Kharif Onion Cultivation in Hindi: भारत में उगाई जाने वाली फसलों में प्याज का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका उपयोग विभिन्न तरीके जैसे सलाद, सब्जी, अचार तथा मसाले के रूप में किया जाता है। आजकल इसका उपयोग सुखाकर भी किया जा रहा है। यह गर्मी में लू लग जाने तथा गुर्दे की बीमारी वाले रोगियों के लिए भी लाभदायक रहता है। स्वाद, गंध, पौष्टिकता और औषधीय गुणों के कारण प्याज की मांग बाजार में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। खरीफ प्याज का उत्पादन कम होने के कारण दिसंबर और जनवरी माह में प्याज की आपूर्ति में कमी आ जाती है।
इससे इन दो महीनों में प्याज की कीमतों में वृद्धि आ जाती है। खरीफ के मौसम में प्याज उत्पादन लेने से बाजार में इसकी आपूर्ति लगातार बनाए रखने में सहायक होती है तथा अधिक लाभ भी कमाया जाता है, परन्तु खरीफ मौसम में बरसात का मौसम होने के कारण पानी का अधिक जमाव, रोगों और कीड़ो का प्रकोप एवं खरपतवार की समस्या अधिक होती है, जिसके कारण उत्पादन कम मिल पाता है। इस लेख में खरीफ में प्याज (Kharif Onion) की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
खरीफ प्याज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Kharif onion cultivation)
प्याज की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता है। पौधों की प्रारंभिक वृद्धि के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन अच्छे और बड़े कन्द के निर्माण के लिए पर्याप्त धूप वाले बड़े दिन उपयुक्त रहते हैं। कंद निर्माण के पूर्व खरीफ प्याज (Kharif Onion) की फसल के लिए लगभग 21डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम उपयुक्त माना जाता है।
खरीफ प्याज की खेती के लिए मिट्टी का चयन (Selection of soil for Kharif onion cultivation)
खरीफ प्याज (Kharif Onion) की खेती दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। भूमि अधिक क्षारीय और अधिक अम्लीय होने पर कंदो की वृद्धि अच्छी नहीं हो पाती है। भूमि जिसका पीएच मान 6.5-7.5 के मध्य हो सर्वोत्तम होती है। खेत में जल निकास का भी उचित प्रबंधन होना आवश्यक है।
खरीफ प्याज की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Kharif onion cultivation)
बसवंत 780, एग्रीफाउंड डार्क रेड, लाइन 883, अर्का कल्यान, फुले समर्थ, भीमा राज, एन-53, भीमा सुपर, भीमा रेड, भीमा डार्क रेड, भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, भीमा सफेद, इत्यादि प्रमुख किस्में हैं। जिनमे से कुछ का विवरण इस प्रकार है, जैसे-
बसवंत 780: यह खरीफ प्याज (Kharif Onion) की प्रमुख किस्म है। इसके प्याज का आकार बड़ा होता है और रंग गहरा लाल होता है। इसकी पैदावार उच्च होती है और इसे विभिन्न क्षेत्रों में उगाना संभव होता है।
भीमा डार्क रेड: यह एक रंगीन खरीफ प्याज की किस्म है, जिसका रंग गहरा लाल होता है। इस प्याज का आकार मध्यम से बड़ा होता है और पैदावार उच्च होती है। यह किस्म उच्च तापमान और उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है।
अर्का कल्याण: यह एक औद्योगिक खरीफ प्याज (Kharif Onion) की किस्म है। इस प्याज का आकार बड़ा और रंग गहरा लाल होता है। इसकी पैदावार उच्च होती है। यह किस्म उच्च तापमान और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगाने के लिए उपयुक्त होती है।
एग्रीफाउण्ड डार्क रेड: प्याज गहरे लाल रंग के होते है और इनका व्यास 5.43 सेंमी होता है। यह किस्म 100 दिनों में पूरी तरह से पकने के लिए तैयार हो जाती है। इसकी प्रति हैक्टर औसतन उपज 165 से 225 क्विंटल तक होती है।
खरीफ प्याज के बीज की मात्रा और बुवाई का समय (Kharif onion seed quantity and sowing time)
बीज की मात्रा: एक हेक्टेयर क्षेत्रफल खरीफ प्याज (Kharif Onion) की रोपाई के लिए 7 से 8 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है।
बुवाई का समय: खरीफ में बीजों की बुवाई के लिए मई-जून का समय सर्वोत्तम रहता है, जबकि पछेती फसल के लिए बीजों की बुवाई अगस्त-सितंबर तक कर सकते हैं।
खरीफ प्याज की खेती के लिए बीज उपचार (Seed treatment for Kharif onion cultivation)
खरीफ प्याज (Kharif Onion) बुआई से पूर्व बीजों को किसी फफूंदनाशी दवा जैसे थाइरम या कैप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर या ट्राइकोडर्मा मित्र फफूंदनाशी 4-6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर उपचारित करना चाहिए, जिससे आर्द्र गलन से सुरक्षा हो सके। कई बार देखने में आता है कि पौध का विकास अच्छा नहीं हो पाता है और पौध पीली पड़ने लग जाती है।
इस स्थिति में पानी में घुलनशील एनपीके उर्वरक (19:19:19 एनपीके 5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का पर्णीय छिड़काव करने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। पौधशाला मे 0.2 प्रतिशत की दर से मेटालेक्सिल के पर्णीय छिड़काव का मृदाजनित रोगों को नियंत्रत किया जा सकता हैं। कीड़ों का प्रकोप अधिक होने पर 0.1 प्रतिशत फिप्रोनील का पत्तों पर छिड़काव करना चाहिए।
खरीफ प्याज के लिए पौध तैयार करने की विधि (Method of preparing seedlings for Kharif onion)
गर्मियों में तेज हवा, लू और पानी की कमी के कारण खरीफ के मौसम में स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत ही कठिन कार्य होता है। नतीजन इस मौसम में पौधों की नर्सरी में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। इसलिए हो सके तो नर्सरी किसी छायादार जगह अथवा छायाघर के नीचे तैयार करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की इस समय वर्षा का दौर प्रारंभ होने वाला होता है।
जिससे समतल क्यारियों में ज्यादा पानी की वजह से बीज बह जाने का खतरा बना रहता है एवं खेतों में जल जमाव के कारण विनाशकारी काला धब्बा, एन्थ्रोक्नोजरोग का प्रकोप अधिक होता है। अत: खरीफ प्याज (Kharif Onion) के पौधों को अधिक पानी से बचाने के लिए हमेशा जमीन से उठी हुई क्यारी (10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची) ही तैयार करनी चाहिए।
क्यारियों की चौड़ाई 60-70 सेंमी व लम्बाई सुविधा के अनुसार रख सकते हैं। दो क्यारियों के बीच में 45-60 सेंटीमीटर खाली जगह रखें, जिससे खरपतवार निकालने और अतिरिक्त पानी की निकासी में सुविधा हो। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौध रोपाई के लिए डायल 250 से 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में पौधशाला की आवश्यकता होती है। जिसमें कि 80 से 100 क्यारियाँ पर्याप्त होती है।
ऊँची उठी हुई क्यारियाँ बनाने के पश्चात 2-3 सेमी ऊपरी भाग में बारिक, छनी हुई तथा अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट खाद डाल देते हैं। बीज की बुवाई हमेशा लाइनों में ही करे। खरीफ प्याज (Kharif Onion) बीज की बुआई 5-7 सेमी दूरी पर 1-1.5 सेमी गहराई में पंक्तियो मे करते हैं।
नमी संरक्षण हेतु पौधशाला को सूखी घास द्वारा ढक देना चाहिए। खरीफ प्याज (Kharif Onion) अंकुरण के बाद घास को हटा देते हैं। इस मौसम में तापमान को स्थिर रखने के लिए फव्वारे से पानी देते हैं। खरीफ में 6-7 सप्ताह में जब पौध 15-20 सेंमी की हो जाये तो रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
खरीफ प्याज की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Kharif onion cultivation)
खरीफ प्याज (Kharif Onion) की खेती के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की एक गहरी जुताई करके 2-3 जुताई देशी हल से कर लेवे, जिससे मिट्टी बारिक एवं भुरभुरी हो जाए। खेत तैयार करते समय अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद को भी अच्छी तरह मिला देना चाहिए। खरीफ के मौसम में पौध की बुवाई हेतु उठी हुई क्यारियां अथवा डोलियां अच्छी रहती हैं, जिससे पानी भरने की स्थिति में भी फसल खराब नहीं होती और स्वस्थ रहती है।
खरीफ प्याज की खेती के लिए पौध की रोपाई (Planting of saplings for Kharif onion cultivation)
जब खरीफ प्याज (Kharif Onion) की पौध लगभग 6-7 सप्ताह में रोपाई योग्य हो जाती है। खरीफ फसल के लिए रोपाई का उपयुक्त समय जुलाई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त तक कर सकते हैं। रोपाई करते समय कतारों से बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते है। रोपाई के समय पौधे के शीर्ष का एक तिहाई भाग काट देना चाहिए जिससे उनकी अच्छी स्थापना हो सके।
खरीफ प्याज की फसल में उर्वरक और खाद की मात्रा (Amount of fertilizer and manure in onion crop)
खरीफ प्याज के लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेत तैयार करते समय मिला देवें, इसके अलावा 100 किलो नत्रजन 50 किलो फास्फोरस 50 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई से पूर्व खेत की तैयारी के समय देवें नत्रजन की शेष मात्रा रोपाई के 1 से डेढ़ माह बाद खड़ी फसल में दे।
खरीफ प्याज (Kharif Onion) के लिए जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में रोपाई से पूर्व जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलावे अथवा जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट का छिडकाव पौधों रोपाई के बाद 60 दिन बाद करें।
खरीफ प्याज की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Onion Crop)
खरीफ प्याज की फसल (Kharif Onion Crop) को प्रारंभिक अवस्था में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुवाई या रोपाई के साथ और उसके तीन-चार दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें, ताकि मिट्टी नम रहे। परंतु बाद में सिंचाई की अधिक आवश्यकता रहती है। कंद बनते समय पर्याप्त मात्रा में सिंचाई करनी चाहिए। फसल तैयार होने पर पौधे के शीर्ष पीले पडकर गिरने लगते हैं, इस समय सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
खरीफ प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in onion crop)
प्याज के पौधों की जड़े अपेक्षाकृत कम गहराई तक जाती है, इसलिय अधिक गहराई तक गुड़ाई नहीं करनी चाहिए। खरीफ प्याज (Kharif Onion) की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए रोपाई के 40 से 60 दिनों के बाद 2-3 बार खरपतवार निकालना आवष्यक होता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए स्टॉम्प 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के पूर्व या 3 दिन पश्चात् छिड़काव करने से खरपतवार नियंत्रण में सहायता मिलती है।
खरीफ प्याज की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Kharif onion crop)
आर्द्रगलन (डैम्पिंग आफ): यह बीमारी आमतौर पर नर्सरी और पौधे की प्रारम्भिक अवस्था में नुकसान पहुँचाती है व मुख्य रूप से पीथियम, फ्यूजेरियम तथा राइजोक्टोनिया कवकों द्वारा होती है। इस बीमारी का प्रकोप खरीफ प्याज (Kharif Onion) में ज्यादा होता है। इस रोग में पौध के जमीन की सतह पर लगे हुए स्थान पर सड़न दिखाई देती है और आगे पौध उसी सतह से गिरकर मर जाती है।
नियंत्रण के उपाय:-
- बुवाई के लिए स्वस्थ बीज का चुनाव करना चाहिए।
- बुवाई से पूर्व बीज को थाइरम या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर लें।
- पौध शैय्या के ऊपरी भाग की मृदा में थाइरम के घोल (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) या बाविस्टीन के घोल (1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी) से 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।
- जड़ और जमीन पर ट्राइकोडर्मा विरडी के घोल (5.0 ग्राम प्रति लीटर पानी) का 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।
बैंगनी धब्बा रोग (परपल ब्लाच): यह बीमारी आल्टरनेरिया पोरी नामक कवक (फफूंद) द्वारा होती है। यह रोग प्याज की पत्तियों, तनों तथा बीज डंठलों पर लगती है। रोग ग्रस्त भाग पर सफेद भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जिनका मध्य भाग बाद में बैंगनी रंग का हो जाता है। रोग के लक्षण के लगभग दो सप्ताह पश्चात इन बैंगनी धब्बों पर पृष्ठीय बीजाणुओं के बनने से ये काले रंग के दिखाई देते हैं।
नियंत्रण के उपाय:-
- खरीफ प्याज (Kharif Onion) की खेती के लिए 2 से 3 साल का फसल-चक्र अपनाना चाहिए।
- पौध की रोपाई के 45 दिन बाद 0.25 प्रतिशत डाइथेन एम- 45 या ब्लाइटाक्स-50 का चिपकने वाली दवा मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
झुलसा रोग (स्टेमफीलियम ब्लाइट): यह रोग स्टेमफीलियम बेसिकेरियम नामक कवक द्वारा फैलता है। यह रोग पत्तियों और बीज के डंठलों पर पहले छोटे-छोटे सफेद और हलके पीले धब्बों के रूप में पाया जाता है। बाद में यह धब्बे एक-दूसरे से मिलकर बड़े भूरे रंग के धब्बों में बदल जाते हैं और अन्त में ये गहरे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं। पत्तियां धीरे-धीरे सिरे की तरफ से सूखना शुरू करती हैं और आधार की तरफ बढ़कर पूरी सूख कर जल जाती हैं और कन्दों का विकास नहीं हो पाता।
नियंत्रण के उपाय:-
- खरीफ प्याज (Kharif Onion) की खेती के लिए लम्बा फसल-चक्र अपनाना चाहिए।
- पौध की रोपाई के 45 दिनों के बाद 0.25 प्रतिशत मैनकोजेब (डाइथेन एम- 45) या सिक्सर (डाइथेन एम- 45 + कार्बन्डाजिम ) अथवा 0.2-0.3 प्रतिशत कॉपर आक्सीक्लोराइड (ब्लाइटाक्स- 50 ) का छिड़काव प्रत्येक 15 दिन के अन्तराल पर 3-4 बार करना चाहिए।
मदुरोमिल आसिता (डाउनी मिल्डयू): यह बीमारी पेरेनोस्पोरा डिस्ट्रक्टर नामक फफूंद के कारण होती है। इसके लक्षण सुबह जब पत्तियों पर ओस हो तो आसानी से देखे जा सकते है। पत्तियों तथा बीज डंठलों की सतह पर बैंगनी रोयेंदार वृद्धि इस रोग की पहचान है। रोग की सर्वांगी दशाओं में पौधा बौना हो जाता है। रोगी पौधे से प्राप्त कन्द आकार में छोटे होते हैं तथा इनकी भंडारण अवधि कम हो जाती है।
नियंत्रण के उपाय:-
- खरीफ प्याज (Kharif Onion) पौध को लगाने से पहले खेतों की अच्छी तरह से जुताई करना चाहिए जिससे उसमें उपस्थित रोगाणु नष्ट हो जाये।
- बीमारी का प्रकोप होने पर 0.25 प्रतिशत मैनकोजेब का घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर दो से तीन बार छिड़काव करने चाहिए।
खरीफ प्याज की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Kharif onion crop)
चूसक कीट (थ्रिप्स टेबेसाई): ये आकार में छोटे व 1-2 मिमी लम्बे कोमल कीट होते हैं। ये कीट सफेद-भूरे या हल्के पीले रंग के होते हैं। इस कीट के निम्फ और प्रौढ़ दोनों ही अवस्थायें मुलायम पत्तियों का रस चूस कर, उन्हें क्षति पहुँचाती हैं। इस कीट से प्रभावित पत्तियों में जगह जगह पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। इनका अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां सिकुड़ जाती है और पौधों की बढ़वार रुक जाती है तथा प्रभावित पौधों के कंद छोटे रह जाते हैं, जिससे उपज में कमी हो जाती है।
नियंत्रण के उपाय:-
- इन कीटों का संक्रमण दिखाई देने पर नीम द्वारा निर्मित कीटनाशी (जैसे ईकोनीम, निरिन या ग्रेनीम) 3-5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से आवश्यकतानुसार घोल तैयार कर शाम के समय फसल पर 10-12 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिडकाव करें। या
- डाईमेथोएट 30 ईसी 650 मिली प्रति 600 लिटर पानी के साथ या मेटासिस्टॉक्स 25 ईसी 1 लीटर 600 लीटर पानी के साथ या इमिडाक्लोप्रिड 8 एसएल 30 ईसी 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
प्याज की मक्खी या मैगट (हाईलिमिया ऐंटीकुआ): यह मक्खी खरीफ प्याज (Kharif Onion) की फसल का प्रमुख हानिकारक कीट है, जो अपने मैगट पौधों के भूमि के पास वाले भाग, आधारीय तने में दिए जाते हैं। मैगटों की संख्या 2-4 तक हो सकती है। इनसे भूमि के पास वाले तने का भाग सड़कर नष्ट हो जाने से पूरा पौधा सूख जाता है। कभी-कभी इस कीट द्वारा फसल को भारी मात्रा मे क्षति होती है।
नियंत्रण के उपाय:-
- खरीफ प्याज (Kharif Onion) फसल की रोपाई पूर्व, खेत की तैयारी करते समय नीम की खली खाद 3-4 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से जुताई कर भूमि मे मिलाएं।
- खेत की तैयारी करते समय कीटनाशी क्लोरोपाईरिफॉस 5 प्रतिशत या मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत की दर से जुताई करते समय भूमि मे मिलाएं तत्पश्चात फसल की रोपाई करें।
- खड़ी फसल में इस कीट (मैगट) का संक्रमण दिखाई देने पर कीटनाशी क्वनालफॉस 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से आवश्यकतानुसार मात्रा में घोल तैयार कर शाम के समय 2-3 छिड़काव करें।
खरीफ प्याज की फसल की खुदाई (Kharif onion crop digging)
खरीफ प्याज (Kharif Onion) की फसल 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है, क्योंकि गांठे नवंबर में तैयार होती हैं, जिस समय तापमान काफी कम होता है। पौधे पूरी तरह से सूख नहीं पाते हैं, इसलिए जैसे ही गांठे अपने पूरे आकार की हो जाएं तथा उनका रंग लाल हो जाए, तो करीब 10 दिन खुदाई से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। इससे गांठे सुडौल और ठोस हो जाती हैं तथा उनकी वृद्धि रुक जाती है।
जब गांठे अच्छी आकार की होने पर भी खुदाई नहीं की जाती, तो वह फटना शुरू कर देती हैं। खुदाई करके इनको कतारों में रखकर सुखा देते हैं। पत्ती को गर्दन से 2.5 सेंटीमीटर ऊपर से अलग कर देते हैं और फिर 1 सप्ताह तक सुखा लेते हैं। सुखाते समय सड़े हुए, कटे हुए, दो – फाड़े, फूलों के डंठल वाली और अन्य खराब गांठे निकाल देते हैं।
खरीफ प्याज की फसल से पैदावार (Yield from Kharif onion crop)
उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीक और अच्छी देखभाल द्वारा खरीफ प्याज (Kharif Onion) की फसल से प्रति हैक्टर लगभग 200 से 350 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
खरीफ मौसम में प्याज की खेती के लिए पौधशाला शैय्या पर बीजों की पंक्तियों में बुवाई 1-15 जून तक कर देनी चाहिए। जब पौध 40 से 45 दिन की हो जाऐ तो उसकी रोपाई कर देना उत्तम माना जाता हैं। खरीफ प्याज (Kharif Onion) पौध की रोपाई कूड़ शैय्या पद्धिति से तैयार खेतों पर करनी चाहिए, इसमें 1.2 मीटर चैड़ी शैय्या एवं लगभग 30 सेमी चोडी नाली तैयार की जाती हैं।
रबी सीजन की प्याज की फसल अप्रैल-मई में काटी जाती है, जबकि खरीफ प्याज (Kharif Onion) की फसल अक्टूबर से दिसंबर तक बाजार में उपलब्ध होती है। खरीफ प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान के कुछ हिस्सों में होता है। रबी सीजन की फसल का बड़ा हिस्सा पूरे देश में संग्रहीत किया जाता है।
भीमा सुपर: यह किस्म खरीफ और पिछेती खरीफ के लिये उपयुक्त है। यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 250-300 किवंटल तक उपज देती है।
भीमा सुपर, खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त है और महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात राज्यों में पछेती खरीफ खेती के दौरान खरीफ प्याज (Kharif Onion) की खेती की जा सकती है। इस किस्म में गोल बल्ब होते हैं जो गर्दन की ओर पतले होते हैं।
खरीफ प्याज (Kharif Onion) मौसम के लिए पौधशाला शैय्या पर बीजों की पंक्तियों में बुवाई 1-15 जून तक कर देना चाहिए। जब पौध 45 दिन की हो जाएं तो उसकी रोपाई कर देना उत्तम माना जाता है। पौध की रोपाई कूड़ शैय्या पद्धति से तैयार खेतों पर करना चाहिए, इसमें 1.2 मीटर चौड़ी शैय्या एवं लगभग 30 सेमी चौड़ी नाली तैयार की जाती हैं।
खरीफ प्याज (Kharif Onion) हेतु पौधशाला शैय्या पर बीजों की पंक्तियों में बुवाई 1 से 15 जून तक कर देना चाहिए, जब पौध 45 दिन की हो जाऐ तो उसकी रोपाई कर देना अच्छा माना जाता हैं।
खरीफ प्याज (Kharif Onion) मौसम की फसल में रोपण के तुरन्त बाद सिंचाई करनी चाहिए अन्यथा सिंचाई में देरी से पौधे मरने की संभावना बढ़ जाती हैं। खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्याज की फसल को जब मानसून चला जाता हैं, तो उस समय सिंचाई आवश्यकतानुसार करनी चाहिए।
खरीफ प्याज (Kharif Onion) की अच्छी उपज पाने के लिए कृषक कार्बनिक खादों में गोबर की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। गोबर खाद का इस्तेमाल 30 से 40 टन प्रति हेक्टेयर की दर से प्याज की बुवाई के 10 से 15 दिन पहले ही खेत में किया जाना चाहिए। इससे प्याज को रोपाई के तुरंत बाद पोषक तत्व मिल जाते हैं।
खरीफ की प्याज की खेती से प्रति हेक्टेयर 250-350 किवंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। खरीफ प्याज (Kharif Onion) के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं। खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, और उचित मात्रा में उर्वरक व खाद का उपयोग करना चाहिए।
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