समस्त खाद्यान्नों में गेहूं (Wheat) का प्रमुख स्थान है। गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए संस्तुत उन्नत किस्मों (Varieties), गुणवत्ता बीज और उचित फसल प्रबन्धन अपनाना चाहिए। गेहूँ के उत्पादन को बढ़ाने में गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) जो कि अधिक पैदावार की क्षमता से युक्त हैं और रोग रोधी हैं, का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये किस्में भारत वर्ष के विभिन्न जलवायवीय क्षेत्रों के लिए वहाँ की परिस्थितियों के अनुकूल विकसित की जाती हैं, क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशेषता होती है तथा भूमि का प्रकार तापमान और वर्षा आदि।
अतः कृषक को उन्हीं गेहूं की किस्में (Wheat Varieties) को अपने क्षेत्र में अपनाना चाहिए जहाँ के लिए उन्हें अनुमोदित किया गया है। मैदानी क्षेत्रों में सामान्यतया सिंचित दशा में समय से बोई गयी गेहूं की किस्में (Wheat Varieties) 140-150 दिन में पक जाती हैं तथा अच्छे प्रबन्धन में कृषक 60 कुन्तल प्रति हैक्टर तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। कुछ किस्मों की उत्पादन क्षमता 60-70 कुन्तल प्रति हैक्टर है और अच्छे फसल प्रबन्धन और फसल वृद्धि हेतु अनुकूल परिस्थितियों में यह उपज प्राप्त की जा सकती है।
इस प्रकार सिंचित दशा में विलम्ब से बुवाई की जाने वाली गेहूं की किस्में (Wheat Varieties) 120-125 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं और इनकी उपज 40-50 कुन्तल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है। अच्छे प्रबन्धन द्वारा अनुकूल वातावरण की दशा में 50 कुन्तल प्रति हैक्टर से भी अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। पहाड़ी क्षेत्रों में गेहूँ की अधिकांश खेती असिंचित दशा में होती है और इस दशा में अच्छे प्रबन्धन से 25-30 कुन्तल प्रति हैक्टर (0.5-0.6 कुन्तल प्रति नाली) तथा सिंचित दशा में 35-40 कुन्तल प्रति हैक्टर (0.7-0.8 कुन्तल प्रति नाली) उपज प्राप्त की जा सकती है।
पहाड़ी क्षेत्रों में असिंचित दशा में गेहूँ की फसल 165 – 170 दिनों में तथा सिंचित दशा में 160-165 दिनों में पक जाती है। इसी क्रम में भारत वर्ष को गेहूँ में शोध तथा प्रजातियों के विकास की दृष्टि से छः क्षेत्रों में बाटा गया है, इन क्षेत्रों के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) का विवरण निम्नवत् है।
गेहूं की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Wheat)
उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (North Western Plains)
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र, जम्मू कश्मीर के जम्मू एवं कठुआ जिले तथा हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला व पोंटा घाटी इन क्षत्रों के लिए गेहूं की किस्में (Varieties of Wheat) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./ है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
डब्ल्यू बी 2 | सिंचित, समय से बुआई | 51.60 | 58.90 |
एच पी बी डब्ल्यू 01 | सिंचित, समय से बुआई | 51.70 | 64.80 |
पी बी डब्ल्यू 723 | सिंचित, समय से बुआई | 49.20 | 63.20 |
डीबीडब्ल्यू 88 | सिंचित, समय से बुआई | 54.20 | 69.90 |
एच डी 3086 | सिंचित, समय से बुआई | 54.60 | 71.10 |
डब्ल्यू एच 1105 | सिंचित, समय से बुआई | 52.50 | 71.60 |
एच डी 2967 | सिंचित, समय से बुआई | 50.40 | 66.00 |
डी बी डब्ल्यू 173 | सिंचित, देर से बुआई | 47.20 | 57.00 |
डब्ल्यू एच 1124 | सिंचित, देर से बुआई | 42.70 | 56.10 |
डी बी डब्ल्यू 71 | सिंचित, देर से बुआई | 42.70 | 68.90 |
डी बी डब्ल्यू 90 | सिंचित, देर से बुआई | 42.70 | 66.60 |
एच डी 3059 | सिंचित, देर से बुआई | 39.50 | 59.40 |
डब्ल्यू एच 1142 | सीमित सिंचाई, समय से बुआई | 48.10 | 62.50 |
पीबीडब्ल्यू 644 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 31.40 | 44.80 |
डब्ल्यू एच 1080 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 30.80 | 44 |
पीबीडब्ल्यू 660 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 35.30 | 49.30 |
एच डी 3043 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 42.80 | 50.20 |
उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र (North Eastern Plains)
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल की पहाड़ियों को छोड़कर, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी भागों के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./ है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
एच डी 2967 | सिंचित, समय से बुआई | 45.00 | 65.00 |
के 1006 | सिंचित, समय से बुआई | 47.00 | 65.40 |
एन डब्ल्यू 5054 | सिंचित, समय से बुआई | 47.00 | 64.20 |
डी बी डब्ल्यू 39 | सिंचित, समय से बुआई | 44.60 | 64.70 |
एच डी 2985 (पूसा बसंत) | सिंचित, समय से बुआई | 37.70 | 51.40 |
राज 4120 | सिंचित, समय से बुआई | 47.00 | 51.50 |
डी बी डब्ल्यू 107 | सिंचित, देर से बुआई | 41.30 | 68.70 |
एच डी 3118 | सिंचित, देर से बुआई | 41.70 | 66.00 |
एच डी 2985 | सिंचित, देर से बुआई | 37.70 | 51.40 |
एच आई 1563 | सिंचित, देर से बुआई | 37.60 | 51.70 |
एच डी 3171 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 28.01 | 46.30 |
मध्य क्षेत्र (Central Region)
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग तथा उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र (झांसी एवं चित्रकूट संभाग) के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./ है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
एच आई 8713 (कठिया) | सिंचित, समय से बुआई | 52.30 | 68.20 |
एम पी ओ 1215 (कठिया) | सिंचित, समय से बुआई | 48.60 | 65.30 |
जी डब्ल्यू 366 | सिंचित, समय से बुआई | 51.70 | 77.90 |
जीडब्ल्यू 322 | सिंचित, समय से बुआई | 44.70 | 66.20 |
राज 4238 | सिंचित, देर से बुआई | 45.50 | 62.80 |
एम पी 3336 | सिंचित, देर से बुआई | 44.70 | 64.40 |
एच डी 2864 (ऊर्जा) | सिंचित, देर से बुआई | 38.80 | 51.50 |
एच डी 2932 | सिंचित, देर से बुआई | 44.70 | 66.20 |
एमपी 4010 | सिंचित, देर से बुआई | 44.70 | 43.50 |
एच आई 8627 (कठिया) | सी. सिं./वर्षा आधारित, समय से बुआई | 29.8 (सी.सिं)/20.1 (व.आ.) | 46.8 (सी. सिं) / 38.8 (व.आ.) |
एच आई 1500 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 16.00 | 30.00 |
एच डी 4672 (मालव रत्ना) कठिया | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 18.50 | 30.00 |
एच डब्ल्यू 2004 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 17.50 | 20.20 |
डी बी डब्ल्यू 110 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 39.00 | 50.50 |
एम पी 3173 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 25.70 | 46.00 |
एम पी 3288 | सी. सिं./वर्षा आधारित, समय से बुआई | 35.1 (सी.सिं) / 23.2 (व.आ.) | 43.9 (सी.सिं)/42.1 (व.आ.) |
(उपरोक्त तालिका में उल्लेखित: सिं= सिंचित, व.आ.= वर्षा आधारित, सी. सिं.= सीमित सिंचाई)
उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र (Northern Mountain Region)
जम्मू कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिलों को छोड़कर), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला एवं पोंटा घाटी को छोड़कर) उत्तराखंड (तराई क्षेत्रों को छोड़कर) सिक्किम, पश्चिमी बंगाल की पहाड़ियाँ और पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
एच एस 507 (पूसा सुकेती) | सिंचित / वर्षा आधारित, समय से बुआई | 46.8 (सिं) / 26.6 (व.आ.) | 1 (सं) / 54. 3 (व.आ.) |
एच पी डब्ल्यू 349 | सिंचित / वर्षा आधारित, समय से बुआई | 47.0 (सिं) / 25.9 (व.आ.) | 61.4 (सिं) / 42.1 (व.आ.) |
वी एल 907 | सिंचित / वर्षा आधारित, समय से बुआई | 44.3 (सिं) / 27.9 (व.आ.) | 56.9 (सिं) / 52.5 (व.आ.) |
वी एल 804 | सिंचित / वर्षा आधारित, समय से बुआई | 41.3 (सिं) / 25.7 (व.आ.) | 54.7 (सि) / 43.1 (व.आ.) |
एस के डब्ल्यू 196 | व.आ., समय से बुआई ( 5500 फुट तक की ऊँचाई) | 23.90 | 37.70 |
एच एस 542 | वर्षा आधारित, 10 अक्तूबर तक बुआई | 32.90 | 49.30 |
एच एस 562 | सिंचित / वर्षा आधारित समय से बुआई | 52.7 (सिं) / 36.0 (व.आ.) | 62.2 (सिं) / 58.8 (व.आ.) |
वी एल 829 | वर्षा आधारित, 10 अक्तूबर तक बुआई | 29.10 | 59.80 |
एच एस 490 | सीमित सिंचाई, देर से बुआई | 31.00 | 49.70 |
एच एस 375 | वर्षा आधारित, अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र | 26.60 | 49.80 |
(उपरोक्त तालिका में उल्लेखित: सिं= सिंचित, व.आ.= वर्षा आधारित, सी. सिं.= सीमित सिंचाई)
प्रायद्वीपीय क्षेत्र (Peninsular Region)
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, गोवा और तमिलनाडू के मैदानी भागों के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
एम ए सी एस 3949 | सिंचित, समय से बुआई | 43.98 | 64.30 |
एम ए सी एस 6478 | सिंचित, समय से बुआई | 45.00 | 65.70 |
यू ए एस 304 | सिंचित, समय से बुआई | 46.80 | 59.90 |
डब्ल्यू एच डी 948 (कठिया) | सिंचित, समय से बुआई | 46.50 | 69.50 |
एम ए सी एस 6222 | सिंचित, समय से बुआई | 47.70 | 60.90 |
एच डी 2987 (पूसा बहार) | सिंचित /वर्षा आधारित, समय से बुआई | 31.5 (सिं) / 17.5 (व.आ.) | 38.6(सिं)/32.2 (व.आ.) |
यू ए एस 428 (कठिया) | सिंचित, समय से बुआई | 48.00 | 58.80 |
एम ए सी एस 2971 ( खपली) | सिंचित, समय से बुआई | 50.20 | 62.00 |
एच आई 8663 (कठिया) | सिंचित, समय से बुआई | 45.40 | 71.50 |
डी डी के 1025 (खपली) | सिंचित, समय से बुआई | 38.10 | 47.80 |
जी डब्ल्यू 322 | सिंचित, समय से बुआई | 41.70 | 61.80 |
डी डी के 1009 (खपली) | सिंचित, समय से बुआई | 38.00 | 50.80 |
एच डी 3090 | सिंचित, देर से बुआई | 41.40 | 63.10 |
ए के ए डब्ल्यू 4627 | सिंचित, देर से बुआई | 39.00 | 60.90 |
एच डी 2932 | सिंचित, देर से बुआई | 43.30 | 53.60 |
एच डी 2833 | सिंचित, देर से बुआई | 38.90 | 59.30 |
डीबी डब्ल्यू 93 | सीमित सिंचाई, समय से बुआई | 29.30 | 39.00 |
एच आई 1605 | सीमित सिंचाई, देर से बुआई | 29.10 | 44.00 |
एन आई ए डब्ल्यू 1415 (नेत्रावती) | सीमित सिंचाई / वर्षा आधारित समय से बुआई | 31.1 ( सिं.) / 19.5 (व.आ.) | 2 (सिं.) / 36.2 (व.आ.) |
यू ए एस 466 (कठिया) | सीमित सिंचाई / वर्षा आधारित समय से बुआई | 18.30 | 24.40 |
यू ए एस 347 | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 18.40 | 24.60 |
एच डी 2781 (आदित्य) | वर्षा आधारित, समय से बुआई | 15.80 | 21.00 |
(उपरोक्त तालिका में उल्लेखित: सिं= सिंचित, व.आ.= वर्षा आधारित, सी. सिं.= सीमित सिंचाई)
दक्षिणी पर्वतीय क्षेत्र (Southern Mountainous Region)
तमिलनाडू के नीलगिरी और पलनी पर्वतीय क्षेत्र तथा केरल के वायनाड और इडुक्की जिले के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
एच डब्ल्यू 5216 | सीमित सिंचाई, समय से बुआई | 45.60 | 62.40 |
एच डब्ल्यू 2044 | सिंचित/सीमित सिंचाई, समय से बुआई | 54.00 | 58.70 |
एच डब्ल्यू 1098 (नीलगिरी खपली) | सिंचित, समय से बुआई | 45.50 | 59.00 |
सभी क्षेत्र (All Areas)
लवणीय और क्षारीय (कल्लर) भूमियों के लिए गेहूं की उन्नत किस्में (Wheat Varieties) इस प्रकार है, जैसे-
किस्मों के नाम | बुआई की दशा | औसत उपज (कुं./है.) | उपज क्षमता (कुं./है.) |
के आर एल 213 | सिंचित, समय से बुआई | 32.50 | 43.90 |
के आर एल 210 | सिंचित, समय से बुआई | 33.70 | 49.30 |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
छह वर्ग गेहूं की हजारों किस्मों को क्रम में लाते हैं। वे हैं हार्ड रेड विंटर, हार्ड रेड स्प्रिंग, सॉफ्ट रेड विंटर, ड्यूरम, हार्ड व्हाइट और सॉफ्ट व्हाइट। किसी भी अन्य अनाज की तुलना में गेहूं से अधिक खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
भारत दुनिया में खपली गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसे सांबा, एम्मर या डायबिटिक गेहूं के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली गेहूं की किस्मों में से एक है। इसमें कई उपचार गुण हैं जो हृदय रोग और मधुमेह में मदद कर सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार राज्यों में सबसे अधिक खेती की जाने वाली गेहूं की किस्में (Wheat varieties) एचडी 2967, पीबीडब्ल्यू 343, पीबीडब्ल्यू 550, लोक 1 और पीबीडब्ल्यू 502 हैं।
गेहूं की नई किस्म, एचडी-3385 की शुरूआत से भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण सुधार आने की उम्मीद है। इसमें खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, गरीबी कम करने और किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है।
“स्वराज गेहूं- 100% एमपी शरबती” एमपी के सीहोर क्षेत्र में उगाया जाता है और यह देश में उपलब्ध गेहूं अनाज की सबसे प्रीमियम किस्म है। सीहोर क्षेत्र में काली कपास और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है जो शरबती नामक विशेष अनाज किस्म का उत्पादन करती है।
गेहूं की खेती पहली बार लगभग 10,000 साल पहले “नवपाषाण क्रांति” के हिस्से के रूप में की गई थी, जिसमें शिकार और भोजन इकट्ठा करने से स्थायी कृषि की ओर संक्रमण देखा गया था। सबसे पहले खेती की जाने वाली प्रजातियां ईंकोर्न और एम्मर थीं, जो क्रमशः द्विगुणित (जीनोम एए) और टेट्राप्लोइड (जीनोम एएबीबी) प्रजातियां हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, समय पर बुआई और सीमित सिंचाई स्थितियों के लिए उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए क्रमशः HD3386 और WH1402 नामक गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्मों की पहचान की गई है।
गेहूं की किस्में (Wheat varieties) – HI 1650 – पूसा ओजस्वी, HI 1653 – पूसा जाग्रति, HI 1654 – पूसा अदिति, HI 1655 – पूसा हर्षा, HI 8826 – पूसा पोष्टिक और HI 8830 – पूसा कीर्ति, HI 1650, HI 1655 और HI 8830 मध्य प्रदेश सहित मध्य क्षेत्र के लिए जारी की गई हैं।
एचएस 542, एचएस 562, एचएस 507 (पूसा सुकेती), एचपीडब्ल्यू 349, वीएल 907, वीएल 804, एसकेडब्ल्यू 196, वीएल 829, एचएस 490 और एचएस 375 जैसी किस्मों की भी बुवाई कर सकते हैं। ये सभी गेहूं की किस्में (Wheat varieties) उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र के लिए विकसित की गईं हैं।
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