिमेटान 25 ईसी या डायमेथोएट 30 ईसी की 1.25 ली मात्रा 600-800 ली पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें या नीम आधारित कीटनाशकों का उपयोग करें।
फली छेदक: 0.5 मिली फ्लुबेण्डमाइड (फेम) या रिनोक्सीपायर (कोराजेन) प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
अन्य: नीम की खली (10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग करें या नीम के बीजों का सत्त या 40 ग्राम नीम के बीज का चूर्ण रात भर पानी में भिगोकर छान लें और 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
चारा लोबिया में रोग नियंत्रण (Disease control in fodder cow pea)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल में रोगों के नियंत्रण के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं, जैसे-
बीज गलन और पौधों का नष्ट होना: बुवाई से पहले एमीसन- 6, 2.5 ग्राम या बवास्टिन 50 डब्लयु पी 2 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें।
राख जैसी तने की अंगमारी: रोग रोधी किस्मों को बोना चाहिए और स्वस्थ व रोग रहित बीज का उपयोग करना चाहिए।
लोबिया मोजेक: संक्रमित पौधों को हटा दें और स्वस्थ बीजों का उपयोग करें।
अन्य: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा की 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
चारा लोबिया की कटाई और उपज (Harvesting and Yield of Fodder Cow pea)
फसल कटाई: चारा लोबिया की फसल की कटाई आमतौर पर बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद की जाती है। यदि आप दाने के लिए लोबिया उगा रहे हैं, तो कटाई बुवाई के 90 से 125 दिनों बाद करें, जब फलियाँ पूरी तरह से पक जाएं।
उपज: चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल से हरे चारे का उत्पादन लगभग 250-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है, यह एक पौष्टिक और सस्ता पशु चारा स्रोत है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की खेती के लिए, सबसे पहले अच्छी जल निकासी वाली, थोड़ी अम्लीय मिट्टी (पीएच 6.0-7.0) का चयन करें। बुवाई के लिए मार्च-मध्य जुलाई का समय उचित है, और बीजों को 3-4 सेमी की गहराई पर, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी पर लगाएं। लोबिया एक दलहनी फसल है, इसलिए इसे अधिक नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। आप खाद या कंपोस्ट का उपयोग कर सकते हैं।
हरे चारे के लिए लोबिया (Fodder Cowpea) की बुवाई के लिए मार्च से मध्य जुलाई का समय उचित होता है, खासकर गर्मियों में पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराने के लिए। खरीफ मौसम में, वर्षा शुरू होने के बाद, जुलाई में बुवाई की जा सकती है।
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की बुवाई के लिए, सामान्यत: एक हेक्टेयर खेत के लिए 30 से 40 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। यदि आप लोबिया की मक्का के साथ सहफसली खेती करते हैं, तो 15-20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
हरे चारे के लिए लोबिया (Fodder Cowpea) की उन्नत किस्मों में कोहिनूर (उत्तर भारत), श्वेता (महाराष्ट्र), बुंदेल लोबिया- 2 और बुंदेल लोबिया- 3 (पूरे भारत में) और एफसी- 8 (तमिलनाडु) शामिल हैं। अन्य अच्छी किस्मों में यूपीसी- 607, 618, 622 (उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, पहाड़ी क्षेत्र), आईएफसी- 8503 और ईसी- 4216 (उत्तर भारत, पश्चिम और मध्य भारत) आदि अच्छी मानी जाती है।
हरे चारे के लिए लोबिया (Fodder Cowpea) की पंक्तियों में बुवाई करना सबसे अच्छा रहता है। पंक्तियों के बीच 40-50 सेंटीमीटर का फासला रखें और पौधों के बीच 10-15 सेंटीमीटर का फासला रखें।
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) से अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद, फास्फोरस, और पोटेशियम का इस्तेमाल किया जाता है। नाइट्रोजन की आवश्यकता कम होती है, क्योंकि लोबिया एक फलीदार फसल है और यह हवा से नाइट्रोजन प्राप्त कर सकती है।
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की सिंचाई बुवाई के बाद 20-25 दिनों के बाद करनी चाहिए, और फिर 15-15 दिनों के अंतराल पर। पहली सिंचाई हल्की होनी चाहिए, और बाद की सिंचाइयों में थोड़ा ज्यादा पानी देना चाहिए।
चारा लोबिया (Fodder Cowpea) की फसल से प्रति हेक्टेयर लगभग 250-350 क्विंटल तक हरा चारा प्राप्त होता है। लोबिया की फसल से अनाज की उपज भी प्राप्त होती है, जो लगभग 12-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
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