Vilayati Spinach Farming in Hindi: विलायती पालक (स्पिनेशिया ओलेरासिया एल.) एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो ठंड के मौसम में उगाई जाती है और मध्य एशिया में पाई जाती है। इसके पत्तों और रसीले तनों को आम खाद्य सब्जी के रूप में खाया जाता है। यह द्विगुणित है और इसमें गुणसूत्र संख्या 2n=2x=12 है। यह चेनोपोडियासी परिवार से संबंधित है। यह पौधा प्रकृति में द्विलिंगी वार्षिक है, अर्थात लिंग अभिव्यक्ति टेट्रामॉर्फिक है।
भारत में विलायती पालक (Vilayati Spinach) अधिकतर पहाड़ियों में उगाया जाता है। इसे सर्दियों के मौसम में उत्तर और पूर्वी भाग में भी उगाया जाता है। यह बहुत पौष्टिक है, विशेष रूप से फाइबर से भरपूर है और विटामिन ए, विटामिन सी, फोलिक एसिड और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिनों के साथ-साथ आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे खनिजों का भंडार है।
विलायती पालक (Vilayati Spinach) कब्ज और एनीमिया की समस्या पर काबू पाने के लिए बहुत उपयोगी है। इसकी पत्तियों को ताजा और सूखे दोनों रूपों में सब्जी के रूप में खाने और गेहूं के आटे के साथ रोटी / पूरी / परांठा आदि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लेख में विलायती पालक की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
विलायती पालक की खेती के लिए जलवायु (Climate for cultivation of vilayati spinach)
विलायती पालक ठंडे मौसम की फसल है और पाले को सहन कर सकती है। ठण्ड में विलायती पालक (Vilayati Spinach) की पत्तियों की बढ़वार अधिक होती है जबकि तापमान उच्च होने पर जल्दी फूल खिलते हैं। इसलिए इस पालक की खेती मुख्यत: शीतकाल में करना अधिक लाभकारी होता है।
विलायती पालक की खेती के लिए मिट्टी का चयन (Soil selection for Vilayati Spinach cultivation)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन भारी मिट्टी की तुलना में रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। यह मध्यम रूप से नमक सहन करने वाली होती है और पीएच 6.5 से 7.5 वाली लवणीय-सोडियम मिट्टी में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होनी चाहिए और यह खेत की खाद के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करती है।
विलायती पालक की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for cultivation of Vilayati Spinach)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) की खेती के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। इसके बाद हैरो या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार जुताई की जानी चाहिए। बुआई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए। खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 25-30 टन गोबर की खाद मिट्टी में मिलानी चाहिए। जुताई के समय ही खेत से खरपतवार भी निकाल देने चाहिए।
विलायती पालक की खेती के लिए किस्में (Varieties for cultivation of vilayati spinach)
वरजीनिया सैवाय: इसका बीज कांटेदार तथा पत्ते गहरे हरे रंग के बड़े और गोल सिरे वाले होते हैं। विलायती पालक की इस किस्म से औसत उपज 100-125 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।
लौंग स्टेंडिंग: इस विलायती पालक (Vilayati Spinach) किस्म के पत्ते गहरे रंग के, तने मोटे, लम्बे और धीरे फैलने वाले होते है। औसत उपज 100-125 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।
पूसा विलायती पालक: एक अत्यधिक पौष्टिक किस्म स्वदेशी रूप से विकसित पूसा विलायती पालक एक कांटेदार बीज वाली किस्म है जिसमें पूरी तरह से हरा रसीला तना और पत्तियां होती हैं। यह मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों के लिए शरद ऋतु और सर्दियों के मौसम के लिए उपयुक्त है। यह औसतन 120-130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी पत्तियों की उपज देती है।
विलायती पालक की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for cultivation of Vilayati Spinach)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) को अक्टूबर के बाद बोया जा सकता है, लेकिन उत्तरी मैदानों के लिए नवंबर सबसे अच्छा समय है। मध्य पहाड़ियों (850-2500 मीटर) पर, इसे सितंबर के महीने में उगाया जा सकता है, जबकि उच्च पहाड़ियों (2,500 मीटर से अधिक) में बर्फ पिघलने के बाद अप्रैल-मई बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय है।
विलायती पालक के बीज की मात्रा और उपचार (Seed quantity and treatment of Vilayati Spinach)
बीज दर: एक हेक्टेयर भूमि में सीधी बुवाई के लिए विलायती पालक (Vilayati Spinach) के 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार: बुवाई से पहले, बीज को 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से थिरम या 5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से ट्राइकोडर्मा से उपचारित करना चाहिए।
विलायती पालक की खेती के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for cultivation of Spinach)
विलायती पालक की बुआई के समय खेत में नमी का होना जरूरी है। यदि इसको पंक्तियों में बोया जा रहा है, तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी भी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। यदि आप छिटकवां विधि से बुआई करते हैं, तो यह ध्यान रखें कि बीज ज्यादा पास – पास न गिरने पाएं। अतिरिक्त पौधों को निकाल कर अंकुरण के बाद पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी बनाए रखी जाती है। विलायती पालक (Vilayati Spinach) के बीज की बुवाई दो से तीन सेंटीमीटर की गहराई पर करते हैं।
विलायती पालक की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers in the crop of spinach)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) के लिए भूमि की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 25-30 टन गोबर की खाद मिट्टी में मिलानी चाहिए। पत्ती की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। खेत की तैयारी के दौरान बुवाई से पहले नाइट्रोजन और फॉस्फोरस 50:50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए।
नाइट्रोजन को दो बराबर मात्रा में विभाजित करके भी डालनी चाहिए, पहली और दूसरी पत्ती की कटाई के बाद 30 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से पत्तियों की प्रत्येक कटाई के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में और शीघ्र पुनर्वृद्धि के लिए यूरिया के 1% घोल का छिड़काव करें।
विलायती पालक की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in spinach crop)
अगर बुआई के समय नमी की कमी हो तो बुआई के तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई कर दें। विलायती पालक (Vilayati Spinach) की फसल को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह ठंडे मौसम की फसल है। हालाँकि आवश्यकतानुसार 10 से 12 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
विलायती पालक की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in vilayati spinach crop)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) की फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए एक या दो निराई या गुड़ाई की आवश्यकता होती है, पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 30 दिन और दूसरी 45 दिन बाद करनी चाहिए। विलायती पालक की फसल में शुरुवाती खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन 3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के तुरंत बाद छिडकाव करें।
विलायती पालक की फसल की कटाई (Harvesting of Vilayati Spinach Crop)
विलायती पालक (Vilayati Spinach) फसल की पहली कटाई बीज बोने के 40-45 दिन बाद उपलब्ध होती है। अगली कटाई लगभग 20 दिन बाद की जा सकती है और 2-3 कटाई तब तक की जा सकती है, जब तक कि फसल फूलना शुरू न कर दे, जब पत्तियाँ खाने के लिए अनुपयुक्त हो जाती हैं।
विलायती पालक की फसल से उपज (Yield of vilayati spinach crop)
विलायती पालक की खेती यदि उपरोक्त तकनीक से तथा फसल की सही देख-रेख में की जाए तो लगभग 100 से 130 क्विंटल तक हरी विलायती पालक प्रति हैक्टर प्राप्त की जा सकती है। यदि विलायती पालक (Vilayati Spinach) की खेती बीज उत्पादन के लिए की जा रही है, तब 7 से 12 क्विंटल बीज प्रति हैक्टर उपज मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
विलायती पालक के बीजों को हल्की मिट्टी से ढंकते हुए ½ से 1 इंच (1 से 2,5 सेमी) की गहराई में लगाने की आवश्यकता होती है। पौधों के बीच दूरी: पंक्तियों के बीच 7-11 इंच (20-30 सेमी) और पंक्ति में पौधों के बीच 3-6 इंच (7-15 सेमी) की दूरी होनी चाहिए। यदि खेत में नमी की कमी हो, तो विलायती पालक (Vilayati Spinach) के बीज बोने के तुरंत बाद खेत की सिंचाई कर देते हैं।
विलायती पालक की सफलतापूर्वक खेती के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है। ठण्ड में इसकी पत्तियों की बढ़वार अधिक होती है, जबकि तापमान अधिक होने पर इसकी बढ़वार रुक जाती है। इसलिए विलायती पालक (Vilayati Spinach) की खेती मुख्यत: शीतकाल में करना अधिक लाभकारी होता है।
विलायती पालक को लवणीय भूमि में उगाया जा सकता है, जहाँ अन्य फसलें नहीं उग सकतीं। हालांकि, विलायती पालक (Vilayati Spinach) की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है, जिसका पीएच मान 6.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
विलायती पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई: निचले क्षेत्रों में अक्तूबर-नवम्बर, मध्य क्षेत्रों में सितम्बर-अक्तूबर और ऊंचे क्षेत्रों में अप्रैल-जुलाई में की जा सकती है, जिससे विलायती पालक (Vilayati Spinach) की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
पूसा विलायती पालक: यह मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों के लिए शरद ऋतु और सर्दियों के मौसम के लिए उपयुक्त है। यह औसतन 120-130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी पत्तियों की उपज देती है। विलायती पालक (Vilayati Spinach) में कंटीले बीज वाली और गोल बीज वाली किस्में पायी जाती हैं।
विलायती पालक (Vilayati Spinach) फसल की पहली कटाई बीज बोने के 40-45 दिन बाद उपलब्ध होती है। अगली कटाई लगभग 20 दिन बाद की जा सकती है और 2-3 कटाई तब तक की जा सकती है। बीज के लिए उगाई गई फसल 90 से 120 दिन में तैयार होती है।
विलायती पालक (Vilayati Spinach) की फसल से औसतन 10 से 13 टन प्रति हेक्टेयर हरी पत्तियाँ 2-3 कटाई में प्राप्त की जा सकती हैं।
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