
Varieties of Pigeon Pea in Hindi: भारत में अरहर की खेती प्राचीन काल से चली आ रही है और यह पारंपरिक कृषि पद्धतियों का एक अभिन्न अंग रही है। इसकी सूखा-प्रतिरोधी प्रकृति और मिट्टी की गुणवत्ता को समृद्ध करने की क्षमता ने इसे किसानों के बीच एक प्रिय फसल बना दिया है। समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और पोषण संबंधी महत्व के साथ, अरहर की खेती देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यह लेख भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाने वाली अरहर की किस्मों (Pigeon Pea Varieties) की विविधता पर प्रकाश डालता है, उनकी अनूठी विशेषताओं, खेती के तरीकों और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों की खोज करता है। अरहर की खेती की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं की जांच करके, हमारा उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र में इस आवश्यक फसल की किस्मों का व्यापक अवलोकन प्रदान करना है।
अरहर की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Pigeon Pea)
जब भारत में अरहर की किस्मों (Pigeon Pea Varieties) की बात आती है, तो चुनने के लिए पारंपरिक विरासत और आधुनिक उन्नत किस्मों का एक रमणीय मिश्रण है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और लाभ हैं। कुछ राज्यवार अरहर की उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे-
राज्य | अरहर की किस्में |
महाराष्ट्र | बी.डी.एन.- 711, बी.एस.एम.आर.- 736, ए.के.टी.- 8811, पी.के.वी.तारा, विपुला, बी.डी.एन.- 708, आई.सी.पी.एल.- 87119, बी.एस.एम.आर.- 175, वैशाली (बी.एस.एम.आर.- 853) |
कर्नाटक | वांबन- 3, सी.ओ.आर.जी.- 9701, आई.सी.पी.एल.- 84031, बी.आर.जी.- 2, मारूती (आई.सी.पी.- 8863), डब्लू.आर.पी.- 1, आशा (आई.सी.पी.एल.- 87119), टी.एस.- 3, के.एम.- 7 |
मध्यप्रदेश | जे.के.एम.- 189,7, टी.जे.टी.- 501, टी.टी.- 401, आई.सी.पी.एल.- 87119 |
उत्तर प्रदेश | बहार, एन.डी.ए.- 1, एन.डी.ए.- 2, अमर, एम.ए.- 6, एम.ए.एल.- 13, आई.पी.ए.- 203, उपास- 120 |
गुजरात | जी.टी.- 100, जी.टी.- 101,2, बानस, बी.डी.एन.- 2, बी.एस.एम.आर.- 853 |
आंध्रप्रदेश | लक्ष्मी, एल.आर.जी.- 41, एल.आर.जी.- 38, डब्लू.आर.जी.- 27, डब्लू.आर.जी.- 53, बहार, एन.डी.ए.- 1, डब्लू.आर.जी.- 65, सूर्या (एम.आर.जी.- 1004 ) |
बिहार | एम.ए.- 6, आजाद, डी.ए.- 11, आई.पी.ए.- 203, बहार, पूसा- 9, नरेंद्र अरहर- 2 |
झारखंड | बहार, आशा, एम.ए.- 3 |
तमिलनाडु | को.- 6, सी.ओ.आर.जी.- 9701, बंबन- 3, आई.सी.पी.एल.- 151, बंबन- 1 एवं 2 |
छत्तीसगढ़ | राजीव लोचन, एम.ए.- 3, आई.सी.पी.एल.- 87119, विपुला, बी.एस.आर.- 853 |
हरियाणा | पारस, पूसा- 992, उपास- 120, ए.एल.- 201, मानक, पूसा- 855, पी.ए.यू.- 881 |
राजस्थान | उपास- 120, पी.ए.- 291, पूसा- 992, आशा (आई.सी.पी.एल.- 87119 ), वी.एल.ए.- 1 |
पंजाब | ए.एल.- 201, पी.ए.यू.- 881, पूसा- 992, उपास- 120 |
उत्तराखंड | वी.एल.ए.- 1, पी.ए.- 291, उपास- 120 |
बांझपन रोग प्रतिरोधी किस्में: बी.आर.जी.- 2, टी.जे.टी.- 501, बी.डी.एन.- 711, बी.डी.एन. – 708, एन.डी.ए- 2, पूसा- 992, बी.एस.एम.आर.- 853 और बी.एस.एम.आर.- 736 आदि प्रमुख है।
उकटा प्रतिरोधी किस्में: वी.एल. अरहर- 1, बी.डी.एन.- 2, बी.डी.एन.- 708, विपुला, जे.के.एम.- 189, जी.टी.- 101, पूसा- 991, आजाद (के 91- 25), बी.एस.एम.आर.- 736 और एम.ए.- 6 आदि प्रमुख है।
शीघ्र पकने वाली किस्में: पूसा- 855, पूसा- 33, पूसा अगेती, पी.ए.यू.- 881, ए.एल.- 1507, पंत अरहर- 291, जाग्रति (आई.सी.पी.एल.- 151) और आई.सी.पी.एल.- 84031 (दुर्गा) आदि प्रमुख है।
मध्यम समय में पकने वाली किस्में: टाइप- 21, जवाहर अरहर- 4 और आई.सी.पी.एल.- 87119 (आशा) आदि प्रमुख है।
देर से पकने वाली किस्में: बहार, एम.ए.एल.- 13, पूसा- 9 और शरद (डी.ए. 11) आदि प्रमुख है।
हाईब्रिड किस्में: पी.पी.एच.- 4, आई.सी.पी.एच.- 8, जी.टी.एच.- 1 आई.सी.पी.एच.- 2671, आई.पी.एच. – 15-03, आई.पी.एच – 09-05 और आई.सी.पी.एच.- 2740 आदि प्रमुख है।
अरहर की किस्मों की विशेताएँ (Characteristics of Pigeon Pea Varieties)
पारंपरिक अरहर की किस्में (Pigeon Pea Varieties) भारतीय कृषि इतिहास में एक विशेष स्थान रखती हैं, जबकि उन्नत किस्में अधिक उपज और बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं। आज के कृषि परिदृश्य में दोनों का अपना आकर्षण और उपयोगिता है। कुछ अरहर की किस्मों (Pigeon Pea Varieties) की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-
आई सी पी एल- 151: यह अरहर (Pigeon Pea) की किस्म मध्यम 120 से 145 दिन में पकती हैं। इसमें पकाव एक साथ आता है यानि की डिटरमिनेट टाईप की किस्म हैं। ऊंचाई 100 से 120 सेन्टीमीटर होती हैं। इसका दाना बड़ा तथा हल्का पीले रंग का होता हैं। भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिये उपयुक्त किस्म हैं। इस किस्म की पैदावार 12 से 20 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं।
आई सी पी एल- 87: यह मध्यम समय 140 से 150 दिन में पकने वाली अरहर (Pigeon Pea) की बौनी किस्म हैं। इसकी ऊंचाई 90 से 100 सेन्टीमीटर और पैदावार 15 से 20 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं। फलियां मोटी एवं लम्बी होती हैं और गुच्छों में आती हैं तथा एक साथ पकती हैं। इसके बाद गेहूं बोया जा सकता हैं, यह झुलसा रोगरोधी हैं।
आई सी पी एल- 88039: यह अरहर (Pigeon Pea) की किस्म 140 से 150 दिन में पक कर 14 से 16 किंवटल प्रति हेक्टर पैदावार देती हैं। इसके पोधों की ऊंचाई 200 से 225 सेंटीमीटर दानों का रंग भूरा और 100 दानों का वनज 9 से 10 ग्राम होता हैं।
बहार: यह 267 से 275 दिनों में तैयार होने वाली अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म है। इसकी बुआई जुलाई से 31 जुलाई तक एवं मक्का के साथ मिश्रित फसल के रूप में जून माह में की जाती है। इसकी पैदावार क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पूसा- 9: यह 260 से 270 दिनों में तैयार होने वाली अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म है, जिसकी बुआई जुलाई से सितम्बर (शरदकाल) तक की जाती है। इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि शरदकाल में 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
प्रभात: यह अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म 115 से 120 दिन में पकती है। इसके दानों का रंग पीला तथा 1000 दानों का वजन 50 से 55 ग्राम होता हैं। इसकी पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टर होती हैं।
ग्वालियर- 3: यह अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म 180 से 250 दिन में पक कर तैयार होती हैं। इसकी ऊंचाई 225 से 275 सेन्टीमीटर और पैदावार 10 से 15 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं।
यू पी ए एस- 120: 120 से 140 दिन में पकने वाली इस अरहर (Pigeon Pea) की किस्म के पौधों की ऊंचाई 150 से 200 सेन्टीमीटर और पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टर होती हैं।
शरद: यह शरदकालीन बुवाई के लिये उपयुक्त अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म है। पैदावार क्षमता 15 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
बी आर- 265: यह 200 से 220 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी बुआई 15 जून से 10 जुलाई तक की जा सकती है। इस अरहर (Pigeon Pea) किस्म की उपज क्षमता 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
नरेन्द्र अरहर- 1: यह अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म 175 से 180 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी उपज क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
मालवीय अरहर- 13: यह किस्म 170 से 185 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। उपज क्षमता 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। बुआई का समय 15 जून से 31 जुलाई है| यह मैदानी क्षेत्रों के लिये विशेष रुप से उपयुक्त है।
नरेन्द्र अरहर- 2: इस अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 250 से 260 दिन है, इसकी औसत पैदावार 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
आजाद अरहर: यह किस्म 260 से 270 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
अमर: इस अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 200 से 270 दिन है, इसकी औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
उपास- 120: इस किस्म की फसल पकने की अवधि 130 से 135 दिन है, इसकी औसत पैदावार 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पारस: यह अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्म 130 से 135 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार क्षमता 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
मानक: इस अरहर की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 135 से 140 दिन है, इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
टाईप- 21: यह अरहर (Pigeon Pea) की किस्म 160 से 170 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार क्षमता 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
अरहर (Pigeon Pea) की कुछ लोकप्रिय किस्में विल्ट प्रतिरोधी किस्में वीएल अरहर – 1, विपुला, जेकेएम – 189, जीटी – 101, पूसा – 991, आज़ाद (के – 91 – 25), बीएसएमआर – 736, एमए – 6 आदि। क्षेत्र की उपयुक्तता के अनुसार संकर किस्मों पीपीएच – 4, आईसीपीएच – 8, आईपीएच 09 – 5, आईसीपीएच – 2740 का उपयोग करें।
पूसा – 992: यह अरहर (Pigeon Pea) की किस्म भी कम समय में पकने वाली और अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। यह किस्म 120 से 128 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
पूसा अरहर 16: अतिरिक्त जल्दी पकने वाली (120 दिन) किस्म है, अर्ध-बौनी (120 सेमी), निश्चित, उच्च उपज देने वाली अरहर (Pigeon Pea) की किस्म है, जिसमें अर्ध-सीधा कॉम्पैक्ट पौधा होता है जो उच्च घनत्व वाले रोपण और संयुक्त कटाई के लिए उपयुक्त है।
दुनिया की पहली अरहर (Pigeon Pea) की संकर किस्म आईसीपीएच 8 को 1991 में आईसीआरआईएसएटी और आईसीएआर ने संयुक्त रूप से जारी किया था। यह संकर किस्म किसानों के खेतों में शुद्ध लाइन किस्मों की तुलना में 25-30% अधिक उपज देती है। इसके अलावा, यह सूखा-सहिष्णु है।
अरहर (Pigeon Pea) की जल्दी पकने वाली कुछ किस्मों में पूसा अरहर- 16, पूसा- 992, आईपीए 203, पूसा- 855, पूसा- 33, पूसा अगेती, पीएयू- 881, एएल- 1507 और पंत अरहर- 291 प्रमुख रूप से शामिल है।
अरहर (Pigeon Pea) की मध्यम अवधि में पकने वाली किस्मों में टाइप- 21, जवाहर अरहर- 4 और आईसीपीएल- 87119 प्रमुख रूप से शमिल है।
अरहर (Pigeon Pea) की देर से पकने वाली किस्मों में बहार, एमएएल- 13, पूसा- 9, शरद (डीए 11), पीपीएच- 4, आईसीपीएच- 8, जीटीएच- 1, आईसीपीएच- 267 और आईसीपीएच- 2740 प्रमुख रूप से शमिल है।
अरहर की उकठा रोग प्रतिरोधी में एएल- 882, पूसा अरहर- 151, आईपीएच-15-03 और आईपीएच-09-05 प्रमुख है।
अरहर की बांझपन रोग प्रतिरोधी किस्मों में आईसीपीएल- 87119 (आषा), बीएसएमआर- 853 (वैषाली) और बीएसएमआर- 736 शामिल है।
अरहर (Pigeon Pea) की हाइब्रिड किस्मों में आईपीए- 203, आईपीएच- 09-5, आईपीएच- 15-03 शामिल है।
अरहर की बुआई जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के दूसरे सप्ताह के बीच करनी चाहिए। अगर सिंचाई की सुविधा अच्छी हो, तो जून के पहले सप्ताह में भी अरहर (Pigeon Pea) की बुआई की जा सकती है।
अरहर दाल का उत्पादन शुष्क और नमी वाले क्षेत्रों में किया जाता है। इसकी खेती के लिये अच्छी सिंचाई के साथ सूर्य की ऊर्जा की भी जरूरत होती है। इसलिये इसकी बुवाई के लिये जून-जुलाई का महीना बेहतर माना जाता है। अच्छी उपज लेने के लिये अरहर को मटियार दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी में उगा सकते हैं। अरहर (Pigeon Pea) की बुवाई कतारों में की जानी चाहिए।
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