Salary Cultivation in Hindi: सैलेरी का वनस्पातिक नाम एपिऐसी ग्रेविओलेन्स है एवं इसको कार्नोलीके नाम से भी जाना जाता है। इस फसल के पत्तों के नरम डंठल (पिटियोल) सूप व सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। सैलरी को इसके द्वारा तैयार होने वाली दवाइयों के कारण भी जाना जाता है। इसका प्रयोग जोड़ों के दर्द, सिर दर्द, घबराहट, गठिया, भर काम करने, खून साफ करने आदि के लिए किया जाता है।
सैलरी (Salary) में विटामिन सी, विटामिन के, विटामिन बी 6, फोलेट और पोटाशियम भारी मात्रा में पाया जाता है। इसकी डंडी की औसतन ऊंचाई 10-14 इंच होती है तथा फूलों का रंग सफ़ेद होता हैं। इसके तने हल्के हरे रंग के होते है और इसके साथ 7-18 सैमी लम्बे पत्ते होते है। इससे मुरब्बा, सलाद और सूप तैयार किय जाता है। इस लेख में सैलरी की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
सैलरी के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Salary)
सैलरी (Salary) एक ठंडी-ऋतु की फसल है, जो 8 से 27 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पनपती है। यह अर्ध-कठोर है और मामूली ठंढ को सहन कर सकती है। सैलरी में अधिक तापमान के परिणामस्वरूप कठोर कलियाँ और फैलने की प्रवृत्ति होती है। जड़ें ठंड के तापमान को सहन कर सकती हैं और बच सकती हैं, लेकिन यह उपरी भागों के लिए हानिकारक है।
सैलरी के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Salary)
सैलरी (Salary) को कई तरह की भूमि में उगता है, लेकिन गहरी, रेतीली, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ हों, वह आदर्श है। मिट्टी का इष्टतम पीएच मान 6 से 7.5 है। अगर सिंचाई या बारिश के बाद आपकी मिट्टी स्पंज की तरह महसूस होती है, तो यह एकदम सही है। किसी भी अच्छे किसान की तरह, आप अत्यधिक गीली स्थितियों से बचना चाहेंगे।
सैलरी के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Salary)
सैलेरी की खेती के लिए, भुरभुरी और समतल खेत की जरूरत होती है। खेत को अच्छे स्तर पर लाने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। इसके बाद 2 से 3 बार हल के साथ जोताई करें और जोताई के बाद सुहागा फेरे। इससे मिट्टी भुरभुरी तथा खेत समतल बन जाता है। इसे ऐसी भूमि पर लगाया जाना चाहिए जो जड़ों के विकास के लिए पर्याप्त क्षेत्र प्रदान करे।
सैलरी (Salary) की अच्छी उपज के लिए 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट खाद अंतिम जुताई के समय समानांतर रूप से मिट्टी में मिला देनी चाहिए। खेत तैयार होने के बाद सुविधानुसार मेड या क्यारियाँ बना लें, जिससे सिंचाई और निराई गुड़ाई में सुविधा हो।
सैलरी की उन्नत किस्में (Improved varieties of Salary)
पंजाब सेलरी 1: यह पंजाब खेती बाड़ी यूनिवर्सिटी के द्वारा तैयार की गयी पहली किस्म है। इसके बीज भूरे रंग के होते है, फूलों वाली किस्म पौध लगाने से 140-150 दिनों बाद तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार बीजों के रूप में 4.46 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसमें कुल तेल की मात्रा 20.1% होती है।
आरआरएल-85-1: यह सैलरी की किस्म क्षेत्रीय खोज लबोरटरी, जम्मू के द्वारा तैयार की गयी है। यह 2-3% पीला परिवर्तनशील तेल पैदा करती है।
स्टैण्डर्ड बेयरर: यह सैलरी (Salary) किस्म आईएआरआई, दिल्ली द्वारा तैयार की गयी है। यह सलाद के लिए प्रयोग की जाती है।
राइट ग्रोव जायंट: यह किस्म आईएआरआई, दिल्ली द्वारा तैयार की गयी है। यह भी सलाद के लिए अधिक प्रयोग की जाती है।
फोर्डहुक एम्परर: यह देरी से पकने वाली किस्म है और इसके शुरुआत में पत्ते छोटे, सख्त और घने सफ़ेद रंग के होते है।
जायंट पास्कल: यह सैलरी की किस्म सर्दियो में बढ़िया पैदावार देती है। इसका कद 5-7 सैमी होता है।
यूटाह 52-70: यह सैलरी की 26 सप्ताह में तैयार होने वाली किस्म है।
गोल्डन सेल्फ ब्लाँच: यह सैलरी (Salary) की 14 सप्ताह में तैयार होने वाली किस्म है।
सैलरी के लिए बुवाई का समय (Sowing time for Salary)
बुवाई का समय: सैलरी को बोने का समय इसकी किस्म पर आधारित होता है। मैदानी भागो में खेती के लिए सितम्बर से अक्तूबर तक और मध्यवर्ती क्षत्रों के लिए अगस्त से सितम्बर तथा उच्चे क्षत्रों के लिए अप्रेल से मई तक नर्सरी में बीज की बुवाई कर देनी चाहिए। बीज की बुवाई यदि समय पर की जाती है तो इसका सीधा प्रभाव उपज पर देखने को मिलता है।
बीज की मात्रा: सैलरी की खेती (Salary Farming) करने के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता पड़ती है।
सैलरी के लिए नर्सरी और रोपाई (Nursery and Transplantation for Salary)
नर्सरी तैयार करना: सैलरी के एक हेक्टेयर खेत में पौधा रोपन के लिए 40 से 50 वर्गमीटर की पौधाशाला में बीज की बुवाई करनी चाहिए। बिजाई से पूर्व बीजों को 24 घण्टे तक पानी में भिगोना चाहिए। क्यारियों में 5-7 सेंमी की दूरी पर कतारों में बिजाई करनी चाहिए। पौधाशाला किसी ऊँचे स्थान पर बनाएं जहाँ जल जमाव न हो। पौधशाला की मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए तथा पर्याप्त मात्रा में गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करना चाहिए।
रोपण की विधि: सैलरी (Salary) के पौधे रोपाई के लिए 60-70 दिनों में तैयार हो जाते है, तो उन्हें मुख्य खेत में रोपें। अर्थात पौधों को नर्सरी में बिजाई के लगभग 2 महीने के बाद खेत में 60×20-30 सेंमी के अन्तर पर लगाएं।
सैलरी की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer in Salary Crop)
सैलरी (Salary) की अच्छी उपज के लिए खेत में पर्याप्त मात्रा में जीवांश का होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए खेत में 15 से 20 टन गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट अंतिम जुताई के समय अच्छी तरह से मिला दें। यदि खेत में रासायनिक खाद का प्रयोग करना है, तो लगभग 200 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस की मात्रा और 50 किलो पोटाश की मात्रा काफी होती है।
नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को मिलाकर खेत में बिखेर दें। इस खाद के प्रयोग करने के एक महीने बाद बाकी बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा भूमि में मिला दें।
सैलरी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Salary Crop)
सैलरी की फसल (Salary Crop) में सिंचाई की बहुत आवश्कता होती है। क्योंकि जिस भूमि में सैलरी की फसल उगाई जा रही हो, उस भूमि में नमी हमेशा रहनी चाहिए। जिसके लिए हमे समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। फसल में 7 से 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहे। नाइट्रोजन डालने से पहले थोड़े-थोड़े समय के बाद हल्की सिंचाई की जरूरत होती है।
सैलरी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Salary crop)
सैलरी की फसल (Salary Crop) में अनचाहे खरपतवार को दूर करने के लिए एक बार सिंचाई करने के बाद हल्की- हल्की निराई और गुड़ाई करनी चाहिए। इसकी फसल में ज्यादा गहरी निराई ना करें नही तो जड़े कट सकती है। निराई-गुड़ाई करने के 4 से 6 सप्ताह के बाद मिटटी चढ़ा देनी चाहिए। व्यावसायिक स्तर पर खेती के लिए खरपतवारनाशी पेंडीमेथालिन 3.3 लीटर को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव रोपने के पहले काफी लाभदायक होता है।
सैलरी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in celery crop)
सैलेरी का चितकबरा रोग: यह चेपे रोग के द्वारा कई और अन्य पौधों तक फैलता है। इसके लक्षण नाड़ियो में पीलापन, धब्बे पड़ना, पत्ते मुड़ना और पौधों का विकास रुकना आदि है।
नियंत्रण: उभरे हुए खरपतवारों को हटा दें और खेत में 2 से 3 साल तक सैलेरी ना लगाएं। इसके साथ बीमारी का खतरा कम हो जाता है और उचित दवा का प्रयोग करें।
उखेड़ा रोग: यह एक फंगस वाली बीमारी है, जोकि राइजोक्टोनिया सोलनाईऔर पैथीयम प्रजाति के कारण होती है। इसका लक्षण बीजों का गलना है, इसके साथ अंकुरण होने की दर भी कम हो जाती है या अंकुरण धीरे होता है।
नियंत्रण: यदि इसका हमला सैलरी पर (Salary) दिखे तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम या एम 45 को 150 लीटर पानी में मिलाकर जड़ों के नज़दीक डालें।
पत्तों के निचली ओर धब्बे: यह एक फंगस वाली बीमारी है, जोकि परनोस्पोरा अम्बेलीफार्म के कारण होती है। इसके लक्षण पत्तों पर धब्बे (जो पौधों के विकास के साथ गहरे होते रहते है), पत्तों के ऊपर पीले धब्बे और पत्तों के नीचे की तरफ फूले हुए सफेद धब्बे बन जाते है।
नियंत्रण: यदि इसका हमला दिखे तो ज़िनेब 75 डब्लयु पी 400 ग्राम या एम 45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
अगेता का झुलस रोग: यह बीमारी सर्कोस्पोरा ऐपी के कारण होती है। इसके लक्षण है जैसे की पत्तों के दोनों तरफ छोटे पिले धब्बे आदि।
नियंत्रण: यदि इसका हमला दिखे तो ज़िनेब 75 डब्लयु पी 400 ग्राम या एम 45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
पीला सूखा: यह एक फंगस वाली बीमारी है, जो फउजेरीयम आक्सीस्पोरम के कारण होती है। इसके लक्षण विकास का कम होना,भूरे रंग की जड़ें और वैस्कुलर टिशुओं का रंग फिक्का पड़ना आदि है। यह बीमारी आम रूप से खेत के औज़ार द्वारा पौधों में फैलती हैं।
नियंत्रण: यदि इसका हमला दिखे तो ज़िनेब 75 डब्लयु पी 400 ग्राम या एम 45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
सैलरी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in celery crop)
पत्ते की सुंडी: यह सुंडी पत्तों पर हमला करती है और पत्ते सड़े हुए दिखाई देते है।
नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए उचित कीटनाशक का स्प्रे करें।
गाजर की भुन्डी: यह ताज़े पत्तों पर हमला करती है और इसमें सुरंग बना देती है।
नियंत्रण: सैलरी (Salary) में इसकी रोकथाम के लिए उचित कीटनाशक की स्प्रे करें।
चेपा: यह पत्तों का रस चूसता है, जिसकी साथ पौधे के विकास में रुकावट आती है।
नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए 15 दिनों के फासले पर मैलाथिऑन 50 ईसी 400 मिमी प्रति एकड़ की स्प्रे करें।
सैलरी फसल की कटाई (Celery crop harvesting)
सैलरी (Celery) कटाई आम रूप पर बिजाई से 4-5 महीने के बाद की जाती है, कटाई पौधे और बीज के लिए की जाती है। पौधे ज़मीन से थोड़ा ऊपर तेज़ छुरी की सहायता के साथ काटे जाते है। बीजों की प्राप्ति आम रूप पर बीजों का रंग हल्के भूरे से सुनहरी होने तक की जाती है। फसल तैयार होने के तुरंत बाद कटाई कर लें, क्योंकि कटाई होने में देरी होने के साथ बीज की पैदावार में नुकसान होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
सैलरी (Salary) लगाने के लिए पहले क्यारियाँ बनाकर इसकी पौध तैयार की जाती है। एक हैक्टर के लिए लगभग 40-45 वर्ग मीटर पौध क्षेत्र पर्याप्त रहता है। बिजाई से पूर्व बीजों को 24 घण्टे तक पानी में भिगोना चाहिए। क्यारियों में 5-7 सेंमी की दूरी पर कतारों में बिजाई करनी चाहिए। पौधों को नर्सरी में बिजाई के लगभग 2 महीने के बाद मुख्य: खेत में 60×20-30 सेंमी के अन्तर पर लगाएं।
सैलरी को ऐसी जलवायु पसंद है, जो इसके वनस्पति विकास चरण के दौरान नम और ठंडी रहती है, इसलिए इसे आखिरी ठंढ के तुरंत बाद जमीन में लगाया जा सकता है। सैलरी (Salary) के पौधों को एक दूसरे से लगभग 60×20-30 की दूरी पर लगाया जा सकता है।
सैलरी (Salary) को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह अच्छी जल निकासी वाली, दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है, जिसमें जैविक पदार्थ भरपूर मात्रा में हों। शुरुआती फसलों के लिए रेतीली दोमट मिट्टी बेहतर होती है।
सैलरी (Salary) की अच्छी पैदावार लेने के लिए पहली हल्की सिंचाई रोपाई करने के तुरंत बाद की जाती है। इसके बाद 7 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई मिट्टी की आवश्यकता अनुसार करते रहते हैं, सर्दियों के दिनों में हल्की सिंचाई सप्ताह में एक बार करते हैं।
Leave a Reply