Green Gram Varieties in Hindi: मूंग (Mung Bean) जिसे हरे चने या मूंग दाल के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुमुखी और पौष्टिक फली है, जिसका देश में सांस्कृतिक और पाककला में महत्वपूर्ण महत्व है। यह लेख भारत में उगाई जाने वाली मूंग की किस्मों (Mung Bean Varieties) के विविध परिदृश्य पर प्रकाश डालता है, पारंपरिक और संकर किस्मों, उनकी अनूठी विशेषताओं, आदर्श बढ़ती परिस्थितियों और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले पोषण संबंधी लाभों की खोज करता है।
मूंग की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Moong)
भारत में पारंपरिक किस्में अपनी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए किसानों के बीच लोकप्रिय हैं। इन किस्मों की खेती पीढ़ियों से की जाती रही है और ये स्थानीय बढ़ती परिस्थितियों के अनुकूल हैं। जबकि संकर मूंग की किस्में (Mung Bean Varieties) भारत में अपनी बेहतर उपज क्षमता और कीट प्रतिरोधक क्षमता के कारण लोकप्रिय हो रही हैं। मूंग की कुछ संकर और सामान्य किस्मों का राज्यवार विवरण इस प्रकार है, जैसे-
राज्य | खरीफ | रबी | जायद (ग्रीष्म) |
महाराष्ट्र | हम – 1, बीएम – 2002-1, पीकेवीएकेएम – 4, बीएम – 4, टार्म – 2 | — | — |
आंध्रप्रदेश | मधिरा – 429, पूसा – 9072, डब्लूजीजी – 2, आईपीएम – 02-14, ओयूएम – 11-5, कोजीजी – 912 | एलजीजी – 460, एलजीजी – 450, एलजीजी – 407, टीएम – 96-2 | — |
राजस्थान | एसएमएल – 668, आईपीएम – 2-3, आरएमजी – 492, एमएच – 2-15 | — | एसएमएल – 668, पीडीएम – 139, मेहा |
ओडीशा | पीडीएम – 139, ओयूएम – 11-5, कोजीजी – 912, आईपीएम – 2-3 | पीडीएम – 139, एलजीजी – 460, टार्म – 1, ओबीजीजी – 52, आईपीएम – 2-3 | — |
बिहार एवं झारखंड | आईपीएम – 2-3, एमएच – 2-15 पंत मूंग – 4, हम – 1, पंत मूंग – 2, नरेन्द्र मूंग – 1, सुनैना, पीडीएम – 139, एमएच – 2 – 15 | हम – 16, पीडीएम – 139, मेहा | पंत मूंग – 5, हम – 12, पूसा विशाल, टीबीएम – 37 |
पंजाब | आईपीएम – 2-3 एमएच – 2-15, एमएल – 818, एमएल – 613 | — | एसएमएल – 668, आईपीएम – 2-3, पंत मूँग – 5 |
हरियाणा | आईपीएम – 2-3, एमएच – 2-15, मुस्कान | — | एसएमएल – 668, पंत मूंग – 5 |
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड | पंत मूँग 5, पंत मूँग – 4, नरेन्द्र मूंग – 1 | — | हम – 16, आईपीएम – 2-3, पीडीएम – 139, मेहा, हम – 12 |
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ | हम – 1, टीजेएम – 721, बीएम – 4, मेहा | — | पीडीएम – 139, मेहा, हम – 1 |
गुजरात | मूंग – 3, गुजरात मूँग – 4, के – 851, पीकेवीएकेएम – 4 | — | — |
हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर | पूसा – 672, केएम – 2241, शालीमार मूंग – 1 | — | — |
कर्नाटक | आईपीएम – 02-14 एवं 2-3 हम – 1, पीकेवीएकेएम – 4, कोजीजी – 912, केकेएम – 3, एलजीजी – 460, टार्म – 1, ओबीजीजी – 52 | — | — |
तमिलनाडू | आईपीएम – 2-3 को – 6, टीएम – 962, वंबन – 2, वंबन – 3 | — | एडीटी – 3, सुजाता (हायब्रिड 12-4) |
पश्चिम बंगाल | एमएच – 2-15, पंत मूँग – 5, पंत मूँग – 4, नरेन्द्र मूंग – 1 | — | हम – 16, आईपीएम – 2-3, पीडीएम – 139, मेहा, टीबी एम – 37, पंत मूंग – 5 एवं पूसा विशाल |
आसाम | आईपीएम – 2-3, पंत मूँग – 4, नरेन्द्र मूंग – 1, एजी – 1, पंत मूंग – 2 | — | हम – 16, पीडीएम – 139, मेहा, पंत मूंग – 5, हम – 12, पूसा विशाल, टीबीएम – 37 |
मूंग की किस्मों की विशेषताएं (Characteristics of Mung Bean Varieties)
मूंग वार्षिक, फलीदार पौधे हैं जो छोटी झाड़ियों के रूप में त्रिपर्णी पत्तियों के साथ उगते हैं। वे छोटे, बेलनाकार फली पैदा करते हैं जिनमें छोटी हरी फलियाँ होती हैं जिन्हें परिपक्वता के विभिन्न चरणों में उपभोग के लिए काटा जा सकता है। कुछ प्रचलित मूंग की किस्मों (Mung Bean Varieties) की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-
के- 851: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत के पौधे ऊँचे होते हैं, इनकी ऊँचाई 85 से 90 सेन्टीमीटर होती है। दाने हरे चमकदार और मध्यम आकार के होते हैं, 1000 दानों का भार 36 ग्राम एवं पकने में यह किस्म 75 से 80 दिन लेती है। इसकी औसत पैदावार 17 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
आर एम जी- 492: खरीफ और जायद के लिये उपयुक्त यह मूंग (Mung Bean) की किस्म 65 से 70 दिनों में पकती है। पौधे मध्यम कद के और सीधे खडे रहते है। 1000 दानो का वजन 41 ग्राम है। दाने चमकदार तथा मध्यम आकार वाले होते है। यह किस्म पीत मोजेक विषाणु रोग के लिए आशिंक प्रतिरोधी और जाली झुलसा और पत्ती रोग के लिए प्रतिरोधी है और यह सूत्रकृमि के लिये भी आशिंक प्रतिरोधी है।
टी- 44: यह मूंग (Mung Bean) की किस्म 65 से 70 दिनों में पककर तैयार होती है। जिसकी औसत उपज 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह खरीफ में जून और जायद में मार्च के दूसरे पखवाड़े में बुआई हेतु उपयुक्त है।
पूसा विशाल: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म पकने में 70 से 75 दिन लेती है। यह जायद एवं खरीफ दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है। इसकी पैदावार क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पी एस- 16: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसकी औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी बुआई जायद फसल के लिए पूरे मार्च में की जा सकती है।
सोना- 12/333: यह 55 से 60 दिनों में पककर तैयार होने वाली किस्म है, जिसका औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके दाने सुनहले रंग के चमकदार होते हैं तथा 15 मार्च से 10 अप्रैल तक बुआई के लिये अनुशासित है। इसकी सभी फलियाँ एक साथ ही परिपक्व होती है।
एस एम एल- 668: मूंग की यह किस्म जायद और खरीफ दोनों ऋतुओं में बुवाई हेतु उचित हैं। इसकी फलीयाँ नीचे की तरफ गुच्छे के रूप में झुकी हुई होती हैं। इसके दाने मोटे होते है एवं 1000 दानों का वजन 58 से 63 ग्राम होता हैं। यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा जल्दी पक कर तैयार होती हैं, इसकी पकने की अवधि 60 से 65 दिन हैं। उचित प्रबन्धन द्वारा इसकी उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती हैं।
एम यू एम- 2: इस किस्म के पौधे ऊँचाई में लगभग 85 सेन्टीमीटर और गुंथे हुए होते हैं। दाने आकार में मध्यम एवं चमकदार होते हैं, इसके 1000 दानों का भार 36 ग्राम होता है। यह किस्म पकने में 80 से 85 दिन लेती है। यह पीले मौजेक रोग को मध्यम रूप से सहन कर लेती है। इस किस्म से 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार ली जा सकती है।
आर एम जी- 62: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म के पौधे मध्यम ऊँचाई वाले सीधे होते हैं। झुलसा रोग रोधी यह किस्म खरीफ व जायद दोनों ऋतुओं में ली जा सकती है। फसल एक समय में पककर तैयार हो जाती है।
आर एम जी- 268: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म सामान्य और कम वर्षा वाले क्षेत्र के लिए जारी की गई। यह किस्म सूखे के लिए प्रतिरोधी है तथा प्रचलित किस्मों से लगभग 20 प्रतिशत तक अधिक उपज देती है।
पी डी एम- 54: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म की कटाई 65 से 70 दिनों में होती है एवं इसकी औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। दाना चमकदार और हरा होता है| यह जायद और खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त है।
टाइप- 1: फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पौधे सीधे बढ़ने वाली, फली लम्बी, दाने हरे रंग के और मध्यम आकार के, हरी खाद तथा पैदावार क्षमता 6 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जायद में बुआई के लिए उपयुक्त है।
टाइप- 44: फसल पकने की अवधि 60 से 70 दिन, हरी खाद के लिए उपयुक्त, ग्रीष्म और वर्षा ऋतू के लिए उत्तम, पौधा अध फैलने वाला , पीला मोजैक वायरस रोग लगता है, सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए उपयुक्त, उपज क्षमता 6 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
टाइप- 51: फसल पकने की अवधि 75 से 80 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला व लंबा, दाना माध्यम आकार का और चमकला हरे रंग का, उपज क्षमता 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, देश के मैदानी क्षत्रों में खरीफ में मिलवां खेती के लिए उत्तम है।
पी एस- 16: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला व लम्बा, पैदावार क्षमता 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सम्पूर्ण भारत में वर्षा और ग्रीष्म दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है।
मोहिनी: फसल पकने की अवधि 70 से 75 दिन, पौधा सीधा फैलने वाला एवं शाखाएं युक्त, प्रत्येक फली में 10 से 12 बीज , दाने छोटे, पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पीला मोजैक वायरस एवं सकस्पोरा लीफ स्पोट रोग के प्रति सहनशील है।
शीला: फसल पकने की अवधि 75 से 80 दिन, पौधा सीधा बढ़ने वाला एवं लम्बा, उपज क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पूरे उत्तर भारत के मौसम के लिए उपयुक्त है।
पन्त मूंग- 1: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 75 दिन खरीफ और 65 दिन जायद, दाने छोटे, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
एम एल- 1: फसल पकने की अवधि 90 दिन, बीज छोटा एवं हरे रंग का, उपज क्षमता 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पंजाब और हरियाणा में खेती के लिए उपयुक्त है।
एम एल- 5: फसल पकने की अवधि 80 से 85 दिन, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ फसल के लिए उपयुक्त, पौधे सीधे बढ़ने वाले और फलियों से लदा होता है, पीला मोजैक रोग कम लगता है।
वर्षा: यह मूंग (Mung Bean) की अगेती किस्म है, पौधा छोटा और झाड़ीनुमा होता है, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, यह किस्म हरियाणा से विकसित की गई है।
सुनैना: फसल अवधि 60 दिन, पौधा अध सीदा बढ़ने वाला, बीज चमकौला और हरे रंग का, पैदावार क्षमता 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, बिहार के क्षेत्र में ग्रीष्म मौसम के लिए उपयुक्त है।
जवाहर- 45: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म को हाइब्रिड 45 भी कहा जाता है, फसल 75 से 85 दिन में पकने वाली, पौधा अध सीधा बढ़ने वाला, पैदावार क्षमता 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ के मौसम के लिए उपयुक्त है।
कृष्णा- 11: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत अगेती किस्म फसल अवधि 65 से 70 दिन, उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए उपयुक्त पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पन्त मूंग- 3: इस मूंग की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 70 दिन, 1000 दाने का वजन 35 ग्राम, ग्रीष्म ऋतू में खेती के लिए उपयुक्त, पीला मोजैक वायरस और पाउडरी मिल्ड्यू रोधक, पौधे की ऊंचाई 50 से 60 सेंटीमीटर, 9 से 11 दाने प्रति फली होते है।
पी डी- 54 एम: इस मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 60 से 65 दिन, पीला वायरस मोजैक रोग रोधक, पैदावार क्षमता 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, बीज बड़ा तथा चमकीला हरे रंग का होता है।
अमृत: फसल पकने की अवधि 90 दिन, इस किस्म की खेती बिहार में खरीफ मौसम में की जाती है, पीला मोजैक वायरस रोग के प्रति सहनशील, पैदावार क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
आर एम जी- 62: यह फसल 65 से 70 पकती है, औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सिचिंत और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, राइजक्टोनिया ब्लाइट, कोण व फली छेदक कीट के प्रति रोधक, फलियां एक साथ पकती हैं।
आर एम जी- 268: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म 62 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 8 से 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सुखे के प्रति सहनशील, फलिया एक साथ पकती हैं।
आर एम जी- 344: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म 62 से 72 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 7 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, खरीफ और जायद के लिए उपयुक्त, ब्लाइट को सहने की क्षमता, चकमदार और मोटा दाना होता है।
गंगा- 8: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म 70 से 72 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, उचित समय और देरी दोनों के लिए उपयुक्त, खरीफ तथा जायद दोनों के लिए उपयुक्त है।
जी एम- 4: यह मूंग (Mung Bean) की उन्नत किस्म 60 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, फलियां एक साथ पकती है, दाने हरे रंग के और बड़े आकार के होते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
मूंग दाल (हिंदी: मूंग) को हरी बीन, मोंगो, मूंग (Mung Bean), मूग दाल (बंगाली में), मैश बीन, मुंगगो या मोंगो, हरा चना, सुनहरा चना और हरा सोया के नाम से भी जाना जाता है।
मूंग (Mung Bean) की किस्मों को अब मुख्य रूप से कीटों और बीमारियों, विशेष रूप से बीन वीविल और मूंग बीन येलो मोजेक वायरस के प्रतिरोध के लिए लक्षित किया जाता है। अभी के लिए, मुख्य किस्मों में भारत में सम्राट, आईपीएम- 2-3, एसएमएल- 668 और मेहा शामिल हैं।
पूसा विशाल: यह मूंग (Mung Bean) की किस्म कम समय में ज़्यादा उपज देती है। इसकी फसल 60-65 दिनों में तैयार हो जाती है, इसकी उपज 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
मूंग (Mung Bean) की ज़्यादा उपज देने वाली किस्में पूसा विशाल, पूसा वैसाखी, मोहिनी, पंत मूंग 1, कृष्ण 11, जवाहर मूंग-3 आदि प्रमुख है।
मूंग (Mung Bean) की कुछ उन्नत किस्में पूसा वैसाखी, मोहिनी, पंत मूंग- 1, कृष्ण- 11, पंत मूंग- 3 और जवाहर मूंग- 3 आर एम जी- 62, आर एम जी- 268, एस एम एल- 668, जवाहर- 45, के- 851, पूसा- 105, पीडीएम- 44, एमएल- 131, जवाहर मूंग- 721, पीएस- 16, एचयूएम- 1, किस्म टार्म- 1, टीजेएम- 3 आदि मूंग की अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में है।
मूंग (Mung Bean) की कुछ हाइब्रिड किस्में मूंग जनकल्याणी, आईपीएम- 2य14.9 (वर्षा), आईपीएम- 302.2, आईपीएम- 512.1 (सूर्या) और आईपीएम- 312.20 (वसुधा) आदि प्रचलित है।
मूंग (Mung Bean) की जल्दी पकने वाली कुछ किस्में एमएच- 1142, पूसा वैसाखी, पंत मूंग- 1, कृष्ण- 11, स्टार- 444 और एसएमएल- 668 आदि प्रमुख है।
मूंग (Mung Bean) की देर से पकने वाली किस्मों में जवाहर मूंग- 721, पूसा- 16, पीडीएम- 54, टीएआरएम- 1, स्टार- 444, एसएमएल- 668, मूंग जनकल्याणी आदि प्रमुख है।
मूंग (Mung Bean) की रोग रोधी किस्मों में एमएच- 421, मोहिनी, हम- 1, पंत मूंग- 1, पंतमूंग- 2, टीजेएम- 3, जेएम- 721 आदि शामिल है
खरीफ मूंग (Mung Bean) की बुआई का उपयुक्त समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई का प्रथम सप्ताह है तथा ग्रीष्मकालीन फसल की 15 मार्च तक बोनी कर देनी चाहिये। बोनी में विलम्ब होने पर फूल आते समय तापक्रम वृद्धि के कारण फलियाँ कम बनती हैं अथवा बनती ही नहीं है इससे इसकी उपज प्रभावित होती है।
ग्रीष्मकालीन मूंग (Mung Bean) की खेती के लिये रबी फसलों के कटने के तुरन्त बाद खेत की तुरन्त जुताई कर 4-5 दिन छोड कर पलेवा करना चाहिए। पलेवा के बाद 2-3 जुताइयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा बनावे। इससे उसमें नमी संरक्षित हो जाती है व बीजों से अच्छा अंकुरण मिलता हैं।
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