Leeks Farming in Hindi: लीक, एक बहुमुखी और स्वादिष्ट सब्जी है, जो सदियों से पारंपरिक भारतीय व्यंजनों का एक मुख्य हिस्सा रही है। अपने हल्के प्याज जैसे स्वाद और पोषण संबंधी लाभों के लिए उगाई जाने वाली लीक, सूप और स्टू से लेकर स्टिर-फ्राई और सलाद तक कई तरह के व्यंजनों में एक अनूठा स्वाद देती है।
हमारे देश में लीक की खेती (Leeks Cultivation) की पेचीदगियों को समझना किसानों और उत्साही लोगों के लिए इस फसल की क्षमता का दोहन करने के लिए आवश्यक है। आदर्श बढ़ती परिस्थितियों से लेकर कीट प्रबंधन रणनीतियों तक, यह लेख भारत के विविध कृषि परिदृश्य में लीक की खेती की बारीकियों की जानकारी देता है।
लीक के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Leeks)
लीक (Leeks) ठंडी जलवायु में पनपती है। भारत में, लीक उगाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों के दौरान होता है। यह वह समय होता है जब तापमान गिरता है, जो इन सब्ज़ियों के पनपने के लिए एकदम सही वातावरण बनाता है। अगर आप गर्म क्षेत्र में रहते हैं, तो उन्हें ठंडा रखने के लिए छायादार जगह पर उगाने की कोशिश करें।
लीक के लिए मिट्टी का चयन (Soil Selection for Leeks)
लीक (Leeks) को उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद होती है। रेतीली दोमट मिट्टी आदर्श है, क्योंकि यह जड़ों को मजबूत और गहरी बढ़ने में मदद करती है। रोपण से पहले, मिट्टी को खाद जैसे कार्बनिक पदार्थ से समृद्ध करें। यह न केवल पोषक तत्वों को बढ़ाता है बल्कि मिट्टी की संरचना में भी सुधार करता है। इष्टतम विकास के लिए मिट्टी का पीएच लगभग 6.0 से 7.0 होना चाहिए।
लीक के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for leek)
लीक (Leeks) के खेत की तैयारी के लिए मिट्टी पलटने वाले हल या ट्रैक्टर हैरो से 2-3 जुताई करें जिस से सभी तरह की घास सूख कर खत्म हो जाए और मिट्टी बारीक हो जाए। 1-2 जुताई और कर के खेत को अच्छी तरह भुरभुरा कर के तैयार कर लेना चाहिए, खेत में घास व ढेले नहीं रहने चाहिए। अतिरिक्त पानी निकासी की व्यवस्था आवश्यक है।
लीक की खेती के लिए किस्में (Varieties for leeks cultivation)
हर लीक किस्म का अपना अलग स्वाद होता है – कुछ जल्दी पक जाती हैं, जबकि अन्य में वह अतिरिक्त मिठास होती है जो आपके स्वाद को खुश कर देती है। भारत में, आपको लीक (Leeks) के क्षेत्र में पालम पौष्टिक, प्राइज टेकर, मसल वर्ग, किंग रिचर्ड और ब्लू सोलाइज़ जैसी किस्में मिलेंगी।
लीक के बीज की मात्रा और बोआई का समय (Quantity of leek seeds and sowing time)
बीज की दर: लीक (Leeks) के बीज की मात्रा मौसम पर निर्भर करती है, वैसे, उचित समय बोने पर 1.5 से 2 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है।
बोआई का समय: लीक के बीज की बोआई का उचित समय मध्य सितंबर से मध्य अक्तूबर माह तक रहता है, लेकिन इसे नवंबर माह तक लगाया जाता है। मध्यम पहाड़ी इलाकों में सितम्बर से अक्टूबर और ऊँचे क्षेत्रों में मार्च से मई माह में बोआई करना उचित रहता है।
लीक की पौध तैयार करना (Preparing Leeks Seedlings)
सामान्य तकनीक: अपनी आखिरी अपेक्षित ठंढ की तारीख से लगभग 8-10 सप्ताह पहले लीक (Leeks) के बीज छप्पर के अंदर लगाएं। भारत में, इसका मतलब आमतौर पर अगस्त या सितंबर के आसपास बीज लगाना होता है। जब वे लगभग 6 इंच लंबे हो जाएं तो उन्हें मुख्य खेत में रोपें।
ट्रे तकनीक: बीजों को बीज ट्रे में लगभग आधा इंच गहरा रोपें। मिट्टी को नम रखें लेकिन गीला न करें। एक बार जब अंकुर तैयार हो जाएं, तो आप उन्हें बाहर ले जा सकते हैं। उन्हें बढ़ने के लिए जगह देने के लिए उन्हें लगभग 6 इंच की दूरी पर रखना सुनिश्चित करें।
लीक रोपाई की विधि और दूरी (Method of planting leeks and distance)
जब लीक (Leeks) की पौध 6-8 सैंटीमीटर ऊंची हो जाएं तो क्यारियों में रोपना चाहिए। क्यारियों में पौधों को पंक्ति में लगाएं, इन पंक्तियों की आपस की दूरी 30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 सैंटीमीटर रखनी चाहिए। पौधों की रोपाई हलकी नाली बना कर भी कर सकते हैं। पौधों को शाम 3-4 बजे से रोपना शुरू करें और रोपने के बाद हलकी सिंचाई जरूर करें। पौधों की जड़ को 8-10 सैंटीमीटर गहरी जरूर दाबें, जिस से पौधे सिंचाई के पानी से न उखड़ पाएं।
लीक में खाद व उर्वरक की मात्रा (Amount of Manure and Fertilizer in Leeks)
गोबर की सड़ी खाद 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर और नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, फास्फोरस 80 किलोग्राम और पोटाश 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए। गोबर की खाद की मात्रा को खेत की जुताई के समय मिलाएं और नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय दें या फिर खेत में भलीभांति मिलाएं।
नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा को 2-3 बराबर हिस्सों में बांट कर रोपाई के 20-25 दिन के अंतराल पर तीनों मात्राओं को लीक की फसल में टौप ड्रैसिंग के रूप में दें और दूसरी सारी क्रियाएं भी अच्छी तरह पूरी करते रहें।
लीक की फसल में पानी देना (Watering the leeks crop)
लीक (Leeks) को लगातार नमी की आवश्यकता होती है, खासकर बढ़ते चरण में। उन्हें नियमित रूप से पानी दें, सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम रहे लेकिन पानी भरा न हो। गर्मी के मौसम में, आपको पानी देने की आवृत्ति बढ़ानी पड़ सकती है। पहली सिंचाई पौध रोपने के बाद करें और दूसरी सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल से करते रहें। इस तरह से 10-12 सिंचाई की जरूरत पड़ती है। जब जमीन की ऊपरी सतह सूखने लगे, तो सिंचाई करनी चाहिए।
लीक में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in leek crop)
लीक की फसल (Leeks Crop) में खरपतवार नियंत्रण भी महत्वपूर्ण है। खरपतवार पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसी पार्टी में बिन बुलाए मेहमान आते हैं। नियमित रूप से अपने खेत की जाँच करें और उन कष्टप्रद खरपतवारों को उखाड़ दें, इससे पहले कि वे हावी हो जाएँ।
लीक की निराईगुड़ाई दूसरी फसलों की तरह की जाती है। दूसरी सिंचाई के बाद खेत में जंगली पौधे उग आते हैं। इन का निकालना बेहद जरूरी है, इन को निराईगुड़ाई द्वारा खत्म किया जा सकता है। इस तरह से 2-3 निराईगुड़ाई की पूरी फसल में जरूरत पड़ती है।
लीक में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in Leeks)
लीक फसल (Leeks Crop) पर कीट और बीमारियां ज्यादा नहीं लगतीं, लेकिन कुछ कीट एफिड वगैरह देरी की फसल में लगते हैं, जिन का नियंत्रण करने के लिए रोगोर, नूवान का 1 फीसदी घोल बना कर स्प्रे करते हैं। देरी वाली फसल में पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी लगती है, जो फफूंदीनाशक बावस्टीन, डाइथेन एम 45 के 1 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर स्प्रे करने से नियंत्रित हो जाती है। हर साल अपनी लीक की फ़सल को घुमाएँ, उन्हें प्याज़ या लहसुन के समान स्थान पर लगाने से बचें, क्योंकि वे समान बीमारियों को साझा कर सकते हैं।
लीक फसल की कटाई (Harvesting of Leeks Crop)
लीक (Leeks) के पौधे प्याज या लहसुन की तरह बढ़ कर तना मोटा 2-3 सैंटीमीटर व्यास का हो जाए तो उखाड़ लेना चाहिए और लंबी पत्तियों के कुछ भाग को काट कर अलग कर देते हैं और जड़ वाले भाग को हरे प्याज की तरह धो कर बंडल या गुच्छी, जिस में 1 दर्जन या 2 दर्जन लीक रखते हैं। इन्हीं गुच्छी को मंडी या मौडर्न सब्जी बाजार की दुकानों पर भेज देते हैं।
लीक की फसल से उपज (Yield from Leeks Crop)
लीक (Leeks) की उपज हरे प्याज की भांति मिलती है। यह प्रति पौधा पत्तियों समेत 125-150 ग्राम उपज देता है, जो कि पूरे खेत में 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।
लीक की मांग पर निष्कर्ष (Conclusion on Demand for Leeks)
लीक (Leeks) भले ही प्याज़ या आलू की तरह मुख्यधारा में न हो, लेकिन भारतीय बाजारों में इन स्वादिष्ट सब्जियों की मांग बढ़ रही है। भारत में लीक की खेती किसानों के लिए अपनी फसलों में विविधता लाने और इस स्वादिष्ट सब्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करती है।
इस लेख में उल्लिखित अनुशंसित प्रथाओं का पालन करके, साथ ही आने वाली चुनौतियों के अनुकूल होने से, उत्पादक उच्च गुणवत्ता वाली लीक की खेती कर सकते हैं जो स्थानीय बाजार और पाक परंपराओं दोनों में योगदान देती हैं। टिकाऊ खेती प्रथाओं और निरंतर सीखने के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, भारत में लीक की खेती का भविष्य विकास और सफलता की बहुत संभावना रखता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
उत्पादक अपनी लीक की फसल (Leeks Crop) को 2 तरीकों से शुरू कर सकते हैं, या तो सीधे खुले मैदान में बुवाई करके या पौध नर्सरी द्वारा खरीदे गए पौधों को रोप कर। हालांकि, अधिकांश किसान पौधे लगाकर शुरुआत करना पसंद करते हैं क्योंकि वे कम समय (3-4 महीने के भीतर) में कटाई कर सकते हैं। बोने से पहले वे खेत तैयार करते हैं।
लीक ठंडी, समशीतोष्ण जलवायु में पूर्ण सूर्य और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छी तरह से बढ़ती है। लीक उगाने के लिए आदर्श तापमान सीमा 13-24 डिग्री सेल्सियस (55-75 डिग्री फ़ारेनहाइट) है। लीक (Leeks) अन्य एलियम प्रजातियों की तुलना में अधिक ठंड सहनशील हैं, लेकिन सर्दियों के कम तापमान के कारण वे बोल्ट या फूल के डंठल बना सकते हैं।
लीक को गहरी, उपजाऊ, भुरभुरी मिट्टी पसंद है जिसमें भरपूर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ हों। अच्छी जल निकासी वाली, हल्की बनावट वाली मिट्टी रोपण और कटाई को आसान बनाती है और स्वच्छ और आकर्षक उपज के उत्पादन में योगदान देती है। लीक (Leeks) को अम्लीय मिट्टी पसंद नहीं है और पीएच 6 या उससे अधिक की मिट्टी की प्रतिक्रिया पसंद है।
लीक (Leeks) की कई अच्छी किस्में हैं, जिनमें शामिल हैं: ऑटम जाइंट-पोरवाइट, क्रिप्टन, स्टैमफोर्ड, किंग रिचर्ड, टैडोर्ना ब्लू, एलीफेंट और पोरोस आदि प्रमुख है
लीक (Leeks) एक हल्के ठंडे मौसम का पौधा है, जो वसंत ऋतु में भी अच्छी तरह से बढ़ता है। यह पौधा अत्यधिक गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकता, लीक के बीज बोने के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का मौसम अक्टूबर-फरवरी है।
लीक आमतौर पर शरद ऋतु और सर्दियों में चार या पाँच महीने के बाद परिपक्व हो जाती है, जब अन्य ताज़ी फ़सलों की आपूर्ति कम हो सकती है, और उन्हें तुरंत काटा नहीं जाना चाहिए। आप लीक (Leeks) को ठंड के महीनों में खड़े रहने दे सकते हैं और जब चाहें पौधों को उठा सकते हैं।
अगर आपकी मिट्टी बहुत अम्लीय है (पीएच 6.0 से कम) तो चूना फैलाएं। अगर आप वाणिज्यिक उर्वरक का उपयोग करते हैं (हम 10-20-10 की सलाह देते हैं), तो पंक्ति के 10 रैखिक फीट पर 1/2 कप उर्वरक वितरित करें और मिट्टी के ऊपरी 4-6 इंच में अच्छी तरह से खोदें।
लीक में बार-बार पानी देना होता है। लीक (Leeks) की जड़ें उथली होती हैं, इसलिए उन्हें पनपने के लिए हर हफ़्ते करीब एक इंच पानी देने की ज़रूरत होती है। गर्म मौसम में, पानी देने की मात्रा बढ़ानी पड़ सकती है। मिट्टी को ठंडा रखने और नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
लीक (Leeks) की उपज बढ़ाने के लिए, आप इन तरीकों को आज़मा सकते हैं: उपयुक्त किस्म चुनें, मिट्टी में जीवांश कार्बन बढ़ाएं, मिट्टी में नीम, करंज, और चूने का मिश्रण मिलाएं, लीक को सही तरीके से बोएं और लीक को सही समय पर कटाई करें
लीक की फसल (Leeks Crop) से 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
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