Moist Cucumber Cultivation in Hindi: तर ककड़ी या आर्या ककड़ी एक कद्दू वर्गीय फसल हैं, जो खीरे के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। भारत में इसकी खेती किसान नगदी फसल के रूप में करते हैं। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। यह भारतीय मूल की फसल है, जिसे जायद की फसल के साथ उगाया जाता है। तर ककड़ी देश के प्राय सभी शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है।
तर ककड़ी को मुख्य रूप से सलाद और सब्जी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके फल में ठंडा प्रभाव होता है, इसलिए इसे मुख्य तौर पर गर्मियों के मौसम में खाया जाता है। जैसा की हम सभी जानते हैं कि गर्मियों के मौसम में इसकी मांग चरम पर पहुंच जाती है। इस लेख में तर ककड़ी की खेती (Moist Cucumber Cultivation) वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
तर ककड़ी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for moist cucumber farming)
तर ककडी की फसल (Moist Cucumber Crop) के लिये गर्म शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु उपयुक्त है। पौधे की वृद्धि एवं फलन के लिए 30 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। ककड़ी के बीजों के अंकुरण के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है।
मरुस्थलीय अंचल में जहां अधिकतम तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, वहां भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। बारिश के मौसम में इसके पौधे ठीक से विकास करते हैं, किन्तु गर्मियों का मौसम पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता हैं।
तर ककड़ी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for moist cucumber cultivation)
तर ककड़ी की खेती (Moist Cucumber Cultivation) के लिये रेतली दोमट से बलुई दोमट भूमि अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिये भूमि जल निकासी वाली होनी चाहिए, जल भराव वाली भूमि में ककड़ी की खेती करनें से बचे। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.8-7.5 होना चाहिए।
तर ककड़ी की खेती के लिए खेत की तेयारी (Preparation of field for farming of moist cucumber)
तर ककड़ी की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हैरो से 2-3 बार जुताई करना आवश्यक है। जुताई के बाद खेत में पानी चलाकर उसका पलेवा कर देंवे। पलेवा करने के तीन से चार दिन बाद, जब सतह की मिट्टी हल्की सूखने लगे तब खेत में रोटावेटर चलाकर खेत की अच्छे से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए।
तर ककड़ी (Moist Cucumber) के बीजों की बुवाई समतल भूमि और नाली बनाकर की जाती हैं। इसकी बुवाई कार्य से पहले तैयार खेत में नाली बनानी चाहिए और मिट्टी में जब नमी हो तो बुवाई कार्य शुरू कर देना चाहिए। नमी वाली मिट्टी में ही ककड़ी के बीजों का अंकुरण और विकास अच्छा होता हैं।
तर ककड़ी की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for cultivation of moist cucumber)
अर्का शीतल: तर ककड़ी (Moist Cucumber) की इस किस्म के फल हरे रंग के होते हैं, जो कि मध्यम आकार के होते हैं। इसका गुद्दा कुरकुरा और अच्छे स्वाद वाला होता है। यह किस्म 90-100 दिनों में पक जाती है।
थार शीतल: यह जल्दी पकने वाली किस्म है। इसकी पहली तुड़ाई बुवाई के 45-50 दिन बाद हो जाती है। इसके फलों की लंबाई 25-30 सेंटीमीटर होती है, इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं। फल कड़वाहट से मुक्त होते हैं। इसकी औसतन पैदावार 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह गर्मी के मौसम में गर्म शुष्क परिस्थितियों में उच्च तापमान (42° C तक) पर फल देने करने में सक्षम है।
पंजाब लोंगमेलन- 1: यह जल्दी पकने वाली किस्म है। इसकी बेलें लंबी, हल्के हरे रंग का तना, पतला और लंबा फल होता है। इसकी औसतन पैदावार 86 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
करनाल सलेक्सन: यह किस्म ज्यादा मात्रा में फल पैदा करती है| इसके फल हल्के हरे रंग के, कद में लंबे और गुद्दा कुरकुरा और अच्छे स्वाद वाला होता है।
लखनऊ अर्ली: यह तर ककड़ी (Moist Cucumber) की किस्म लखनऊ और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में बहुत प्रचलित है। इसके फल मुलायम, लम्बे और गूदेदार होते हैं।
अन्य किस्में: तर ककड़ी (Moist Cucumber) की कुछ स्थानीय किस्में जैसे नसदार, नस रहित लम्बा हरा और सिक्किम ककड़ी के नाम से जानी जाती हैं।
तर ककड़ी की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for the cultivation of moist cucumber)
उत्तर क्षेत्र में तर ककड़ी की ग्रीष्मकालीन फसल हेतु बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च के मध्य तक तथा वर्षा कालीन फसल हेतु बुवाई 15 जून से 15 जुलाई के मध्य करनी चाहिए। लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुआई मार्च से अप्रैल के महीने में की जाती है। मध्य भारत में तर ककड़ी (Moist Cucumber) के बीज की बुआई फरवरी से जून तक तथा दक्षिण भारत में जनवरी से मार्च तक होती है।
तर ककड़ी के लिए बीज की मात्रा और बीज उपचार (Seed quantity and seed treatment for fresh cucumber)
तर ककड़ी (Moist Cucumber) की बुवाई नालिया विधि से करने पर 2.0 से 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली से बुवाई करने पर 1.0 से 1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसके बीजों की खेत में बुवाई से पहले मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए बविस्टिन 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।
तर ककड़ी की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer for fresh cucumber farming)
तर ककड़ी (Moist Cucumber) के बीज बोने से एक महीने पहले खेत को तैयार करते समय कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिला देते हैं। इसके साथ ही रासायनिक खाद के रूप में 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।
फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और एक तिहाई नाइट्रोजन की मात्रा आपस में मिला कर बोने वाली नालियों में मिला देना चाहिए। शेष नाइट्रोजन दो बराबर भागों में बाँटकर बुवाई के लगभग 25 से 30 दिन बाद नालियों में डालें और गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ायें तथा दूसरी मात्रा पौधों की बढ़वार के समय 35 से 40 दिन बाद लगभग फूल निकलने के पहले बुरकाव या छिड़काव विधि द्वारा देना चाहिए। उर्वरक देने के तुरंत बाद सिंचाई करे।
तर ककड़ी की खेती के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for moist cucumber cultivation)
अधिकतर जुताई के पश्चात पाटा लगाकर खेत में 1.0 से 2.0 मीटर दूरी पर 30 से 40 सेंटीमीटर चोड़ी नालिया बना दी जाती है। नाली के दोनों किनारों (मेड़ों) पर 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर तर ककड़ी (Moist Cucumber) के बीज की बुवाई करते हैं, एक जगह पर 2 बीज की बुवाई करते हैं तथा 15 से 20 दिन बाद एक स्वस्थ पौधा छोड़कर दूसरा पौधा निकाल देते हैं। नालियों की अधिकतम लंबाई 20 से 25 मीटर रखनी चाहिए।
तर ककड़ी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in moist cucumber Crop)
तर ककड़ी (Moist Cucumber) में अच्छे उत्पादन के लिए पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। ककड़ी की ग्रीष्मकालीन फसल में पांच से सात दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए और बारिश के मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।
फूल और फल आते समय पौधों में पानी की कमी नहीं आनी चाहिए। साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए, कि जब फल की तुड़ाई करनी हो उसके दो दिन पहले सिंचाई अवश्य कर दें। इससे फल चमकीला, चिकना तथा आकर्षक बना रहता है। सिंचाई की नाली यां बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली इस फसल के लिए श्रेष्ठ रहती है।
तर ककड़ी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in moist cucumber crop)
तर ककड़ी के खेत को खरपतावार मुक्त रखने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए। ककड़ी के पौधे लताओं के रूप में विकास करते हैं। इसलिए ककड़ी की फसल में खरपतवार नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता हैं। इसके पौधे भूमि की सतह पर ही फैलते है, जिससे उन्हें रोग लगने का खतरा बढ़ जाता हैं।
खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई विधि का इस्तेमाल किया जाता हैं। तर ककड़ी की फसल (Moist Cucumber Crop) में पहली निराई-गुड़ाई का कार्य पौध रोपाई के 20 से 25 दिन बाद करना चाहिए तथा बाद की निराई-गुड़ाई को 15 से 20 दिन के अंतराल में करना चाहिए। इसकी फसल को 2 से 3 निराई- गुड़ाई की आवश्यकता होती है।
तर ककड़ी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in moist cucumber crop)
फल मक्खी: फल मक्खी का प्रकोप तर ककड़ी (Moist Cucumber) की फसल में मुख्य रूप से देखने को मिलता है। यह ककड़ी को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। ककड़ी की फसल में इस मक्खी की रोकथाम हेतु मैलाथियान 50 ईसी या डाईमिथोएट 30 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
बरूथी: तर ककड़ी की फसल (Moist Cucumber) का यह कीट पत्तियों की निचली सतह पर रहकर मुलायम तने तथा पत्तियों का रस चूसते हैं। इस कीट से निजात हेतु इथियॉन 50 ईसी 0.6 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
लाल भृंग: तर ककड़ी (Moist Cucumber) की फसल में लगने वाला यह कीट लाल रंग का होता हैं और अंकुरित और नई पत्तियों को खाकर छलनी कर देता हैं। इस कीट की रोकथाम हेतु कार्बोरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर या कार्बोरिल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। यह छिड़काव 15-15 दिन के अन्तराल पर दो से तीन बार करें।
तर ककड़ी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in moist cucumber crop)
ऐंथ्राक्नोज: तर ककड़ी (Moist Cucumber) के पौधों पर यह रोग पत्तों पर दिखाई देता हैं। जिसके कारण पत्तियों पर भूरे रंग की छल्लेदार धारियां बन जाती हैं एवं पत्ते झुलसे हुए दिखाई देते हैं। इस रोग के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम या मेंकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
डाउनी मिल्ड्यू: इस रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं तथा नीचे की सतह पर कवक की वृद्धि दिखाई देती हैं। इस रोग के रोकथाम हेतु मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पाउडरी मिल्ड्यू (छाया): यह रोग तर ककड़ी (Moist Cucumber) के पौधों की पत्तियों के ऊपर सफेद चूर्णी धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। इस रोग का प्रकोप फल एवं पत्तियों दोनों पर देखने को मिलता हैं। पत्ते सूख कर गिर जाते हैं एवं फलों की बढ़वार रूक जाती हैं। इसके रोकथाम हेतु पानी में घुलनशील सल्फर 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 से 15 दिनों के अन्तराल में 2 से 3 बार छिड़काव करें।
मुरझाना: इस रोग से पौधे के वेस्कुलर टिशुओं पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पौधा मुरझा जाता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए हैक्सोकैप 0.2 से 0.3 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें।
विषाणु रोग: इस रोग की रोकथाम के लिए कोई प्रभावी उपाय नहीं है फिर भी इसके दुष्प्रभाव को रोकने के लिए रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर जला दें या मिट्टी में दबा दें या इमिडाक्लोप्रिड 0.3 एम एल या रोगोर 1 एम एल प्रति लीटर पानी मैं घोल बनाकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर 3 से 4 छिड़काव करें।
तर ककड़ी के फलों की तुडाई और उपज (Picking and yield of fresh cucumber fruits)
फलों की तुडाई: तर ककड़ी (Moist Cucumber) के फल 60-70 दिनों में तुडाई के लिए तैयार हो जाते हैं। मुख्य तौर पर ककड़ी के फलों की तुड़ाई मुलायम अवस्था में ही (जब फल हरे व मुलायम हों) करनी चाहिए, अन्यथा फलों में आकर्षण कम होने के कारण बाजार भाव घट जाता हैं। कटाई मुख्य रूप से फूल निकलने के मौसम में 3-4 दिनों के अंतराल पर की जाती है।
उपज: तर ककड़ी (Moist Cucumber) की औसत पैदावार 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
तर ककड़ी की खेती के लिए खेतों में 3 से 4 जुताई की आवश्यकता होती है। बुवाई करने से पहले खेत की हल्की सिंचाई करें और नमी वाली मिट्टी में ककड़ी के बीजों की बुवाई करें। मिट्टी में नमी होने से बीजों का अंकुरण और विकास अच्छा होता है। आपको बता दें कि तर ककड़ी (Moist Cucumber) फसल की बुवाई को कतारों में की जाती है।
पौधे की वृद्धि और फलन के लिए 30 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। ककड़ी के बीजों के अंकुरण के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। तर ककड़ी की खेती के लिए 32 से 40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उपयुक्त माना जाता है। वहीं, ज्यादा तापमान या अधिक बारिश होने से तर ककड़ी (Moist Cucumber) में रोगों और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
वैसे तो तर ककड़ी (Moist Cucumber) को रेतीली दोमट व भारी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई एवं दोमट मिट्टी में अच्छी रहती है।
ग्रीष्मकालीन फसल हेतु बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च के मध्य तक तथा वर्षा कालीन फसल हेतु बुवाई 15 जून से 15 जुलाई के मध्य करनी चाहिए।
बीज लगभग 4-5 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं। अस्वस्थ पौधों को दो सप्ताह के बाद हटा दिया जाता है।
हालांकि, जैसे ही पहला फूल आना शुरू होता है, तर ककड़ी (Moist Cucumber) के पौधे को आगे फूलने और फलने को प्रोत्साहित करने के लिए पोटेशियम के उच्च स्तर की आवश्यकता होती है। निर्देशों के अनुसार उच्च पोटेशियम उर्वरक, जैसे टमाटर फ़ीड या पोटेशियम सहित संतुलित उर्वरक मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है।
आमतोर पर तर ककड़ी (Moist Cucumber) की फसल को अन्य फसलों की तुलना अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसकी खेती की बुवाई फरवरी से मार्च महीने में की जाती हैं। इन महीनों में खेती की नमी के अनुसार इसकी सिंचाई करना चाहिए।
प्रति हेक्टेयर उपज की बात करें, तो तर ककड़ी (Moist Cucumber) की फसल से किसान साथी 200 से 250 क्विंटल तक की उपज ले सकते हैं।
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