Split Cucumberi: फूट ककड़ी (कुकुमिस मेलो किस्म मोमोडिका) मरुस्थलीय क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण और बहुलोकप्रिय सब्जी है। फुट ककड़ी (Foot Cucumber) को काकड़ी, काकड़िया, फुट, कचरा, डांगरा आदि नामों से भी जाना जाता है। फूट ककड़ी के पूर्ण विकसित फलों को मुख्य रूप से सब्जी, रायता और सलाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है।
पके फलों को सुखाकर भण्डारण किया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में खेलरा कहते हैं। इसके सूखे और पके हुए फलों को उपहार के रूप में देने का भी प्रचलन है। पके फलों से प्राप्त सूखे बीजों का व्यापारिक महत्व ठंडाई तथा मिठाई के उपयोग में भी है। इसे सुखाकर भंडारित भी किया जा सकता है। हालांकि यह सब्जी अन्य सब्जियों की तरह उतनी लोकप्रिय नहीं है।
लेकिन इसकी कुछ उन्नत किस्मों और नई तकनीक के विकास के कारण पिछले कुछ वर्षों में इसकी खेती का चलन बढ़ा है। कई किसान इससे मुनाफा कमाने में सफल भी हुए हैं। फुट ककड़ी (Foot Cucumber) की खेती अतिरिक्त आय अर्जित करने का एक अच्छा विकल्प है। इस लेख में फूट ककड़ी की वैज्ञानिक खेती का उल्लेख किया गया है।
फूट ककड़ी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cultivation of foot cucumber)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) सामान्यतया शुष्क और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसल है। इसके बीजों का अंकुरण 25-35° सेल्सियस तापमान पर सर्वाधिक तथा बुवाई के 3-5 दिनों में शीघ्रता से हो जाता है। यह गर्म जलवायु की फसल है। इसके पौधे शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह पनपते है। इसकी ग्रीष्म और वर्षाकालीन फसल के रूप में खेती की जाती है। फल पकने के समय बरसात आने पर फलों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इसलिए कम वर्षा (250-300 मिमी) उपयुक्त रहती है। फूट ककड़ी (Foot Cucumber) फसल बुवाई के समय बीजों में शीघ्रता और अधिकतम अंकुरण के लिए 20-22° सेल्सियस व पौधों की वानस्पतिक वृद्धि तथा फल जमाव के लिए 30-32° सेल्सियस तापमान सर्वाधिक उपयुक्त रहता है। परंतु गर्म मरुस्थलीय क्षेत्रों में जब अधिकतम तापमान 45-48° सेल्सियस तक रहता है, वहां भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
फूट ककड़ी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cultivation of foot cucumber)
फूट ककड़ी की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। लेकिन फिर भी सबसे उत्तम बलुई दोमट भूमि रहती है। सफल फसल उत्पादन के लिये जल निकास का भी उचित प्रबन्ध होना अति आवश्यक है। फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान 7.0 होना चाहिए।
फूट ककड़ी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for cultivation of foot cucumber)
फूट ककड़ी की खेती के लिए खेतों में 3 से 4 जुताई की आवश्यकता होती है। बुवाई करने से पहले खेत की हल्की सिंचाई करें और नमी वाली मिट्टी में फूट ककड़ी के बीजों की बुवाई करें। मिट्टी में नमी होने से बीजों का अंकुरण और विकास अच्छा होता है। आपको बता दें कि फूट ककड़ी (Foot Cucumber) फसल की बुवाई को कतारों में की जाती है।
फूट ककड़ी की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for cultivation of foot cucumber)
एएचएस – 10: इसमें बुवाई के 26 दिन बाद नर और 38 दिन बाद मादा फूल खिलने प्रारम्भ हो जाते हैं। पके फलों की तुड़ाई 68 दिन बाद प्रारम्भ हो जाती है, जो 120 दिन तक चलती रहती है। एक हेक्टेयर से 200-220 क्विंटल फल मिल जाते हैं। फल दीर्घ आयताकार व माध्यम आकर के होते हैं।
एएचएस – 82: इसमें बुवाई के 28 दिन बाद नर और 35 दिन बाद मादा फूल खिलने प्रारम्भ हो जाते हैं। पके फलों की तुड़ाई 70 दिन बाद प्रारम्भ हो जाती है, जो 110-115 दिन तक चलती रहती है। एक हेक्टेयर से 225-250 क्विंटल फल मिल जाते हैं।
फूट ककड़ी की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for foot cucumber cultivation)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की बुवाई ग्रीष्म ऋतु में फरवरी-मार्च तथा वर्षा आधारित खेती के लिए जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के अंत तक या पहली बारिस के तुरंत बाद करें।
फूट ककड़ी के लिए बीज की मात्रा और बुवाई (Seed quantity and sowing for phut cucumber)
नाली या कुड विधि से बुवाई करने के लिये 1.5-2 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है। फूट ककड़ी (Foot Cucumber) को सामान्यत: तीन विधियों से लगाया जाता है। जो इस प्रकार है, जैसे-
नाली विधि: इस विधि में 2.0-2.5 मीटर की अंतराल पर 60-70 सेमी चौड़ाई की नलियाँ बनाई जाती हैं। नालियों की अंदर की उतरी ढलान पर 50-60 सेमी की दूरी पर 3-4 बीजों की बुवाई करें। यह विधि फूट ककड़ी की व्यावसायिक खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त व लाभप्रद है।
कुड विधि: रेतीले टीबों वाले और असमतल क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त विधि है। फसल उत्पादन के लिए 2.0-2.5 मीटर की दूरी के अंतराल पर देशी हल से कुड बनाते हुए उर्वरको के साथ 50-60 सेमी के अंतराल पर 2-3 बीजों को बोया जता है।
मिश्रित फसल उत्पादन: मिश्रित खेती में 5-6 मीटर की दूरी पर हल से कुछ बनाकर बुवाई की जाती है।
फूट ककड़ी की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers in foot cucumber crop)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की अच्छी उपज के लिए 20-25 ट्राली सड़ी हुई गोबर की खाद, 80 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस और 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से तत्व के रूप में देनी चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी के समय देनी चाहिए।
बची हुई नत्रजन की आधी, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय देनी चाहिए। बची हुई नत्रजन की आधी मात्रा दो समान भागो में बांटकर 4-5 पत्ती की अवस्था तथा शेष आधी मात्रा पौधों में फूल बनने के पहले टॉप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।
फूट ककड़ी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Foot Cucumber Crop)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की फसल को ज्यादा सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती, परंतु वर्षा न होने पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। अधिक वर्षा की स्थिति में पानी के निकास के लिए नालियों का गहरा व चौड़ा होना आवश्यक है। गर्मियों में अधिक तापमान होने के कारण 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
फूट ककड़ी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in the fruit cucumber crop)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की फसल में सिंचाई के बाद खेत में काफी मात्रा में खरपतवार उग आते है, अत: उनको खुरपी की सहायता से 25-30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करके निकाल देना चाहिए। पौधों की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए 2-3 बार निराई-गुड़ाई करके जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा देना चहिए।
फूट ककड़ी फसल के फलों तुड़ाई और उपज (Foot picking and yield of cucumber crop)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) के फलों की पहली तुड़ाई बुवाई के 60-80 दिनों के बाद प्रारंम्भ हो जाती है। विकसित फल प्रारम्भ अवस्था में कड़वे होते हैं, लेकिन जमाव के 30-35 दिनों पश्चात तुड़ाई योग्य हो जाते हैं। फूट ककड़ी की ग्रीष्मकालीन फसल से 175-200 क्विंटल तथा वर्षाकालीन से 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) या काकड़िया के पूर्ण विकसित व परिपक्व फल एक विशेष खट्ठा-मीठा स्वाद के लिए लोकप्रिय है तथा पौष्टिक तत्वों से भरपूर यह फल गुणकारी व बहु-उपयोगी होते हैं। पूर्णविकसित, अधपके व परिपक्व फलों को विविध प्रकार से एकल अथवा मिश्रित सब्जी व रायता बनाने के उपयोग में लिया जाता है।
भारत देश की गर्म जलवायु के शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों की खरीफ फसलों में फूट ककड़ी (Foot Cucumber) के पौधे स्वत: अथवा बीजों के छिड़काव से उगते हैं। सदियों से काश्तकार यहाँ की परम्परागत खेती में इस सब्जी उपयोगी अल्पप्रचलित फसल के स्व-उत्पादित बीजों को संरक्षित कर बुवाई के उपयोग में लेते आ रहे हैं।
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) एक गर्म जलवायु का पौधा है एवं इसकी व्यावसायिक फल उत्पादन क्षमता व उपयोगिता से इसको वर्तमान में सिंचित ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में भी अपनाया जा चुका है।
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) को रेतीली दोमट व भारी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई और दोमट मिट्टी में अच्छी रहती है।
फूट ककड़ी (Foot Cucumber) की बुवाई फरवरी से मार्च महीने में की जाती हैं।
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