Moth Farming in Hindi: दलहनी फसलों में मोठ सर्वाधिक सूखा सहन करने वाली फसल है। असिंचित क्षेत्रों लिए यह फसल लाभदायक है। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, देश के प्रमुख मोठ उत्पादक राज्य हैं। मोठ की फसल का उपयोग दाने, हरी खाद, पशुओं के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह फसल फैलावदार होने के कारण मिटटी कटाव को भी रोकती है।
इसकी जड़ों में पाया जाने वाला राईजोबियम जीवाणु वातावरण की नाइट्रोजन को भूमि में इकट्ठा करता है। इस लेख में, हम मोठ की खेती (Moth Cultivation) के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें शामिल तकनीकें और अभ्यास, आर्थिक संभावनाएँ और चुनौतियाँ साथ ही इस कृषि प्रयास की स्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव शामिल हैं।
मोठ की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Moth Cultivation)
मोठ की फसल (Moth Crop) बिना किसी विपरीत प्रभाव के फूल और फली अवस्था में उच्च तापमान को सहन कर सकती है और इसके वृद्धि व विकास के लिये 25 से 37 डिग्री सेन्टीग्रेड तापक्रम की आवश्यकता होती है। वार्षिक वर्षा 250 – 500 मिमी और साथ ही उचित जल निकास की आवश्यकता होती है।
मोठ की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cultivation of Dew Bean)
मोठ की खेती (Moth Cultivation) हल्की भूमियों में अच्छी होती है। हालाँकि अच्छे जल निकास व उच्च उर्वरता वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। खेत में पानी का ठहराव फसल को भारी हानि पहुंचाता है। इसलिए भूमि में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिये।
मोठ की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Moth cultivation)
मोठ की खेती (Moth Cultivation) के लिए खेत की दो बार कल्टीवेटर या हैरो से जुताई कर पाटा लगाकर खेत समतल कर लेना चाहिए। खेत की तैयारी के समय जमीन में 2.5 से 5 टन गोबर या कंपोस्ट मिला देना चाहिए। खेत की तैयारी के समय खेत से पानी निकासी की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखें।
मोठ की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Moth crop cultivation)
सामान्यत: यह देखा गया है कि अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन की पैदावार और स्थानीय किस्मों की उपज में 20-45% का अन्तर रहता है। मोठ की खेती (Moth Cultivation) के लिए कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे- आर एम ओ- 40, आर एम ओ- 225, आर एम ओ- 257, जड़िया, ज्वाला, काजरी मोठ- 3, काजरी मोठ- 2 आदि प्रमुख प्रचलित किस्में है।
मोठ के बीज की मात्रा और बुआई (Quantity of Moth Bean Seeds and Sowing)
बीज की मात्रा: मोठ की खेती (Moth Cultivation) के लिए प्रति हेक्टेयर 16 किलो बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्नत किस्म का उपचारित बीज बुवाई के लिए उपयोग में लेना चाहिये।
बुवाई का समय: जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले पखवाड़े तक या मानसून प्रारम्भ होने के तुरन्त बाद मोठ की बुवाई कर देनी चाहिए, अर्थात मोठ की बुवाई 15 जुलाई तक कर देनी चाहिये। लेकिन शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुवाई 30 जुलाई तक की जा सकती है।
बुवाई का तरीका: उर्द व मूँग की तरह पंक्तियों में निर्धारित गहराई पर सीड ड्रिल या चोंगा द्वारा बुआई करने पर पर्याप्त पौध संख्या प्राप्त की जा सकती है। मोठ (Moth) की बुवाई पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 45 सेमी रखते हुए करनी चाहिए।
मोठ की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in moth crop)
मोठ दलहनी फसल होने के कारण इसे नत्रजन की कम मात्रा में आवश्यकता होती हैं। एक हैक्टर क्षेत्र के लिए 20 किलोग्राम नत्रजन तथा 40 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता होती हैं। मोठ (Moth) के लिए समन्वित पोषक प्रबंधन की आवश्यकता रहती है।
इसके लिए खेत को तैयार करते समय 2.5 से 5 टन गोबर की खाद भूमि में अच्छी प्रकार से मिला देनी चाहिए। बुवाई से पहले 600 ग्राम राइजोबियम कल्चर को को 1 लीटर पानी में व 250 ग्राम गुड़ के गोल में मिलाकर बीज को उपचारित कर छाया में सुखाकर बोना चाहिए।
मोठ की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in moth bean crop)
मोठ की फसल (Moth Crop) को खरपतवार बहुत हानि पहुँचाते है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई पूर्व पेन्डीमैथालीन की 3.30 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टर की दर से सम्मान रूप से छिडकाव कर देना चाहिए। फसल जब 25-30 दिन की हो जाये तो एक गुड़ाई हाथ से कर देनी चाहिए।
मोठ की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Moth Crop)
मोठ की फसल (Moth Crop) को वर्षा होने की वजह से सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती, हालांकि, अगर बारिश कम हो या लंबे समय तक न हो, तो एक या दो बार सिंचाई करनी चाहिए। बुवाई के बाद, अगर फसल की प्रमुख अवस्थाओं में सूखा पड़ने की स्थिति हो, तो उस समय सिंचाई करनी चाहिए। इन अवस्थाओं में वानस्पतिक वृद्धि, पुष्पन, और फली भरना शामिल है। ज़्यादा बारिश होने पर, जल निकास की व्यवस्था करनी चाहिए।
मोठ की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in moth crop)
दीमक: पौधों की जड़ें काटकर दीमक बहुत नुकसान पहुँचाती है, इससे पौधा कुछ दिनों में सुख जाता है। दीमक की रोकथाम के लिए अंतिम जुताई के समय क्लोरापाईरिफॉस पाउडर 20-25 किलोग्राम की मात्रा प्रति हैक्टर की दर से मिट्टी में मिला देनी चाहिए तथा बीज को बुवाई से पूर्व क्लोरापाईरिफॉस की 2 मिली लीटर मात्रा को प्रति किलो बीज दर से उपचारित करना चाहिए।
फली छेदक: मोठ फसल (Moth Crop) में इस कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियोन 50 ईसी या क्यूनालफॉस 25 ईसी, आधा लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
मोयल, हरा तेला व मक्खी: ये कीट पौधों की पतियों से रस चुसकर मोठ फसल को नुकसान पहुँचाते है, इन कीटों की रोकथाम के लिए मैलाथियोन 50 ईसी, 1 लीटर या डायमिथोएट 30 ईसी आधा लीटर प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
मोठ की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Dew Bean crop)
पीला मौजेक विशाणु रोग: ये रोग मोठ की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता हैं, इसमें प्रभावित पतियां पूरी तरह पीली हो जाती है व आकार में छोटी रह जाती है। इस रोग को सफेद मक्खी द्वारा फैलाया जाता है तथा इसके नियंत्रण के लिए मैलाथियोन 50 ईसी, 1 लीटर या डायमिथोएट 30 ईसी आधा लीटर प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
तना झुलसा रोग: इस रोग के कारण मोठ फसल (Moth Crop) के पौधे मुरझाने लगते हैं, इसके लक्षण दिखाई देने पर 2 किलो मैन्कोजेब को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
मोठ फसल की कटाई व गहाई (Harvesting and threshing of moth crop)
जब मोठ (Moth) की फलियां पक कर भूरी हो जाये तथा पौधा पीला पड़ जाये तो फसल की कटाई कर देनी चाहिए। फसल को अच्छी प्रकार सूखने के पश्चात् थ्रेसर द्वारा दाने को अलग कर लिया जाता हैं।
मोठ की फसल से पैदावार (Yield from Dew Bean Crop)
मोठ (Moth) की उन्नत तकनीकों द्वारा खेती करने पर 7 से 9 क्विंटल प्रति हैक्टर दाने की उपज प्राप्त की जा सकती है तथा 8-12 क्विंटल भूसा प्रति हैक्टर प्राप्त हो जाता हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
इसे आम तौर पर मैट बीन, मोठ बीन, मटकी या ओस बीन कहा जाता है। इस फसल की फलियाँ, अंकुर और प्रोटीन युक्त बीज भारत में आम तौर पर खाए जाते हैं। मोठ (Moth) को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है और यह चारागाह की फलियों के रूप में भी काम आ सकती है।
मोठ (Moth) को मुख्य रूप से वर्षा ऋतु के दौरान अच्छी जल निकासी वाली, रेतीली मिट्टी में बीज बोना शामिल है, अक्सर इसकी सूखा-प्रतिरोधी प्रकृति के कारण सीमांत भूमि में; इसे एकल फसल के रूप में या अन्य अनाज जैसे कि बाजरा के साथ अंतर-फसल के रूप में उगाया जा सकता है।
मोठ की खेती (Moth Cultivation) के लिए हल्की, बलुई दोमट या बलुई मिट्टी सबसे अच्छी होती है, ज़मीन में पानी निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
सामान्यतः: मोठ (Moth) की बुवाई जुलाई तक कर देनी चाहिए, हालांकि, शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुआई 30 जुलाई तक की जा सकती है।
मोठ (Moth) के बीज को बुवाई से पहले 3 ग्राम कैप्टान या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बीज को 100 पीपीएम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन घोल में एक घंटे तक भिगोकर सूखा लें, सूखा जड़ गलन रोग की रोकथाम के लिए ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम प्रतिकिलो बीज उपचारित करें। इसके बाद फिर राइजोबियम कल्चर द्वारा उपचारित कर बुवाई करें।
मोठ की फसल (Moth Crop) में पत्तियां पीली होने की समस्या देखने को मिलती है। इस रोग को येलो मोजेक कहते है। यह बीमारी रस चूसने वाले कीटों एफिड सफेद मक्खी द्वारा फैलाया जाता है।
मोठ की फसल (Moth Crop) को आम तौर पर बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं होती। हालांकि, अगर बारिश में लंबा अंतराल हो या नमी की कमी हो, तो फलियां बनने के समय हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बुवाई के बाद, अगर अनियमित बारिश की वजह से सूखा पड़ने की स्थिति हो, तो उस समय सिंचाई करनी चाहिए।
मोठ (Moth) के लिए समन्वित पोषक प्रबंधन उचित रहता है। इसके लिए खेत की तैयारी के समय 3 टन गोबर या कम्पोस्ट की मात्रा भूमि में अच्छी प्रकार से मिला देनी चाहिये। इसके उपरान्त बुवाई के समय 44 किलो डीएपी और 5 किलोग्राम यूरिया भूमि में मिला देना चाहिये।
मोठ की खेती (Moth Cultivation) में उन्नत तकनीक अपनाने पर, औसतन 8-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है। ज़्यादा उपज पाने और खेत की उर्वरक शक्ति बनाए रखने के लिए, सही फसल चक्र अपनाना चाहिए।
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