रबी मक्का (Rabi Maize) की खेती उत्तर और पूर्वी मैदानी क्षत्रों में की जाती है। देश के अन्य भागों में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस मौसम में फसल की अधिक अवधि होने के कारण पैदावार भी खरीफ की अपेक्षा 20-30 प्रतिशत ज्यादा होती है और शरदकालीन मक्का (Rabi Maize) में कीटों व बीमारियों से नुकसान भी कम होता है। लगभग 65 प्रतिशत मक्का का उपयोग मुर्गी और पशु आहार के रूप मे किया जाता है।
साथ ही साथ इससे पौष्टिक रूचिकर चारा प्राप्त होता है। भुट्टे काटने के बाद बची हुई कडवी पशुओं को चारे के रूप मे खिलाते हैं। औद्योगिक दृष्टि से मक्का मे प्रोटिनेक्स, चॉक्लेट पेन्ट्स स्याही लोशन स्टार्च कोका-कोला के लिए कॉर्न सिरप आदि बनने लगता है। इस लेख में कृषक बन्धु की जानकारी के लिए शरदकालीन मक्का (Rabi Maize) की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें, की पूरी जानकारी का उल्लेख किया गया है।
शरदकालीन मक्का के लिए भूमि और तैयारी (Land and Preparation for Rabi Maize)
खेत का चयन: रबी मक्का (Rabi Maize) का अच्छा उत्पादन लेने के लिए इसे रेतीली दोमट व अर्द्ध दोमट तथा अच्छे जल निकास वाले खेतों में लगाना चाहिए।
खेत की तैयारी: खेत की 4-5 जुताइयां करके दो बार सुहागा लगाएं तथा खरपतवारों व ढेलों से रहित अच्छी बीज शय्या तैयार हो सके, जिससे बीज का अंकुरण शीघ्र व ज्यादा हो।
शरदकालीन मक्का की बुवाई और तरीका (Sowing and method of Rabi Maize)
बिजाई का समय: रबी मक्का (Rabi Maize) के लिए समतल भूमि पर कतारों में बिजाई के लिए 25 अक्तूबर से 10 नवम्बर तक का सही समय पाया गया है, जबकि मेढों पर बिजाई के लिए 20 नवम्बर तक बिजाई की जा सकती है।
बिजाई का तरीका: समतल ज़मीन पर 10 नवम्बर तक कतारों में बिजाई करना अच्छी पैदावार देता है। मेढ़ों पर बिजाई करने से अंकुरण ज़्यादा होता है तथा फसल का सर्दी से बचाव होता है। बीज मेढ़ों पर दक्षिण दिशा में 4-6 सैंमी तथा समतल बिजाई में 3-4 सेंमी गहरा बोएं। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 75 सैंमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सैंमी रखें तथा पौधों की संख्या 26000 से 27000 पौधे प्रति एकड़ रखे जा सकें।
शरदकालीन मक्का के लिए किस्में (Varieties of Rabi Maize)
संकर मक्का, गंगा 11, डक्क्न 103, 105, त्रिशूलता, शक्तिमान 1 150 से 160 दिन में पकने वाली प्रजातियां हैं। इसके अलावा मोनसैंटो 9081, 9135, पायनियर 3396, 3335, सीडटेक 940, 32.81, धान्या 7705, 7711, 155 से 160 दिन में पकने वाली प्रजातियां हैं। संकुल मक्का की अनुमोदित प्रजातियों का विवरण निम्नवत है, जैसे-
किस्म का नाम | पकने का समय (दिन) | पैदावार (क्विंटल /एकड़) | विशेषतायें |
एच एच एम-1 | 155-160 | 24-26 | पौधे तगड़े और मध्यम ऊंचाई वाले भुट्टे लम्बे, दाने पीले व पिचके हुए |
एच एच एम-2 | 170-180 | 26-27 | भुट्टा लम्बा, दाने लम्बे, सफेद और चमकदार, मक्का की मुख्य बीमारियों जैसे मैडिस पत्ती झुलसा रोग और रतुआ रोग के प्रति रोगरोधी |
एच एम-4 | 160-165 | 27-29 | पत्तियां हरे रंग की, भुट्टे लम्बे और मोटे, दाने उभरे हुए एवं नारंगी, बेबीकॉर्न के लिए सर्वोत्तम किस्म, बेबीकॉर्न पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ |
एच एम-5 | 175-185 | 28-30 | पौधा मोटा और मजबूत, पत्तियां चौड़ी एवं गहरे रंग की, भुट्टे लम्बे व बहुत मोटे, दाना सफेद तथा पिचका हुआ, रोग व पालारोधी किस्म |
एच एम – 10 | 175-185 | 28-30 | पौधे मज़बूत एवं पत्तियां गहरे हरे रंग की, दाने हल्के पीले और हल्के पिचके हुए |
एच एम – 11 | 170-180 | 29-30 | पौधे पतले, मज़बूत और मध्यम ऊंचाई वाले पौधे पतले होने के कारण प्रति एकड़ पौधों में वृद्धि की जा सकती है। भुट्टे लम्बे व मध्यम मोटाई वाले, दाने पीले और हल्के पिचके हुए, रोग रोधी किस्म |
एचक्यू पी एम- 1 | 170-180 | 26-28 | उच्च गुणवत्ता वाली संकर किस्म, पौधे लम्बे और मजबूत, भुट्टे लम्बे व मध्यम मोटाई वाले, दाने पीले रंग के एवं हल्के पिचके हुए |
एचक्यू पीएम- 5 | 175-185 | 27-29 | उच्च गुणवत्ता वाली संकर किस्म, पौधे मज़बूत व पत्तियां हरे रंग की, भुट्टे लम्बे और मध्यम मोटाई के, दाने नारंगी रंग के |
रबी मक्का के लिए बीज और उपचार (Seeds and Treatments for Autumn Corn)
बीज उपचार: बीज जनित तथा मृदा जनित रोगों व कीट व्याधियों से बचाने के लिए बीज को बिजाई से पहले फफूंदनाशक तथा कीटनाशक से उपचारित करना चाहिए। दीमक व प्ररोह मक्खी के लिए इमिडाक्लोपरिड 7 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। रोगों से बचाने के लिए थाइरम 4 ग्राम या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
बीज की मात्रा: रबी मक्का (Rabi Maize) के लिए औसतन 7-10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालने से वांछित पौधों की संख्या प्राप्त की जा सकती है।
रबी मक्का के लिए खाद व उर्वरक (Manure and Fertilizer for Rabi Maize)
शरद्कालीन मक्की (Rabi Maize) से ज़्यादा पैदावार लेने के लिए गोबर की खाद व रासायनिक उवर्रकों की अधिक मात्रा की ज़रूरत होती है। अच्छी गली और सड़ी गोबर की खाद 6 टन प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। सामान्य दशाओं में एनपीके 72:24:24 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से संतुलित मात्रा में डालें। गोबर की खाद और पूरी फास्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट तथा 1/3 नत्रजन खेत की तैयारी के समय और 1/3 भाग नत्रजन फसल के घुटनों की ऊंचाई के समय तथा 1/3 भाग नत्रजन फसल में झण्डे आने के समय दें।
शरदकालीन मक्का में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Rabi Maize)
खरपतवार फसलों से पौष्टिक तत्वों, पानी, प्रकाश व जगह के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 400-600 ग्राम प्रति एकड़ 200-250 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के 1-2 दिन बाद या खरपतवार अंकुरण से पहले छिड़काव करना चाहिए। यदि इस अवस्था पर छिड़काव न किया गया हो तो इसका प्रयोग 20-30 दिन के बाद खड़ी फसल में भी किया जा सकता है।
शरदकालीन मक्का में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Autumn Maize)
सिंचाइयों की संख्या मौसम, फसल काल, वर्षा और मिट्टी की नमी बनाए रखने की क्षमता पर निर्भर करती है। पहली सिंचाई हल्की करें ताकि मेढ़ों के ऊपर पानी ज़्यादा न चढ़े। 30-35 दिन की फसल, फूल आने, दाना भरने व गुम्फावस्था सिंचाई के लिए बहुत संवेदनशील होती हैं। शीतकाल मक्का (Rabi Maize) के दौरान फसल को पाले से बचाने के लिए भूमि को गीला रखना चाहिए।
शरदकालीन मक्का में कीट नियंत्रण (Pest Control in Rabi Maize)
शरद्कालीन मक्का (Rabi Maize) में कोई विशेष कीट का आक्रमण नहीं होता केवल गुलाबी तना छेदक व सैनिक कीड़ों का कभी-कभार आक्रमण हो सकता है। गुलाबी तना छेदक कीट की सूण्डियां सफेद गुलाबी रंग की होती हैं और पौधे के सभी भागों को नुकसान पहुँचाती हैं। इसके प्रकोप से पत्तों पर लम्बे सुराख बन जाते हैं जिसके बाद सूंण्डियां तने में घुस कर पौधे की गोभ पर आक्रमण करती हैं, छोटी फसल में गोभ सूख जाती है व पौधा मर जाता है।
शरदकालीन मक्का में रोग नियंत्रण (Disease Control in Autumn Maize)
रबी मक्का (Rabi Maize) फसल में मुख्तया सामान्य ज़ंग की समस्या आती हैं। यह रोग पक्सिनिया सोरघ नामक फफूंद द्वारा लगता है। इसमें पत्तों पर जंग जैसे छोटे-छोटे धब्बे बन जाते हैं। नियंत्रण के लिए सिफारिश की गई मक्का की रोग रोधी किस्में लगाएं। 400 से 600 ग्राम मैंकोजेब ( डाईथेन एम 45 ) को 200-250 लीटर पानी में घोलकर 2-3 छिड़काव करने से फसल का बचाव रहता है।
शरदकालीन मक्का की पक्षियों से देखभाल (Bird Care of Autumn Corn)
रबी मक्का (Rabi Maize) फसल पकने के अन्तिम 25 दिनों के दौरान इसका पक्षियों से बचाव करें। पक्षियों को गुलेल, पटाखों, ढोल, आदि से डराकर भगाया जा सकता है।
शरदकालीन मक्का की कटाई और गहाई (Harvesting and Threshing Rabi Maize)
जब भुट्टे का ऊपर का छिलका भूरा पड़ जाये तो समझ लें कि फसल पककर तैयार हो गई है, हालांकि तने और पत्ते अभी हरे ही दिखाई देते हैं। मक्का की कटाई के लिए भुट्टों को खड़ी फसल से तोड़ लें और सुखा कर यंत्रचालित या हस्तचालित मशीन से गहाई करें।
शरदकालीन मक्का में अन्तः फसलीकरण (Intercropping in Rabi Maize)
शीतकालीन मक्का (Rabi Maize) में मक्का की पैदावार में बिना किसी नुकसान के अन्तः फसलें उगाना बहुत ही लाभदायक पाया गया है और साथ ही अन्त: फसलें मक्का को पाले से बचाने में काफी लाभदायक पाई गई हैं। आलू, मटर, मेथी, धनिया, पत्ता गोभी, फूल गोभी, गांठ गोभी, हरा प्याज़, ब्रोकली, मूली, शलजम व ग्लैडयोलस इत्यादि अन्तः फसलें सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं । पूर्व-पश्चिम दिशा में निकाली गई मेढ़ों पर दक्षिण दिशा में मक्का तथा उत्तरी दिशा में अन्त: फसलें लगायें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
फसल की बुआई मानसून की शुरुआत के साथ मई के अंत से जून के महीने में की जाती है। वसंत ऋतु की फसलें फरवरी के अंत से मार्च के अंत तक बोई जाती हैं। बेबी कॉर्न की रोपाई दिसंबर और जनवरी को छोड़कर पूरे साल की जा सकती है। स्वीट कॉर्न की बुआई के लिए ख़रीफ़ और रबी सीज़न सर्वोत्तम हैं।
रबी की फसलें मानसून के अंत या सर्दी की शुरुआत में बोई जाती हैं। इन्हें शीतकालीन फसल के रूप में भी जाना जाता है। ख़रीफ़ फ़सलें वर्षा ऋतु की शुरुआत में बोई जाती हैं और इन्हें मानसूनी फ़सलें भी कहा जाता है। फूल खिलने के लिए दिन की लंबी अवधि की आवश्यकता होती है। फूल खिलने के लिए दिन की छोटी अवधि की आवश्यकता होती है।
सबसे अधिक बिहार में मक्के की खेती रबी मौसम में की जाती है। मक्के की खेती का 83% क्षेत्र ख़रीफ़ सीज़न के दौरान उगाया जाता है। पुरानी जलोढ़ मिट्टी में मक्का अच्छी तरह उगती है।
रबी मक्का (Rabi Maize) की बुआई का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर है। रबी मक्का के लिए प्रति हेक्टेयर 20-22 किलोग्राम बीज का प्रयोग करें, जिससे 85-90 हजार पौधे प्राप्त हो सकें। बुआई से पूर्व बीज का उपचार करना आवश्यक है। 2 पंक्तियों के बीच की दूरी 60 सेमी और 2 पौधों के बीच 20-25 सेमी रखें।
उत्तर भारत में ख़रीफ़ मौसम मुख्य उपज का मौसम है। हालाँकि, दक्षिण में मक्के की बुआई अप्रैल से अक्टूबर तक किसी भी समय की जाती है। अंकुरण के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 21°C और वृद्धि के लिए 32°C है।
रबी सीज़न के मक्के की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यह लगातार उच्च उत्पादन देता है, आमतौर पर 6 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक, जबकि ख़रीफ़ सीज़न की तुलना में, जहाँ उपज लगभग 2-2.25 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
गंगा-5 किस्म, मक्का की यह किस्म सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है। इसके दाने पीले रंग के होते हैं। यह किस्म 90 से 100 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। मक्का की इस किस्म से 50 से लेकर 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
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