Chappan Pumpkin Cultivation: कद्दूवर्गीय सब्जियां पोषण और आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। चप्पन कद्दू (Summer Squash) कद्दू वर्गीय कुल की एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। छप्पन कद्दू को विलायती कद्दू नाम से भी जाना जाता है। चप्पन कद्दू को सलाद अथवा पका कर सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है। जिसके फलों में लगभग सभी प्रकार के विटामिन एवं खनिज तत्व पायें जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से विटामिन-ए (211 मिग्रा), विटामिन-सी (20.9 मिग्रा) तथा पोटेशियम ( 319 मिग्रा) एवं फास्फोरस ( 52 मिग्रा) प्रति 100 ग्राम फल से मिल जाता है।
यह एक कम कैलोरी (17 किलो कैलोरी प्रति 100 ग्राम फल से) वाली सब्जी है। इसमें खीरे की तुलना में विटामिन बी, विटामिन सी, आयरन एवं फॉस्फोरस की भी अधिकता होती है। भारत में चप्पन कद्दू की खेती (Summer Squash Farming) मुख्यत: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमांचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में की जाती है। इस लेख में चप्पन कद्दू (Summer Squash) की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें की जानकारी का उल्लेख किया गया है।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cultivation of Summer Squash)
मुख्य रूप से चप्पन कद्दू गर्म जलवायु की फसल हैं। मध्यम तापमान वाले जलवायु क्षेत्र इसकी खेती के लिए अच्छे होते है। बीज के अंकुरण के लिए 24-28 डिग्री सेल्शियस तापक्रम उपयुक्त होता है। 18-27 डिग्री सेल्शियस तापमान पौधों के वृद्धि एवं विकास के लिये अच्छा होता है। यह चप्पन कद्दू (Summer Squash) की फसल ज्यादा ठंड और पाला सहन करने की क्षमता नहीं रखती है।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Summer Squash cultivation)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है, परन्तु जीवांशयुक्त और अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसका पीएच मान 6.5-7.5 के बीच हो, इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम पायी गयी है।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Summer Squash cultivation)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की खेती के लिए खेत की 3 से 4 जुताई करके नाली व थालें बना लेते हैं, जिसमें बीज की बुआई करते हैं। इसको अन्य सब्जियों के साथ मेड़ों पर भी उगाते है। बीज की बुआई, खेत में नमी की पर्याप्त मात्रा रहने पर ही करनी चाहिए, जिससे बीजों का अंकुरण और वृद्धि अच्छी प्रकार हो सके।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for cultivation of Summer Squash)
पूसा पसंद: चप्पन कद्दू (Summer Squash) की यह प्रजाति अधिक तापमान को सहन करने वाली एवं संरक्षित खेती के लिए उपयुक्त है। इससे अप्रैल और मई तक फल प्राप्त किये जा सकते हैं। इसके फल हल्के हरे रंग के गोल चिपटे होते हैं। फल का औसत भार 70-80 ग्राम होता है। बुआई के 45 दिन बाद प्रथम तुड़ाई की जा सकती है। खुले खेतो में इसकी औसत उपज 16 टन प्रति हेक्टेयर और लो टनेल पाली हाउस में 22.8 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है।
पूसा अलंकार: यह चप्पन कद्दू (Summer Squash) की एक संकर किस्म है, जिसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं, जिन पर हल्की धारियां बनी होती हैं। फल 40-45 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं, प्रति हेक्टेयर 20-25 टन उपज प्राप्त होती है।
काशी शुभांगी: यह चप्पन कद्दू की अगेती और बौनी किस्म है। जिसके पौधे 35-45 सेन्टीमीटर लम्बे, पत्तियां हरी तथा सिल्वरी धब्बे युक्त होती है। कच्चे फल का रंग हरा, आकार लम्बा, बेलनाकार तथा फल पर हल्की 7-8 धारियां एवं औसत वजन 80-90 ग्राम होता है। फल की लम्बाई 68-75 सेमी तथा गोलाई 21-24 सेमी होती है। इस प्रजाति में विटमिन ए पर्याप्त मात्रा में है, जिससे आखों की रोशनी को लाभ मिलता है। इसकी खेती करके 325-350 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
पंजाब छप्पन कद्दू – 1: यह एक अगेती किस्म है। यह रोमिल असिता रोग के प्रति प्रतिरोधी तथा विषाणु, पम्पकिन बीटल और चूर्णिल असिता के प्रति सहिष्णु है। इसके फलो की औसत उपज 95 कुन्तल प्रति एकड़ होती है।
पैटी पैन: यह किस्म अमेरिका से लायी गयी है, जिसे भारतीय बागवानी अनुसन्धान संस्थान द्वारा संस्तुत किया गया है। यह एक अल्प अवधि (85-90 दिन) की प्रजाति है, जिसके औसत फल का भार 350 से 400 ग्राम एवं प्रति हेक्टेयर उपज 55 टन है।
अर्ली यलो प्रोलीफिक: यह जल्दी पकने वाली प्रजाति है। पौधे झाड़ीनुमा, फल मध्यम आकार के तथा पकने पर नारंगी पीले रंग के होते हैं। तोड़ने के बाद भी इसका गूदा काफी दिनों तक मुलायम रहता है।
आस्ट्रेलियन ग्रीन: इस चप्पन कद्दू (Summer Squash) प्रजाति के पौधे झाड़ीनुमा और फल गाढ़े हरे रंग के, मुलायम, 25 से 30 सेंटीमीटर लम्बे, धारी युक्त होते हैं। प्रति पौधा 10 से 15 फल तथा औसत उपज 150 कुन्तल प्रति हैक्टेयर होती है।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for Summer Squash cultivation)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) को ग्रीष्म और जायद ऋतु में उगाया जाता है। जबकि पॉली हाउस या ग्रीन हाउस में इसकी खेती वर्ष भर की जाती है। इस फसल की बुआई ग्रीष्म में सितम्बर माह के द्वितीय पखवाड़े से लेकर नवम्बर के प्रथम पखवाड़े और जायद के लिए मध्य जनवरी से मार्च तक करनी चाहिए। लो टनेल में इसकी खेती करने के लिए दिसम्बर महीने में भी बुआई की जा सकती है।
चप्पन कद्दू के बीज की मात्रा और बीज उपचार (Seed quantity and seed treatment of Summer Squash)
एक हेक्टेयर क्षेत्र में चप्पन कद्दू (Summer Squash) के लगभग 7000-7500 पौधें होने चाहिए, जिसके लिए 3.5-4.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। फफूंद जनित रोगो से बचाव हेतु बीज को बुवाई से पहले फफुदी नाशक दवा जैसे- 2.5 ग्राम कैप्टान या 3.0 ग्राम थिरम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए।
चप्पन कद्दू की खेती के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for Summer Squash cultivation)
बीज की बुआई उठी हुयी क्यारियों में 1.25-2.5 सेन्टी मीटर गहराई पर करना चाहिए। एक स्थान पर 2-3 बीज की बुवाई करनी चाहिये। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.50 मीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 80 सेमी रखते है। जब पौधे लगभग 10 सेमी ऊँचाई के हो जाएँ, तो अतिरिक्त पौधों को निकाल कर एक स्थान पर एक या दो पौधा रहने दें।
चप्पन कद्दू (Summer Squash) के मृदा रहित माध्यम में तैयार पौधों को भी सीधे खेत में लगाया जा सकता है, जिसके लिए पौधों को 1.5 इंच के प्लग ट्रे में 3:1:1 अनुपात के कोकोपिट, वर्गीकुलाइट, परलाइट मिश्रण में तैयार किया जा सकता है, 28 दिन के पौधे को सीधे खेत में लगाया जा सकता है।
चप्पन कद्दू की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Summer Squash crop)
चप्पन कद्दू के लिए (Summer Squash) खेत की तैयारी के समय 15-20 टन सड़ी हुयी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। 100 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के समय देना चाहिए। शेष नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के 30 से 35 दिन बाद पौधों की जड़ों के पास देकर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
पालीहाउस में खेती हेतु 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 250 किलोग्राम सड़ी हुयी गोबर की खाद 12 किलोग्राम नत्रजन, 800 ग्राम फास्फोरस और 600 ग्राम पोटाश उपयुक्त पाया गया है। 250 किलोग्राम सड़ी हुयी गोबर की खाद 800 ग्राम फास्फोरस एवं 600 ग्राम पोटाश की पूरी मात्रा तथा 600 ग्राम नत्रजन को बुवाई के समय देना चाहिए। शेष नत्रजन की 600 ग्राम मात्रा बुवाई के 30 से 35 दिन बाद पौधों की जड़ों के पास देकर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
चप्पन कद्दू की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Summer Squash Crop)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) ग्रीष्म ऋतु की फसल है। यदि खेत में उपयुक्त नमी न हो तो बुवाई के समय नाली में हल्का पानी लगा देना चाहिए, जिससे बीज का अंकुरण अच्छी तरह से हो जाता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
चप्पन कद्दू की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Summer Squash crop)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के 20-25 दिन बाद हाथ से अथवा हैरो से निकाई गुड़ाई करना चाहिए। खरपतवार निकालने के साथ-साथ खेत की 1-2 गुड़ाई करके जड़ों के पास मिट्टी चढ़ाते हैं, जिससे पौधों का विकास तेजी से होता है। रासायनिक खरपतवार नाशी के रूप में ब्यूटाक्लोर रसायन 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज बुआई के तुरंत बाद छिड़काव करते है।
चप्पन कद्दू की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Chappan Pumpkin crop)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) में जमाव के तुरन्त बाद कद्दू का लाल कीट पौधों को नुकसान पहुँचाता है, जिससे बचने के लिए डाईक्लोरवास 76 ईसी 1.25 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर बीजपत्रिय अवस्था में छिड़काव करना चाहिए।
चप्पन कद्दू में फल लगते समय यदि फल मक्खी का प्रकोप हो रहा हो तो इसके रोकथाम के लिए क्षतिग्रस्त फल को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए तथा 4 प्रतिशत नीम की गिरी का अर्क का छिड़काव करना चाहिए।
इसके अलावा फल मक्खी के नियंत्रण हेतु येलो स्टिकी ट्रैप का भी प्रयोग कर सकते है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 15-30 ट्रैप की आवश्यकता होती है। ट्रैप को समय-समय पर साफ करके फसी हुई मक्खियों को निकालते रहना चाहिए।
चप्पन कद्दू की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Chappan Pumpkin crop)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) के फल पर मृदु रोमिल असिता (डाऊनी मिल्ड्यू) का प्रकोप होने पर इसके रोकथाम के लिए मेटालैक्जिल 8 प्रतिशत, मैन्कोजेब 64 प्रतिशत डब्लूपी दवा को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे।
फल तुड़ाई के समय तना तथा फल सड़न बीमारी आने की सम्भावना होती है। इसके रोकथाम के लिए कापर हाइड्रॉक्साइड 77 प्रतिशत डब्ल्यूपी 20 ग्राम प्रति लीटर और फोस्टाइल एलुमिनिमय 80 प्रतिशत डब्लूपी को 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से तना तथा फल सड़न को रोका जा सकता है।
चप्पन कद्दू के फलों की तुड़ाई और उपज (Picking and yield of Chappan Pumpkin)
फलों की तुड़ाई: चप्पन कद्दू (Summer Squash) की फसल बुआई के लगभग 45-55 दिन बाद तैयार हो जाती है, जिससे लगभग 10-12 तुड़ाई की जा सकती है। फल कोमल एवं मुलायम अवस्था में तोड़ना चाहिए, फलों की तुड़ाई 2-3 दिनों के अन्तराल पर करते रहना चाहिए।
उपज: चप्पन कद्दू (Summer Squash) की फसल से उपज किस्म के चयन, खाद और उर्वरक और फसल की देखभाल पर निर्भर करती है। परन्तु उपरोक्त वैज्ञानिक विधि और उन्नत किस्म चुनाव के बाद औसत पैदावार 250 से 500 कुंतल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की बिजाई उठी हुई क्यारियों के किनारों पर और 80 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। एक स्थान व 2-3 बीज बोये। उगने के बाद एक स्थान पर एक ही पौधा रखें। एक एकड़ खेत में बिजाई के समय 60 किलोग्राम सिंगिल सुपर फास्फेट, 17 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश तथा 22 किलो यूरिया फसल मे डालने चाहिए।
मुख्य रूप से चप्पन कद्दू (Summer Squash) गर्म जलवायु की फसल हैं। यह ज्यादा ठंड और पाला सहन करने की क्षमता नहीं रखती है। इसकी खेती के लिए सर्वाधिक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस है, आदर्श तापक्रम 25 से 30 डिग्री सेल्सियस है। चप्पन कद्दू की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।
रेतली दोमट से दोमट मिट्टी चप्पन कद्दू (Summer Squash) की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी होती है। चप्पन कद्दू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5-6.5 होना चाहिए।
इसकी बिजाई के लिए मध्य जनवरी से मार्च और अक्तूबर से नवंबर का महीना (संरक्षण में) उपयुक्त होता है। चप्पन कद्दू (Summer Squash) की बिजाई उठी हुई क्यारियों के किनारों पर करनी चाहिए।
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की पैटी पैन पैदावार की दृष्टि से सबसे अच्छी किस्म है। पूसा पसंद और पूसा अलंकार चप्पन कद्दू की अगेती व ज्यादा उपज देने वाली शंकर किस्म है।
ग्रीष्म ऋतु में उपयुक्त नमी न हो तो चप्पन कद्दू (Summer Squash) की बुवाई के समय नाली में हल्का पानी लगा देना चाहिए, जिससे बीज का अंकुरण अच्छी तरह से हो जाता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार 7-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए खाद और उर्वरक की संतुलित मात्रा डालें। मिट्टी की तैयारी के दौरान लगभग 15-20 टन सड़ा हुआ गोबर खाद डालना पड़ता है, जो आमतौर पर आखिरी जुताई में ऊपरी मिट्टी तक होता है। नाइट्रोजन और पोटेशियम का प्रयोग उपज बढ़ाने में फायदेमंद है।
चप्पन कद्दू (Summer Squash) की फसल से उपज किस्म के चयन, खाद और उर्वरक और फसल की देखभाल पर निर्भर करती है। परन्तु उपरोक्त वैज्ञानिक विधि और उन्नत किस्म चुनाव के बाद औसत पैदावार 250 से 500 कुन्तल प्रति हैक्टेयर होती है।
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